+
मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम की सात लड़कियाँ ग़ायब, विपक्ष हमलावर

मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम की सात लड़कियाँ ग़ायब, विपक्ष हमलावर

बिहार के चर्चित मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह यौन शोषण कांड की पांच पीड़िताओं समेत सात लड़कियों के ग़ायब होने की सूचना से प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गयी है।

बिहार के चर्चित मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामले में शनिवार को सात लड़कियाँ ग़ायब हो गई हैं। इनमें पांच पीड़िता भी शामिल हैं। इस घटना के बाद से ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि आख़िर इस मामले में किसे बचाने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि हाल ही में मुज़फ़्फ़रपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य के विरुद्ध सीबीआई को जाँच का आदेश दिया था। इस मामले में आज ही सात अभियुक्तों को विशेष सुरक्षा में दिल्ली के साकेत स्थित स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया है।

चुनावी तैयारी : आख़िर किस रणनीति पर काम कर रहे हैं प्रशांत किशोर? 

  • शनिवार सुबह हुई इस घटना के बाद आनन-फानन में बाढ़ के एएसपी लिपि सिंह दल-बल के साथ मोकामा के नाजरथ अस्पताल स्थित शेल्टर होम पहुँचे। जाँच में उन्हें पता चला कि ग़ायब होने वाली सात लड़कियों में से पाँच मुज़फ़्फ़रपुर की वे रेप पीड़िताएँ हैं जिनका बयान कोर्ट में दर्ज कराया गया था। बता दें कि कुल 14 लड़कियों को मोकामा शेल्टर होम में ट्रांसफ़र किया गया था जबकि 10 को मधुबनी और बाक़ी बची अन्य लड़कियों को पटना शेल्टर होम भेज दिया गया था। 

सियासत तेज़प्रताप की राजनीतिक सक्रियता के पीछे है बदले की भावना 

मामला दर्ज, तलाश जारी

इस संबंध में पूछे जाने पर पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया, 'ग़ुमशुदगी का एक मामला मोकामा थाने में दर्ज कर ग़ायब लड़कियों की तलाश की जा रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि शनिवार तड़के लगभग 3.30 बजे लड़कियाँ ग्रिल काट कर ग़ायब हो गईं। सूत्रों के मुताबिक़, लड़कियों के ग़ायब होने की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है। यह समझ से परे है कि आख़िर इतने संवदेनशील मामले में जिसकी जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है, उसमें इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो सकती है। 

इधर, पटना की सीनियर एसपी गरिमा मालिक ने बताया कि मामले की जाँच की जा रही है और जल्द ही पुलिस ग़ायब संवासनियों का पता लगा लेगी। उन्होंने बताया कि बाढ़ एएसपी के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस टीम गठित की गई है। जल्द ही कुछ परिणाम सामने होगा।

  • समाज कल्याण विभाग के सचिव राज कुमार ने बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद वे ख़ुद मोकामा जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभाग ने मामले को काफ़ी गंभीरता से लिया है और अगर सुरक्षा में कोई गड़बड़ी या किसी की मिलीभगत पाई गई तो उचित कार्रवाई होगी।

तेजस्वी बोले, ग़ायब कर दी बच्चियाँ 

विपक्ष ने इस मुद्दे पर हमलावर होते हुए नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम की गवाह बची 7 बच्चियों को भी ग़ायब कर दिया गया। उन्होंने पूछा, ‘सत्ता के शीर्ष पर बैठे किस शख़्स को बचाने की साज़िश हो रही है? पीड़ित बच्चियाँ अभी भी क्यों सुरक्षित नहीं हैं? सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग के बावजूद ये दुस्साहस कौन कर रहा है? सीएम को किस बात का डर है?’

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामले में जो पीड़ित लड़कियाँ गवाह थीं, उनको दूसरे शेल्टर होम से भी ग़ायब कर दिया गया है और बताया यह जा रहा कि वे ग़ायब हुई हैं। लालू ने आगे कहा कि यह कितनी निक्कमी सरकार है जो सत्ता संरक्षित जनबलात्कार से पीड़ित अनाथ बच्चियों को भी नहीं संभाल सकती। 

फूट :  बिहार में चुनाव से पहले ही खंड-खंड हो रहा महागठबंधन 

मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी राजेश कुमार ने मोकामा का दौरा किया। उन्होंने एफ़एसएल एवं डॉग स्क्वैड को मोकामा भेजने का निर्देश भी दिया।

सीबीआई की निगरानी में हो रही जाँच

बता दें कि बालिका गृह कांड की जाँच सीबीआई की निगरानी में हो रही है। सीबीआई के अधिकारी भी लड़कियों के ग़ायब होने के बाद हरकत में आ गए हैं। आज ही सात अभियुक्तों को विशेष सुरक्षा में दिल्ली के साकेत स्थित स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया है। 

  • बता दें कि मेडिकल रिपोर्ट में 34 लड़कियों से बलात्कार होने की पुष्टि हुई थी। कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत 42 लड़कियों के बयान दर्ज कराए गए थे। इसमें अधिकतर लड़कियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था।

यौन शोषण के आरोप का ख़ुलासा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेस, मुम्बई की ऑडिट रिपोर्ट में किया गया था। 31 मई को मुज़फ़्फ़रपुर के महिला थाने में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 2 जून को कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत आठ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मामले में तब नया मोड़ आया था, जब तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के इसमें शामिल होने की बात सामने आई। विवाद इतना बढ़ा था कि मंजू वर्मा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें