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5 मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने संघ प्रमुख से क्यों मुलाकात की

5 मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने संघ प्रमुख से क्यों मुलाकात की

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने हाल ही में मुलाकात की थी। यह मुलाकात दो समुदायों की खाई को पाटने और विश्वास बढ़ाने के लिए की गई। हालांकि ये मुस्लिम बुद्धिजीवी तमाम मुद्दों पर अपनी राय सार्वजनिक करते रहे हैं लेकिन इस मुलाकात के बारे में उन्होंने कोई जानकारी उस समुदाय के सामने नहीं रखी, जिसके नाम पर उन्होंने संघ प्रमुख से मुलाकात की थी।

हिन्दू-मुसलमान के बीच खाई पाटने के लिए पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की है। यह मुलाकात दो हफ्ते पहले हुई थी लेकिन सार्वजनिक अब हुई है। तमाम मुद्दों पर आवाज बुलंद करने वाले दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, एएमयू के पूर्व वीसी जमीरुद्दीन शाह, आरएलडी के शाहिद सिद्दीकी और सईद शेरवानी ने इस मुलाकात के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। जबकि ये लोग मुस्लिम मुद्दों पर संघ प्रमुख भागवत से मिलने गए थे।

इस बैठक का संचालन संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और बीजेपी के पूर्व संगठनात्मक सचिव राम लाल ने किया।

इकोनॉमिक टाइम्स, इंडिया टुडे और पीटीआई की खबरों के मुताबिक पांच प्रसिद्ध मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक संयुक्त पत्र लिखकर तमाम मुद्दों के समाधान के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक का आग्रह किया था। आरएसएस जो ऐसे अवसरों की तलाश में रहता है, उसने मौका छोड़ा नहीं। मोहन भागवत ने इन महानुभावों से दो हफ्ते पहले दिल्ली के केशव कुंज दफ्तर में मुलाकात की थी।

इस बैठक से जुड़े एक अनाम शख्स को ईटी ने कोट करते हुए लिखा है कि "ऐसा लगता है जैसे दोनों समुदाय दुश्मन बन गए हैं। लेकिन असलियत में, हम नहीं हैं और हमने संयुक्त रूप से बातचीत की खाई को पाटने की कोशिश की है और संयुक्त रूप से देश को आगे ले जाने के लिए काम किया है। यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक कोशिश है।"

सूत्रों के हवाले से ईटी ने बताया कि बैठक की बातचीत में पैगंबर पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी और राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या का मामला शामिल था। हालांकि, ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा बैठक का हिस्सा नहीं था।भागवत ने इस मौके पर कहा कि देश की बेहतरी के लिए इस तरह की बैठकें नियमित रूप से होनी चाहिए।

पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि आने वाले दिनों में मुस्लिम समुदाय के बड़े समूह के साथ एक और बैठक होगी। अभी तक मुस्लिम बुद्धिजीवी सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने के एजेंडे के साथ विभिन्न ग्रुपों के लोगों के साथ चर्चा कर रहे हैं। 

आरएसएस और बीजेपी ने भी पिछले कुछ महीनों में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाया है और विश्वास बहाली की कोशिश की है। आरएसएस के सूत्रों ने ईटी को बताया कि संघ नेतृत्व हमेशा सभी समुदायों के लोगों से मिलने के लिए तैयार रहा है और नियमित रूप से ऐसा करता रहा है। 

उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान गांधीवादी दर्शन और दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के नजरिए का भारत में पालन करने का सुझाव दिया गया था।

मुस्लिम समुदाय के साथ संघ प्रमुख की बैठक नई घटना नहीं है। इसमें खास बात ये है कि नजीब जंग, एसवाई कुरैशी और बाकी लोग तमाम मुद्दों पर सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करते रहे हैं लेकिन समुदाय के नाम पर की गई इस मुलाकात पर ये लोग चुप क्यों हैं।

बहरहाल, पिछले साल आरएसएस ने मुंबई के एक होटल में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह से इसी तरह मुलाकात की थी। इसी तरह सितंबर 2019 में, भागवत ने दिल्ली में आरएसएस कार्यालय में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की। इसमें मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर बातचीत हुई थी।

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