शरद पवार की अजित पवार के साथ मुलाक़ात के बाद एमवीए की सहयोगी कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने उनसे ऐसी बैठकों से पैदा होने वाले 'भ्रम' को दूर करने के लिए कहा है। तो सवाल है कि शरद पवार और अजित पवार को लेकर ऐसा क्या भ्रम है कि इस पर सफ़ाई मांगी जा रही है?
दरअसल, यह भ्रम इसलिए है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार तो विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की बैठकों में जा रहे हैं और विपक्षी एकता के साथ होने की बात कह रहे हैं, लेकिन इसी एनसीपी का एक धड़ा उनके भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल है। इसी वजह से जब-जब शरद पवार और अजित पवार मिल रहे हैं तो यह सवाल खड़ा हो रहा है कि शरद पवार की आख़िर रणनीति क्या है?
एनसीपी में फूट पड़ने के बाद अजित और शरद की शनिवार को चौथी मुलाकात हुई। उसको 'गुप्त बैठक' कहा गया। हालाँकि, शरद पवार ने गुप्त बैठक की बात को खारिज कर दिया और कहा कि उन्होंने सामान्य रूप से मुलाक़ात की। एक रिपोर्ट के अनुसार बैठक शनिवार शाम को कोरेगांव पार्क इलाके में एक बिजनेसमैन के बंगले पर हुई।
पहले रिपोर्टों में कहा गया था कि शरद पवार को बिजनेसमैन के बंगले से निकलते देखा गया। इसी बंगले से अजित पवार को भी निकलते देखा गया था। कहा जा रहा है कि अजित पवार और जयंत पाटिल मीडिया को चकमा देकर बैठक में शामिल हुए थे। अजित सरकारी काफिला छोड़कर बैठक में पहुंचे थे वहीं, जयंत पार्टी कार्यकर्ता की गाड़ी से रवाना हो गए। रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि बैठक के बाद निकलते समय अजित अपनी गाड़ी में मीडिया से छिपते नज़र आए थे।
अजित पवार के साथ शनिवार को पुणे में उनकी कथित गुप्त बैठक के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा, 'मैं आपको एक तथ्य बताना चाहता हूं कि वह मेरे भतीजे हैं। मेरे भतीजे से मिलने में क्या बुराई है? यदि परिवार का कोई वरिष्ठ व्यक्ति परिवार के किसी अन्य सदस्य से मिलना चाहता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।'
इसके साथ ही पवार ने यह भी साफ़ कर दिया, 'एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मैं यह स्पष्ट कर रहा हूँ कि मेरी पार्टी भाजपा के साथ नहीं जाएगी। भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई भी जुड़ाव एनसीपी की राजनीतिक नीति में फिट नहीं बैठता है।' पवार ने खुलासा किया कि कुछ 'शुभचिंतक' उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह कभी भी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, 'हममें से कुछ (अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा समूह) ने एक अलग रुख अपनाया है। हमारे कुछ शुभचिंतक यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हमारे रुख में कोई बदलाव हो सकता है। यही कारण है कि वे सौहार्दपूर्ण चर्चा करने की कोशिश कर रहे हैं।'
शरद पवार को आख़िर बार-बार बीजेपी को लेकर सफ़ाई क्यों देनी पड़ रही है? एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल अजित पवार के साथ उनकी कथित तौर पर गुप्त बैठक को लेकर सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं?
पिछले महीने भी दोनों के बीच इसी तरह की मुलाकात के बाद बैठक के बारे में पवार के स्पष्टीकरण से उनके सहयोगियों के बीच बेचैनी कम नहीं हुई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुंबई में उनके घर पर ढाई घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'हमने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। शरद पवार के बारे में फैलाई गई गलत सूचनाओं पर भी चर्चा हुई। हमारा मानना है कि शरद और अजित पवार की मुलाकात को लेकर लोगों और एमवीए कार्यकर्ताओं के बीच कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। हमारा मानना है कि लोग एमवीए को एक संयुक्त मोर्चे के रूप में देखते हैं और हमारे बारे में कोई भ्रम पैदा नहीं किया जाना चाहिए। हम दोनों (कांग्रेस और सेना) यह सुनिश्चित कर रहे हैं।'
शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'मैं भी नाना पटोले और उद्धव ठाकरे के बीच बैठक में मौजूद था। हम इस बात पर एकमत हैं कि शरद पवार को हमेशा के लिए रिकॉर्ड सही कर देना चाहिए। उन्हें अपने गुट के रुख को लेकर भ्रम दूर करना चाहिए... इस तरह उनकी बैठक से मतदाताओं के मन में केवल भ्रम पैदा होगा, जो आगामी चुनावों में एमवीए के लिए महंगा साबित होगा।'
राउत ने कहा कि वह इस बारे में पवार से बात करेंगे। एमवीए इस मामले में शरद पवार से स्पष्ट रुख चाहेगी। अगर ऐसा ही कुछ चलता रहा तो मतदाताओं के बीच भ्रम बढ़ता जाएगा और हमारे लिए नुकसानदायक साबित होगा।
कुछ इसी तरह के भ्रम की बात विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में भी शरद पवार को लेकर की जाती रही है। तो क्या बीजेपी की यही रणनीति है कि इस तरह का भ्रम बनाये रखा जाए? यदि इसी तरह की स्थिति बनी रही तो फिर गठबंधन क्या पूरी क्षमता से काम कर पाएगा?