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कॉमेडियन फॉरूक़ी के ख़िलाफ़ सबूत नहीं, फिर भी जेल में

कॉमेडियन फॉरूक़ी के ख़िलाफ़ सबूत नहीं, फिर भी जेल में

पुलिस कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ के पास कोई साक्ष्य नहीं पेश कर रही है, वह केस डायरी तक अदालत में नहीं रख सकी, लेकिन ज़मानत याचिका का विरोध कर रही है। 

क्या भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार समुदाय विशेष को निशाने पर ले रही है और समुदाय के लोगों को झूठे मामलों में फंसा रही है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि पुलिस कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ कोई साक्ष्य नहीं पेश कर रही है, वह केस डायरी तक अदालत में नहीं रख सकी, लेकिन ज़मानत याचिका का विरोध कर रही है। फ़ारूक़ी, कार्यक्रम के संयोजक और दूसरे लोगों को इंदौर की जेल में रखा गया है।

याद दिला दें कि मध्य प्रदेश के इंदौर में मशूहर कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी पर यह आरोप लगा कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान हिन्दू देवी-देवताओं और गृह मंत्री अमित शाह के बारे में अपमानजक टिप्पणियाँ कीं, हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया। इस आधार पर स्थानीय पुलिस ने फ़ारूक़ी और आयोजकों समेत चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। हालांकि पुलिस ने यह माना कि उसे मिले सीसीटीवी फ़ुटेज में किसी को अपमानित करने जैसी की कोई टिप्पण नहीं दिख रही है, पर किसी को पुलिस ने रिहा नहीं किया। 

सबूत नहीं

पुलिस ने 1 जनवरी को हुए इस कार्यक्रम के बाद नलिन यादव, प्रखर व्यास, प्रियम व्यास और एडविन एंथनी को गिरफ़्तार किया था। बाद में आयोजकों में से एक व्यक्ति के भाई को जो कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को भी गिरफ़्तार कर लिया गया। वह जब पुलिस हिरासत में अपने भाई का हालचाल पूछने गया तो पुलिस ने उसे वहीं गिरफ़्तार कर लिया। 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में शुक्रवार की सुनवाई के दौरान पुलिस ने माना कि उसके पास फ़ारूक़ी का अपराध साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। इतना ही नहीं, पुलिस इस मामले से जुड़ी केस डायरी तक अदालत में पेश नहीं कर सकी।

भावनाएँ भड़काने का आरोप

इसके बावजूद उसने ज़मानत याचिका का विरोध किया। अदालत ने ज़मानत देने से इनकार कर दिया। इस मामले की सुनवाई अब अगले हफ़्ते होगी। 

फ़ारूक़ी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना) और धारा 269 (छुआछूत से फैलने वाले रोग फैलाने के लिए ग़ैरक़ानूनी तरीके से लापरवाही बरतने) के तहत मामला दायर किया गया है।

फ़ारूकी और यादव के वकील अंशुमान गायकवाड़ ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि आपराधिक मामलों के फ़ैसले अनुमान या किसी धारणा के आधार पर नहीं किए जाते, पर इस मामले में यह मान लिया गया कि क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। 

क़ानून व्यवस्था

इंदौर के तुकोगंज थाने ने अदालत में कहा कि प्रखर और प्रियम ने कार्यक्रम का आयोजन किया और उन्होंने भी हिन्दू देवी-देवताओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक बातें कहीं। उसने ज़मानत खारिज करने की मांग इस आधार पर की कि इससे उज्जैन और इंदौर में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाएगी। 

इसमें नलिन के छोटे भाई की स्थिति अजीब है। वह 17 साल का है, 11वीं का छात्र है और उसने मंच पर अपना कार्यक्रम पेश भी नहीं किया था। उसने कहा है कि उसने तो कोई बात ही नहीं कही थी। 

बचाव पक्ष के वकील का यह भी कहना है कि सदाक़त को इस मामले में किसी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है। वह इंदौर अपनी दादी से मिलने गया हुआ था। 

25 शो हो चुके

फ़ारूक़ी के टूअर मैनेजर विशेष अरोड़ा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि फ़ारूक़ी नवंबर से ही यह शो कई जगह कर चुके हैं, वे अब तक 25 कार्यक्रम पेश कर चुके हैं और 20 कार्यक्रमों की योजना बन चुकी है। पर दिसंबर में उन्हें ऑनलाइन धमकियाँ मिलीं। पर मुनव्वर ने तय किया कि वे पहले की तरह ही कार्यक्रम करते रहेंगे। 

तुकोगंज थाने के प्रभारी कमलेश शर्मा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में यह माना कि मुनव्वर फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जो पुलिस को जो टेप पेश किए गए हैं, उनमें सामान्य हंसी-मजाक हैं। लेकिन एक टेप में कथित तौर पर भगवान गणेश पर टिप्पणी की गई है। 

फ़ारूक़ी का एक वीडियो बहुत ही लोकप्रिय हुआ है, जिसमें वे देश के बँटवारे के समय जूनागढ़ के पाकिस्तान के हाथों लगभग चले जाने और गोधरा दंगों की बात करते हैं। 

सवाल यह उठता है कि जब पुलिस ख़ुद यह कह रही है कि उसके पास कोई सबूत नहीं है तो उसने गिरफ़्तार क्यों किया। गिरफ़्तारी के बाद वह बग़ैर सबूत के ज़मानत का विरोध क्यों और कैसे कर रही है।

यह मामला संवेदनशील इसलिए भी है कि मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को परेशान करने की कई वारदात हुई हैं। वहाँ विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए चंदा माँगने का काम शुरू किया और मुसलिम बहुल इलाक़ों में मसजिदों के सामने जाकर नारे लगाए। उसके बाद वहाँ सांप्रदायिक तनाव हुआ। 

फ़ारूक़ी के मामले में हिन्दू देवी- देवताओं के अपमान की बात कही जा रही है, पर कोई सबूत नहीं दिया जा रहा है। 

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