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मुरलीधरन की बायोपिक पर राजनीति, निशाने पर अभिनेता विजय सेतुपति 

मुरलीधरन की बायोपिक पर राजनीति, निशाने पर अभिनेता विजय सेतुपति 

श्रीलंका के दिग्गज गेंदबाज़ मुथैया मुरलीधरन के जीवन पर बन रही फ़िल्म विवादों में घिर गयी है। तमिलनाडु में इस फ़िल्म को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश भी हो रही है। 

श्रीलंका के दिग्गज गेंदबाज़ मुथैया मुरलीधरन के जीवन पर बन रही फ़िल्म विवादों में घिर गयी है। तमिलनाडु में इस फ़िल्म को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश भी हो रही है। विवादों की सबसे बड़ी वजह इस फ़िल्म के लिए जाने-माने तमिल अभिनेता विजय सेतुपति का मुथैया मुरलीधरन का किरदार निभाने के लिए हामी भरना है। 

विरोध

इस फ़ैसले की वजह से तमिलनाडु के कई लोग विजय सेतुपति से काफी नाराज़ हैं और खुलकर उनकी आलोचना और निंदा कर रहे हैं। कई राजनीतिक पार्टियों ने भी विजय सेतुपति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सबसे करारा हमला पट्टाली मक्कल काची यानी पीएमके पार्टी के संस्थापक एस. रामदास ने किया है। 

रामदास ने एक बयान में कहा कि अगर विजय सेतुपति फिल्म में मुथैया मुरलीधरन का किरदार निभाते हैं, तो वे तमिलभाषियों के साथ विश्वासघात करेंगे। मरुमलर्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के संस्थापक और राज्यसभा सदस्य वाइको ने भी विजय सेतुपति को यह फिल्म साइन करने के लिए तमिलद्रोही करार दिया। 

तमिलनाडु के कई लोग और राजनेता मुथैया मुरलीधरन से नफ़रत करते हैं। कई राजनेता मुरलीधरन पर यह आरोप लगाते हैं कि तमिलभाषी होने के बावजूद उन्होंने श्रीलंका में तमिलभाषियों के ख़िलाफ़ काम करने वाले श्रीलंकाई राजनेताओं और सरकारों का साथ दिया।

श्रीलंका गृहयुद्ध

श्रीलंका में तमिलभाषी अल्पसंख्यक हैं। सिंहली भाषी लोगों की संख्या सर्वाधिक है। सिंहली भाषी लोगों के हाथों में हमेशा सत्ता रही। आरोप है कि सिंहली लोगों ने  तमिलभाषियों के ख़िलाफ़ दमनकारी नीतियाँ अपनाईं और इसी वजह से अस्सी के दशक में श्रीलंका के तमिलभाषियों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था।

 लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम नामक संस्था के नेतृत्व में तमिलभाषियों ने अलग राष्ट्र की मांग की और अपनी इस मांग के समर्थन में आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन ने हिंसक रूप लिया। श्रीलंका में गृहयुद्ध हुआ।

तमिलों का दमन

श्रीलंका की सरकार ने सेना की मदद से आंदोलनकारी तमिलभाषियों को निशाना बनाया। तमिलनाडु के कई राजनेताओं का कहना है कि श्रीलंकाई सेना ने मासूम तमिलभाषियों पर हमले किए और महिलाओं और बच्चों की भी हत्या करवाई। जान बचाने के लिए कई तमिलभाषियों ने भारत में शरण ली। 

तमिलनाडु के कुछ राजनेता आरोप लगाते हैं कि तमिलभाषियों पर अत्याचार करने, कराने वाले राजपक्षे परिवार का मुथैया मुरलीधरन ने हमेशा समर्थन किया और तमिलभाषी होने के बावजूद कभी तमिलभाषियों के लिए कोई काम नहीं किया। इतना ही नहीं, कई संदर्भों में मुथैया मुरलीधरन ने आंदोलनरत तमिलभाषियों का मज़ाक भी उड़ाया। 

रामदास और वाइको जैसे राजनेताओं का मानना है कि मुरलीधरन के जीवन पर बन रही फ़िल्म में उनका महिमामंडन किया जाएगा और किस तरह से उन्होंने तमिलभाषी विरोधी श्रीलंकाई नेताओं का साथ दिया, उसे छिपाया जाएगा।

इतना ही नहीं, विजय सेतुपति को फिल्म में श्रीलंका के राष्ट्रीय ध्वज को अपने सीने से लगाना होगा, उसे सलाम करना होगा, जिसे भारतीय तमिलभाषी सहन नहीं करेंगे। 

मुरलीधरन बायोपिक 800

टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले मुरलीधरन पर बन रही फिल्म को ‘800’ नाम दिया गया है। मुरलीधरन ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 800 विकेट लिए। ख़ास बात यह भी है कि मुरलीधरन ने चेन्नई में रहने वाली तमिलभाषी मधीमलार राममूर्ति से शादी की। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में पहले तीन साल वे चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेले। आईपीएल की शुरुआत में श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने चेन्नई के मैदान में खेलने का भी जमकर विरोध किया गया। लेकिन बाद भी नाराज़ तमिलभाषियों को मना लिया गया। 

अब ‘बायोपिक’ की वजह से तमिलनाडु में एक बार फिर मुरलीधरन के खिलाफ आवाज़ें उठने लगी हैं। लेकिन इस बार निशाने पर मशहूर फिल्म कलाकार विजय सेतुपति भी हैं, जिन्होंने बायोपिक में मुरलीधरन का किरदार निभाने का फैसला किया है। 

निशाने पर सेतुपति

विजय सेतुपति तमिलनाडु में काफी लोकप्रिय है। वे एक उम्दा अभिनेता-कलाकार के साथ-साथ गीतकार, संवाद-लेखक और फ़िल्मकार भी हैं। प्रयोगात्मक फिल्में करने के लिए चर्चा में रहते हैं। चुनिंदा किरदार ही निभाते हैं। विजय सेतुपति अपने दमदार अभिनय से किरदारों में जान डाल देते हैं। विजय सेतुपति ने जीवन में काफी संघर्ष किया और अपनी कला के दम पर वे आगे बढ़े हैं। उनसे पहले उनके परिवार में किसी ने फिल्मों में काम नहीं किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनावों की वजह से ही कुछ राजनीतिक पार्टियाँ मुथैया मुरलीधरन की बायोपिक को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं।

अगर माहौल चुनावी नहीं होता तो शायद मुरलीधरन की बायोपिक और विजय सेतुपति के किरदार को लेकर इतना हो-हल्ला नहीं होता। 

बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि विरोध के बावजूद विजय सेतुपति बायोपिक में मुरलीधरन का किरदार निभाते हैं या नहीं और अगर यह फिल्म बनती है तब यह भारत में, ख़ासकर तमिलनाडु में रिलीज़ करने दी जाएगी या नहीं। याद रहे कि पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक सुपरहिट रही थी। सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी का किरदार बखूबी निभाया था और खूब वाहवाही बटोरी थी।

1983 में भारत के विश्वकप जीतने की कहानी पर भी फिल्म बन चुकी है। रणवीर सिंह ने इस फिल्म में कप्तान कपिल देव की भूमिका निभाई है और कई लोगों को इस फिल्म के रिलीस होने का बेसब्री से इंतजार है।

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