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अमित शाह की बैठक से पहले नागा नेताओं के सुर बदले, अलग राज्य मांगा

अमित शाह की बैठक से पहले नागा नेताओं के सुर बदले, अलग राज्य मांगा

नागालैंड के नेताओं की 3 दिसंबर को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक है। लेकिन उससे पहले वहां के नेताओं के सुर बदल गए हैं। उन्होंने अगले साल फरवरी में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले फ्रंटियर नागालैंड राज्य की मांग की है। किन इलाकों पर आधारित है इस राज्य की मांग, जानिएः

नागालैंड के नेताओं की 3 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के पहले वहां के नेताओं के सुर बदल रहे हैं। ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार अलग "फ्रंटियर नागालैंड" राज्य की मांग को मंजूर नहीं करती है तो पूर्वी नागालैंड के लोग फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। ईएनपीओ ने नागालैंड में 4-5 दिसंबर को काला दिवस मनाने की घोषणा की है।

ईएनपीओ के नेता 3 दिसंबर को अमित शाह से मिलने वाले हैं। बैठक में एक अलग "फ्रंटियर नागालैंड" राज्य बनाने की मांग पर चर्चा की जाएगी। ईएनपीओ नागालैंड के छह जिलों में रहने वाली नागा जनजातियों का प्रतिनिधित्व करता है।

नागालैंड के कुल 16 जिलों में से छह में ईएनपीओ की मौजूदगी है। ईएनपीओ के प्रवक्ता ने कहा, अगर केंद्र हमारी अपील का जवाब देने में नाकाम रहता है, तो हम अपने सभी 20 एमेलए से इस्तीफा देने के लिए कहेंगे। 

नागालैंड विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 20 सीटें उन छह जिलों में हैं जहां ईएनपीओ की मौजूदगी है। ये छह जिले हैं किफिरे, लोंगलेंग, मोन, नोक्लाक, शामतोर और त्युएनसांग। विशेष रूप से सत्तारूढ़ एनडीपीपी के पास इनमें से 15 सीटें हैं, सहयोगी बीजेपी के पास चार और एक विधायक निर्दलीय है।

ईएनपीओ ने नागालैंड में प्रसिद्ध हॉर्नबिल महोत्सव में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। यह भी एक संकेत है कि ईएनपीओ अब अपना दबाव बढ़ा रहा है।नागालैंड में 10 दिवसीय हॉर्नबिल महोत्सव 1 दिसंबर से शुरू होगा।

काला दिवसनागालैंड में 4-5 दिसंबर को काला दिवस मनाया जाएगा। इसका आह्वान भी ईएनपीओ ने किया है। नागालैंड के मोन में 4-5 दिसंबर 2021 को 14 आदिवासी लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप केंद्रीय सुरक्षा बलों पर लगा था। काला दिवस उसी घटना पर दुख जताने के लिए मनाया जा रहा है। लेकिन इस आंदोलन की भी सूत्रधार ईएनपीओ ही है। पिछले साल की उस घटना के बाद पूर्वोत्तर राज्यों ने सामूहिक नाराजगी भी जताई थी। अभी हाल ही में मेघालय में फिर एक घटना हो गई। मेघालय-असम सीमा पर 5 आदिवासियों की असम पुलिस ने हत्या कर दी। इस घटना पर भी मेघालय और नागालैंड में सामूहिक रोष जताया गया था।

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