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नगालैंड कैबिनेट : केंद्र अफ़्सपा रद्द करे, हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल बीच में ख़त्म

नगालैंड कैबिनेट : केंद्र अफ़्सपा रद्द करे, हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल बीच में ख़त्म

नगालैंड सरकार ने क्यों कहा है कि अफ़्सपा को रद्द कर दिया जाए, हॉर्नबिल फेस्टिवल को भी बीच में क्यों रद्द कर दिया गया है?

नगालैंड सरकार ने आर्म्ड फ़ोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट, 1956, (अफ़्सपा) को रद्द करने की माँग केंद्र सरकार से करने का फ़ैसला किया है। कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक में यह निर्णय लिया गया है और अब केंद्र सरकार को इसके लिए औपचारिक चिट्ठी लिख कर भेजना बचा है।

इसके साथ ही राज्य सरकार ने पूर्वोत्तर का सालाना सांस्कृतिक उत्सव हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल बीच में ही ख़त्म कर दिया है। छह दिनों तक चलने वाले उत्सव का यह चौथा दिन था। 

इसके पहले नगालैंड के छह कबीलों के संगठन ने फेस्टिवल का बॉयकॉट करने का एलान किया था। 

इस उत्सव की धूम देश-विदेश में है और इसे देखने के लिए कोने-कोने से लोग जाते हैं। 

क्या कहा मुख्यमंत्री ने?

मुख्यमंत्री निउफ़ीयू रियो ने नगालैंड फ़ायरिंग में मारे गए लोगों की अंत्येष्टि के समय हॉर्नबिल फेस्टिवल को बीच में ही ख़त्म करने का एलान किया। उन्होंने इसके साथ ही अफ़्सपा रद्द करने की माँग दुहराई। 

रियो ने कहा, "अफ़्सपा के तहत सुरक्षा बलों को बगैर वारंट किसी को गिरफ़्तार करने, छापे मारने और हत्या कर देने का अधिकार मिला हुआ है। लेकिन सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इन लोगों ने क़ानून व्यवस्था के लिए संकट पैदा कर दिया है।" 

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनरैड संगमा ने भी पूर्वोत्तर से अफ़्सपा हटाने की माँग की है। 

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने भी अफ़्सपा को रद्द करने की माँग की है।

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सुप्रीम कोर्ट के रिटायटर्ड जज जस्टिस मदन लोकुर ने सोमवार को कहा कि अफ़्सपा का मतलब यह कतई नहीं होता कि सुरक्षा बल के लोग किसी को मार डालें।

क्या है अफ़्सपा?

अफ़्सपा यानी आर्म्ड फ़ोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट एक ऐसा क़ानून है, जो केंद्र के तहत आने वाले सुरक्षाबलों, जिनमें सेना से लेकर सीआरपीएफ़ वग़ैरह शामिल हैं, उन्हें सरकार ये शक्ति दे सकती है कि वे किसी भी हथियार का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए वे किसी क्रिमिनल कोर्ट में जवाबदेह नहीं होंगे।

इस ऐक्ट को लागू करने के लिए यह ज़रूरी है कि डिस्टर्ब्ड एरिया ऐक्ट के तहत वह राज्य अशांत घोषित होना चाहिए।

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किसी राज्य को यह घोषित करना होता है कि हमारे राज्य में यह स्थिति आ गई है कि सामान्य बल काफ़ी नहीं हैं। इसके बाद केंद्र सरकार यह क़ानून लागू करती है।

लेकिन कोई राज्य ख़ुद यह घोषणा कर सकता है कि हमारा राज्य अब ख़तरनाक नहीं रहा है और हालात सामान्य हो चुके हैं, लेकिन यह अधिकार राज्यपाल के पास होता है।

अगर राज्य सरकार कहे कि हमारा राज्य सामान्य है इसलिए आफ़्सपा लगाने की केंद्र के पास शक्ति नहीं है।

लेकिन, राज्यपाल केंद्र का प्रतिनिधि होता है, इसलिए वह केंद्र के निर्देशों पर काम करता है। लिहाजा स्थिति थोड़ी पेचीदा होती है।

मौजूदा समय में नगालैंड,असम,मणिपुर (इंफाल के सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों और जम्मू-कश्मीर में अफ़्सपा लागू है।

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