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एन. वी. रमना बने 48वें मुख्य न्यायाधीश

एन. वी. रमना बने 48वें मुख्य न्यायाधीश

जस्टिस एन. वी. रमना ने देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। रमना ने शुक्रवार को रिटायर हुए जस्टिस एस. ए. बोबडे की जगह ली है। 

जस्टिस एन. वी. रमना ने देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। रमना ने शुक्रवार को रिटायर हुए जस्टिस एस. ए. बोबडे की जगह ली है। जस्टिस रमना पदभार ग्रहण करने के पहले ही विवादों में रह चुके हैं। 

जस्टिस रमना ने ऐसे समय मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला है, जब सुप्रीम कोर्ट पर अंगुलियाँ उठने लगी हैं। उसके कामकाज के तौर-तरीकों ही नहीं, निष्पक्षता पर भी सवाल उठने लगे हैं। मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने हाल ही में 'द हिन्दू' अखबार में लिखे एक लेख में विस्तार से बताया है कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के सामने घुटे टेक दिए हैं और ऐसा लगा है कि उसने सरकार के पक्ष में फ़ैसले दिए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट पर उठते सवाल

दो दिन पहले यानी गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों में चल रहे कोरोना से जुड़े मामलों का स्वत: संज्ञान लेकर अपने अधीन करने का संकेत यह कह कर दिया था कि अलग-अलग अदालतों में मामले होने से भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। इसकी तीखी आलोचना हुई थी और कहा गया था कि हाई कोर्ट स्थानीय मामलों को सुलझाने का काम बेहतर तरीके से कर रहे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने कभी हाई कोर्ट को काम करने से नहीं रोका। 

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जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश में कार्यवाहक और एडिशनल एडवोकेट जनरल के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज नियुक्त किया गया था। 2013 में वह दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस बने और इस 17 फरवरी 2017 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया। 

रमना पर भ्रष्टाचार के आरोप

इसके बीच जस्टिस रमना पहले से ही विवादों के घेरे में हैं और उन पर कई तरह के गंभीर आरोप लग चुके हैं। उन पर

भ्रष्टाचार में लिप्त होने से लेकर राजनीतिक साजिश रचने और चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश करने के आरोप लग रहे हैं।

'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को चिट्ठी लिख कर जस्टिस एन. वी. रमना के ख़िलाफ़ शिकायतें की हैं। 

जगनमोहन रेड्डी ने लिखा था कि जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की बैठकों और रोस्टर को प्रभावित कर रहे हैं। वे अमरावती भूमि घोटाले से जुड़े मामले को रोस्टर में कुछ चुनिंदा जजों को ही रख रहे हैं और इस तरह न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।

चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि इन भूमि घोटालों में जस्टिस रमना की बेटियों के भी नाम हैं। 

रेड्डी यहीं नहीं रुके। उन्होंने जस्टिस रमना पर न्याय व्यवस्था को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है, 'जब वाईएसआर कांग्रेस पार्टी मई 2019 में सत्ता में आई और 24 जून 2019 को चंद्रबाबू नायडू के समय दिए गए सभी ठेकों की जाँच का आदेश दे दिया, उस समय से ही जस्टिस एन. वी. रमन्ना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं।'

सवाल यह है कि क्या अब इन मामलों की जाँच होगी? वकील व लीगल एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को आशंका है कि जिस तरह इसके पहले के मुख्य न्यायाधीशों से जुड़े मामलों को दबा दिया गया है, जस्टिस रमना के मामलों की भी जाँच पूरी नहीं होगी। 

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