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मुंबई: अब बीएमसी चुनाव जोर-शोर से लड़ने की तैयारी में है आप

मुंबई: अब बीएमसी चुनाव जोर-शोर से लड़ने की तैयारी में है आप

क्या आम आदमी पार्टी के बीएमसी चुनाव में उतरने से कांग्रेस और महा विकास आघाडी को नुकसान होगा? क्या आम आदमी पार्टी को दिल्ली, पंजाब, गुजरात की तरह मुंबई में भी वोट मिलेंगे?

आम आदमी पार्टी अब बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के चुनाव में जोर-शोर से उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी की मुंबई इकाई ने कहा है कि उसने पिछले 1 महीने में एक लाख से ज्यादा नए सदस्यों को पार्टी से जोड़ा है। वह जोर-शोर से मुंबई में सदस्यता अभियान चला रही है। 

आम आदमी पार्टी ने सदस्यता अभियान को ‘मुंबई में भी केजरीवाल’ का नाम दिया है। मुंबई में जल्द ही बीएमसी के चुनाव का ऐलान हो सकता है। 

आप के बढ़ते कदम 

बताना होगा कि आम आदमी पार्टी नवंबर 2012 में अपनी स्थापना के 10 साल के भीतर ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली है। इस दौरान उसने 2013, 2015 और 2020 में दिल्ली में सरकार बनाई है। साल 2015 और 2020 में तो उसने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की थी। साल 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में भी वह जोरदार जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी। 

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हाल ही में उसने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव में 15 साल से सत्ता में बैठी बीजेपी को सत्ता से हटा दिया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के गढ़ गुजरात में उसने 13 फीसद वोट हासिल किए हैं। इसे निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन कहा जा सकता है। इसके बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं के हौसले बुलंद हैं और वे दूसरे राज्यों में सियासी विस्तार की कोशिशों में जुटे हैं। 

आम आदमी पार्टी साल 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। लेकिन इससे पहले वह बीएमसी के चुनाव में हाथ आजमाना चाहती है। 

आम आदमी पार्टी की मुंबई इकाई की संयोजक प्रीति शर्मा मेनन ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि ‘मुंबई में भी केजरीवाल’ अभियान को जोरदार रिस्पांस मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मुंबई और मुंबईकर बीएमसी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट देने के लिए तैयार हैं। 

सदस्यता अभियान को जोर-शोर से चलाने के लिए आम आदमी पार्टी वाहनों के जरिए भी चुनाव प्रचार कर रही है और कई जगहों पर उसके नेता व कार्यकर्ता जनता के बीच में जाकर चुनाव अभियान चला रहे हैं। 

बदले सियासी हालात

महाराष्ट्र में इस साल जून में शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के बाद सियासी समीकरण तेजी से बदल गए हैं। शिवसेना का उद्धव गुट बड़ी संख्या में शिवसेना के विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों के एकनाथ शिंदे गुट के साथ जाने की वजह से कमजोर हुआ है जबकि एकनाथ शिंदे गुट सत्ता में होने की वजह से ताकतवर हुआ है। 

साल 2019 तक बीजेपी और शिवसेना मिलकर बीएमसी का चुनाव लड़ते थे और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बीजेपी का नेता बैठता था जबकि बीएमसी के मेयर की कुर्सी शिवसेना को मिलती थी। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं।

आप से होगा मुकाबला: बीजेपी

मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा है कि बीएमसी के चुनाव में उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी से होगा। उन्होंने कहा कि बाकी राजनीतिक दलों का मुंबई में अब कोई आधार नहीं रह गया है। शायद बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी यहां कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव गुट को मिलने वाले वोटों में सेंध लगा सकती है और अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है। 

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मनसे अकेले उतरेगी

इसके साथ ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने बीएमसी के चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान किया है। राज ठाकरे ने बीते महीनों में हिंदुत्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और खुद को जिंदा करने की कोशिश की थी। ऐसा माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना विपक्षी दलों को मिलने वाले वोटों का बंटवारा कर सकते हैं। 

दूसरी ओर, महा विकास आघाडी में शामिल शिवसेना का उद्धव गुट, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। 

बीएमसी के बजट की बात की जाए तो इसका सालाना बजट लगभग 46000 करोड़ रुपए है जो देशभर के कई छोटे राज्यों के बजट से ज्यादा है। इसलिए यह नगर निगम बेहद ताकतवर है और इस पर कब्जे के लिए जबरदस्त जंग होती है।

क्यों अहम हैं बीएमसी चुनाव?

शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के बाद बीएमसी चुनाव शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के साथ ही महा विकास आघाडी और एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी के लिए भी बेहद अहम हैं। क्योंकि उसके बाद साल 2024 का लोकसभा चुनाव और उसके छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव भी अब दूर नहीं हैं। बीएमसी चुनाव में जीत हासिल करने वाले दल को आने वाले चुनावों के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलेगी। 

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2017 के बीएमसी के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था और तब बीजेपी को 82 सीटों पर शिवसेना को 84 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस को 31, एनसीपी को 7 और मनसे को 6 सीटों पर जीत मिली थी। बीएमसी में पिछले 25 सालों से शिवसेना का ही मेयर बनता रहा है लेकिन इस बार पार्टी के भीतर जो जबरदस्त टूट हुई है उसके बाद सवाल यही है कि क्या शिवसेना महा विकास आघाडी के दलों के साथ मिलकर फिर से अपना मेयर बना पाएगी। 

बीएमसी के चुनाव में उत्तर भारतीय विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार के मतदाता विशेष भूमिका अदा करते हैं। उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या मुंबई में 30 फीसद है। 

कांग्रेस को होगा नुकसान?

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचाया। दिल्ली में तो उसने कांग्रेस को साफ कर दिया जबकि पंजाब में बेहद कमजोर कर दिया। इसी तरह गुजरात में इस बार कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस को भी इस बात का डर है कि आम आदमी पार्टी अगर बीएमसी के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही तो इसका सीधा नुकसान उसे और महा विकास आघाडी को हो सकता है। 

देखना होगा कि आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बीएमसी के चुनाव में कैसा रहेगा। 

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