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मुंज्या फिल्म समीक्षाः देसी हॉरर और कॉमेडी  

मुंज्या फिल्म समीक्षाः देसी हॉरर और कॉमेडी  

बॉलीवुड की एक और झेलनीय फिल्म मुंज्या की फिल्म समीक्षा डॉ प्रकाश हिन्दुस्तानी की कलम से।

मुंज्या  हॉरर कॉमेडी फिल्म है। यानी डर के मारे धुकधुकी भी हो और ऊपर से हंसी भी फूटे! बड़ा कठिन है  ! या तो डरोगे या हंसोगे। दोनों एक साथ होता है।  । भट्ट लोगों ने हॉरर में सेक्स का मसाला डाल दिया, तो रामसे भाइयों ने हॉरर फिल्मों की ऐसी परिभाषा गढ़ दी थी कि हॉरर फिल्म यानी खूनी हवेली, तहखाना, बंद दरवाज़ा, मेरा शिकार, शैतानी मांग, खजाना,पुरानी हवेली आदि। वही बत्ती का जलना बुझना, श्मशान घाट, सफ़ेद साड़ी में सुंदरी, दरवाजे की चर्र चूं। दूर टाउन हॉल की घंटे की आवाज़ ! मुंज्या  में ऐसा कुछ नहीं, लेकिन फिर भी यह फिल्म डराती है और हंसाती है। यह ट्रेडिशनल भूत वाली फिल्म नहीं है।

हॉरर-कॉमेडी फिल्म मुंज्या मुंजा दिनेश विजन की मैडॉक फिल्म कंपनी ने बनाई है जिसने स्त्री, भेड़िया, बदलापुर आदि बनाई थी।  डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार ने कोंकण की कहानी दिखाई है।  फिल्माया ऐसा कि समुद्र के तट पर गुजर रहा शख्स भी डरावना लगने लगता है। पीपल के पेड़ से रूह  कांपे! और साथ ही महाराष्ट्र रोडवेज घूमने का मन करे। गोवा क्या जाना, कोंकण चलो। लोककथा और आधुनिक परिवेश का ऐसा मसाला बनाया है जिसमें लव एंगल भी है और हॉरर भी। कॉमेडी भी है और इमोशन भी। हर चीज़ नए तरीके से।

यह ऐसी फिल्म है जो कहने को तो हॉरर सुपरनेचुरल कॉमेडी है, लेकिन इसे बेख़ौफ़ देखा जा सकता है। कई जगह कॉमेडी भी देखने को मिलेगी। इसका काला जादू और मुंज्या  की भटकती आत्मा डराते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा इसका पार्श्व संगीत डराता है। फिल्म का अंत अनपेक्षित है।  अभय वर्मा, शरवरी वाघ, मोना सिंह, सुहास जोशी, सत्यराज आदि का अभिनय अच्छा है।  

नए कलाकारों ने अच्छा काम किया है। डर, गुस्से, प्रतिशोध और प्रेम भाव चेहरे पर एक साथ लाना आसान नहीं होता। मुंजा एक ब्रह्मराक्षस है, जिसे सीजीआई (कंप्यूटर ग्राफिक इमेजिंग) की मदद से बनाया गया है।  यह पात्र इंग्लिश फिल्म ईटी के दूसरे  ग्रह से आया जीव या  'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' ट्रिलजी जैसा नजर आता है।  कॉक्रोच पात्र डर से ज्यादा घृणा पैदा करता है। वीएफएक्स परफेक्ट नहीं हैं लेकिन डराने का ही तो काम है इनका। यह काम हो जाता है।  

 यह फिल्म कोंकणी लोक कथा पर आधारित है।  कहा जाता है कि अगर कोई शख्स अपने मुंडन या उपनयन संस्कार के 10 दिन के भीतर गुज़र जाता है, तो वह ब्रह्मराक्षस बन जाता है।  उपनयन संस्कार को  मराठी में  'मुंज' कहते हैं। टाइटल कैरेक्टर का नाम है 'मुंजा', मगर लोग उसे मुंज्या पुकारते हैं।

दो घंटे से से थोड़ी बड़ी फिल्म है फिल्म है।  हॉरर या कॉमेडी पसंद हो तो देख सकते है।  झेलनीय है। 

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