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सस्पेंस फ़िल्म 'नेल पॉलिश' में मानव कौल का शानदार अभिनय 

सस्पेंस फ़िल्म 'नेल पॉलिश' में मानव कौल का शानदार अभिनय 

नए साल पर ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ज़ी5 ने फ़िल्म 'नेल पॉलिश' रिलीज़ की है। निर्देशक बग्स भार्गव कृष्ण ने फ़िल्म का निर्देशन भी किया है और कहानी भी लिखी है।

फ़िल्म- नेल पॉलिश

निर्देशक- बग्स भार्गव कृष्ण

स्टार कास्ट- मानव कौल, अर्जुन रामपाल, आनंद तिवारी, रजित कपूर

स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म- ज़ी5

रेटिंग- 3.5/5

नए साल पर ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ज़ी5 ने फ़िल्म 'नेल पॉलिश' रिलीज़ की है। निर्देशक बग्स भार्गव कृष्ण ने फ़िल्म का निर्देशन भी किया है और कहानी भी लिखी है। फ़िल्म एक कोर्ट रूम ड्रामा है लेकिन सस्पेंस से भरपूर है। दर्शकों को साल की शुरुआत में ऐसी फ़िल्म देखना बेहद दिलचस्प होगा। फ़िल्म में लीड रोल में मानव कौल, अर्जुन रामपाल, आनंद तिवारी और रजित कपूर हैं। आइये जानते हैं क्या है फ़िल्म 'नेल पॉलिश' की कहानी-

क्या है खास?

लखनऊ से कहानी शुरू होती है, जहाँ से कई प्रवासी बच्चे पहले ही ग़ायब हो चुके हैं और दो बच्चों की लाश जली हुई मिलती है। क्रिकेट प्रशिक्षण अकादमी चला रहे वीर सिंह (मानव कौल) पर बच्चों के साथ दुष्कर्म कर मार डालने का आरोप लगता है। वीर पहले अंडर कवर एजेंट भी रह चुका है। वीर सिंह की छवि समाज में एक अच्छे इंसान की है, ये आरोप लगने के बाद लोगों में ग़ुस्सा भर जाता है। केस के चलते सियासी माहौल गर्मा जाता है। वीर सिंह का केस क्रिमिनल लॉयर जय सिंह (अर्जुन रामपाल) के पास जाता है और राज्य प्रशासन की ओर से वीर को कड़ी सज़ा दिलाने के लिए ये केस पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित कुमार (आनंद तिवारी) को सौंपा जाता है। 

अदालत में जज किशोर भूषण (रजित कपूर) के सामने यह अजीब केस पहुँचता है और दलीलें पेश की जाती हैं। बच्चों की हत्या के मामले में वीर बुरी तरह से फँस जाता है लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है कि कोर्ट इस केस में वीर सिंह को सज़ा नहीं सुना पाती। जिसे जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी, क्योंकि मेन सस्पेंस फ़िल्म का वहीं है। फ़िल्म का नाम 'नेल पॉलिश' क्यों रखा गया है, यह भी फ़िल्म देखने के बाद पता चलेगा। आख़िर वीर सिंह ने बच्चों की हत्या क्यों की? क्या वीर सिंह इस गंभीर आरोप से साफ़ बचकर निकल जायेगा? यह सबकुछ जानने के लिए आपको फ़िल्म 'नेल पॉलिश' ज़ी5 पर देखनी पड़ेगी। इसकी अवधि 2 घंटे की है।

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फ़ोटो साभार: ज़ी5

निर्देशन

डायरेक्टर बग्स भार्गव कृष्ण ने अच्छी कहानी लिखी है और उसे बेहतरीन तरीक़े से पर्दे पर पेश किया है। कोर्ट रूम ड्रामा फ़िल्म में अक्सर सस्पेंस काफ़ी देर तक नहीं टिक पाता लेकिन बग्स ने आख़िर तक फ़िल्म की कहानी को बांधे रखा। सबसे ख़ास बात फ़िल्म के निर्देशन में है कि इसमें कुछ भी पूरा नहीं है लेकिन फिर भी 'नेल पॉलिश' अधूरी नहीं लगती।

अभिनय

मानव कौल ने अपने किरदार को बेहतरीन तरीक़े से निभाया है। उनकी एक्टिंग इतनी रियलिस्टिक लगती है कि कहीं पर लगता ही नहीं है कि वह एक्टिंग कर रहे हैं। अर्जुन रामपाल ने वकील के किरदार को बखूबी निभाया है, वकील के किरदार में आने वाले हाव-भाव, ग़ुस्सा, शांति सबकुछ अच्छे से पेश किया है। इसके अलावा अन्य वकील की भूमिका में आनंद तिवारी ने भी शानदार अभिनय किया है। उन्होंने एक बेहद ईमानदार सरकारी वकील का रोल अदा किया है। जज के किरदार में रजित कपूर ने भी काफ़ी अच्छी एक्टिंग की है। इसके अलावा समरीन कौर, मधु और अन्य स्टार्स ने भी अच्छी एक्टिंग की है।

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फ़ोटो साभार: ज़ी5

जो दर्शक अपशब्द और ज़बरदस्ती डाले गए अश्लील दृश्य देखना पसंद नहीं करते हैं, उन्हें फ़िल्म 'नेल पॉलिश' ख़ूब पसंद आने वाली है। फ़िल्म में अंत तक बांधने वाला सस्पेंस है, स्टार्स की बेहतरीन परफॉर्मेंस है। इसके अलावा फ़िल्म को मर्डर मिस्ट्री और रहस्यमयी कहने के साथ ही सायकॉलॉजिकल फ़िल्म कहना भी ग़लत नहीं होगा, जिसमें आपको अपना दिमाग़ खोलकर रखना होगा कि कब क्या हो रहा है? कमज़ोर कड़ी की बात करें तो फ़िल्म का क्लाइमैक्स थोड़ा सा पता चलने लगता है लेकिन फिर भी इसकी कहानी आपको बोर नहीं करती है। स्क्रीनप्ले में कुछ चीजें हैं, जो नज़रअंदाज़ की जा सकती हैं। अगर आप कोई अच्छी फ़िल्म देखने के मूड में हैं, तो 'नेल पॉलिश' देख सकते हैं। लेकिन अगर आप सीरियस फ़िल्मों से दूर रहते हैं तो ये आपको जरा भी पसंद नहीं आयेगी।

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