पाकिस्तान: मुंबई हमले के मास्टरमाइंड लखवी को 15 साल की जेल
26/11 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड ज़की उर रहमान लखवी को लाहौर की एक अदालत ने शुक्रवार को 15 साल जेल की सजा सुनाई है। लखवी को यह सजा आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के मामले में सुनाई गई है। संयुक्त राष्ट्र के द्वारा आतंकी घोषित किया गया लखवी मुंबई हमले के मामले में 2015 से जमानत पर था। इससे पहले गुरूवार को पाकिस्तान की एक आतंक विरोधी अदालत ने जैश-ए-मुहम्मद के चीफ़ मसूद अज़हर के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी का वारंट जारी किया था।
2 जनवरी को पाकिस्तान ने घोषणा की थी कि उसने इस दहशतगर्द को गिरफ़्तार कर लिया है।
पाकिस्तान के लिए आतंकियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करना बेहद ज़रूरी है क्योंकि उस पर फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की तलवार लटकी है और वह इसकी ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए छटपटा रहा है।
इससे पहले अगस्त महीने में भी पाकिस्तान ने 88 प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके आकाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। मुल्क़ की इमरान ख़ान सरकार ने दाऊद, कुख़्यात आतंकी हाफिज़ सईद और मसूद अज़हर पर कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगाए थे। इमरान सरकार ने इनके बैंक खातों और संपत्तियों को सीज करने के आदेश दिए थे।
एफ़एटीएफ़ ने पाकिस्तान को जून, 2018 से ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है और उस पर इसके लिए भारी दबाव है कि वह आतंकी संगठनों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे। पाकिस्तान इस बात की जांच करने में फ़ेल साबित हुआ है कि आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद को पैसा कहां से मिल रहा है।
एफ़एटीएफ़ कई देशों का संगठन है, जो आतंकवाद को वित्तीय मदद देने और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों पर नज़र रखता है।
पाकिस्तान को बेहद ख़राब आर्थिक हालात से निकलने के लिए एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट से बाहर आना ही होगा और इसीलिए आतंकियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई को करना उसके लिए ज़रूरी है।
क्योंकि अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बने रहता है तो उसके लिए इंटरनेशनल मोनेटरी फ़ंड (आईएमएफ़), विश्व बैंक, एडीबी आदि संस्थाओं से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।