आईपीएल : कैरेबियाई-ऑस्ट्रेलियाई जैसी महानता की राह पर मुंबई इंडियंस!
रोहित शर्मा को भले ही टीम इंडिया के लिए गिनती भर के मैचों में (वो भी सिर्फ गेंद की क्रिकेट में) कप्तानी करने का मौका मिला हो, लेकिन अपनी शानदार सूझबूझ और क्रिकेट की बेहतरीन समझ रखने के चलते उनका रुतबा ख़ास है।
ख़ासकर यह देखते हुए कि दुनिया की सबसे बड़ी लीग आईपीएल में उन्होंने एक ख़ास मुकाम हासिल किया है।
जीत की हैट्रिक?
2013 में अचानक रोहित को मुंबई की कप्तानी मिली और तब से लेकर अब तक उन्होंने दनादन 5 ट्रॉफी अपनी टीम को जीत कर दी है। आलम यह है कि आईपीएल के इतिहास में उनके पास जीत की हैट्रिक पूरा करने का मौका भी इस साल है जो सिर्फ इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी के पास 2011 में आया था लेकिन वह इसे हासिल नहीं कर पाए थे।
टी20 में रुतबा
रोहित छठी बार खिताब जीतें या ना जीतें, लेकिन टी-20 क्रिकेट में उनकी कप्तानी की विरासत को शायद इतिहास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की असाधारण टीमों के साथ याद रखे। यह सच है कि टेस्ट क्रिकेट और वन-डे क्रिकेट के स्तर की तुलना आईपीएल से सही नहीं है। लेकिन, अगर किसी क्रिकेट टीम के लंबे समय तक दबदबे वाले रुतबे की बात जब भी होगी तो टी20 फॉर्मेट में मुंबई इंडियंस का नाम निश्चित तौर पर आयेगा।
ख़िताब का दावेदार!
जिस टूर्नामेंट के एक मैच में भी विजेता की भविष्याणी करना ख़तरे से खाली नहीं वहाँ तमाम जानकार और फैन्स पिछले कुछ सीज़न के शुरू होने से पहले ही मुंबई को ख़िताब का सबसे बड़ा दावेदार मान लेते हैं। मजेदार बात यह है कि ये टीम उन उम्मीदों पर खरे उतरते हुए बेहद सहजता से फाइनल जीत लेती है।
मुंबई इंडियंस की कुछ ख़ास बातें उन्हें टी20 फॉर्मेट की विलक्षण टीम बनाती है। आलम यह है कि हाल ही में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने यह तक कह डाला था कि मुंबई की टीम टी20 में टीम इंडिया से भी मजबूत है।
कई मायनों में रोहित शर्मा की टीम 1980 के दशक में वेस्टइंडीज़ के और 1995 से 2005 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई टीम की याद दिलाती है जिनके पास बेजोड़ प्रतिभाओं का असीमित संसाधन था।
कैरेबियाई टीम से तुलना
अगर कैरेबियाई टीम के पास विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, मशहूर पेस चौकड़ी, गॉर्डन ग्रीनीज़-डेसमेंड हैंस जैसे ओपनर्स थे जिन्होंने उस टीम को टेस्ट और वन-डे में कई सालों तक राज करने का मौका दिया तो कंगारुओं के पास भी एक साथ ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली और जेसन गिलेस्पी जैसे ख़तरनाक तेज़ गेंदबाज़ थे तो रिकी पोटिंग, ऐडम गिल्क्रिस्ट, मैथ्यू हेडेन औऱ शेन वार्न समेत एक साथ कई मैच-विनर।
दरअसल, मुंबई इंडियंस ने देर से ही सही आईपीएल में भी क्रिकेट के इसी कामयाब फॉर्मूले को आजमाया। अगर उन टीमों के पास नैसर्गिक प्रतिभा खुद ब खुद राष्ट्रीय टीम में आती थी तो मुंबई ऑक्शन में अपनी पूरी ताक़त और पैसे झोंककर हर मनपंसद खिलाड़ी को टीम में शामिल कर ही लेती है।
शानदार स्पिनर
पहले दो सीज़न के साधारण खेल के बाद मुंबई ने जान लिया कि अगर धाकड़ खेल दिखाना है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के तेज़ गेंदबाज़ों के साथ-साथ शानदार स्पिनर का टीम में होना बेहद ज़रूरी है और इसलिए लसित मलिंगा, ज़हीर ख़ान, हरभजन सिंह और केरान पोलार्ड (जो बेहतरीन बल्लेबाज़ भी हैं) को 2010 में एक साथ खिलाया और इस चौकड़ी ने टूर्नामेंट में 62 विकेट लेकर पहली बार मुंबई को फ़ाइनल में ले आये।
चाहे वह 80 की कैरेबियाई टीम रही हो या फिर 90 के दशक वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम- एक आक्रामक सोच वाले कोच और कप्तान की अहमियत से दोनों वाकिफ थे।
2013 में मुंबई इंडियंस की किस्मत बदलना महज़ इत्तेफाक ही नहीं था। अनिल कुंबले टीम के साथ मेंटोर के तौर पर जुड़े, जॉन राइट कोच कम हेड टैलेंट स्कॉउट और रिकी पोटिंग कप्तान। ये अदभुत तिकड़ी थी जिसके लिए जीत का जूनून सर्वोपरि था।
अहम बदलाव
2013 में मुंबई इंडियंस की किस्मत बदलना महज़ इत्तेफाक ही नहीं था। अनिल कुंबले टीम के साथ मेंटोर के तौर पर जुड़े, जॉन राइट कोच कम हेड टैलेंट स्कॉउट और रिकी पोटिंग कप्तान। ये अदभुत तिकड़ी थी जिसके लिए जीत का जूनून सर्वोपरि था।अगर कुंबले ने कभी भी किसी हालात में हार नहीं मानने का मंत्र फूँका तो राइट के पास वह धैर्य और संयम था जो संकट के समय में टीम को एक-सूत्र में बाँधने के लिए काफी अहम होता है। पोंटिंग के पास ऑस्ट्रेलिया की वह निर्दयी टीम भावना थी जिसमें कप्तान अगर खुद संघर्ष कर रहा होता है तो वो खुद को ड्रॉप करने से हिचकता नहीं।
पोटिंग ने 2013 में वही किया और बीच सीज़न में रोहित शर्मा को कप्तानी दे दी और बस उसके बाद जो हुआ वो तो इतिहास का हिस्सा है।
ज़बरदस्त प्रभुत्व वाली कैरेबियाई और ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जीत के सिलसिले के बावजूद बदलाव को हमेशा ज़रूरी समझा। कामयाबी के नशे में चूर होकर इत्मिनान से कभी बैठे नहीं। उसी तर्ज पर मुंबई इंडियंस भी लगातार बदलाव करने से कभी नहीं हिचकी और जीत के बावजूद भी भविष्य की हमेशा उन्होंने योजना बनायी। यही वजह रही कि 2017 में श्रीलंका के माहेला जयावर्द्धने को हेड कोच बना कर लाया गया। आईपीएल इतिहास के सबसे कामयाब गेंदबाज़ और टीम की एक अहम पहचान वाले गेंदबाज़ मलिंगा को 2018 में गेंदबाज़ी कोच की भूमिका भी दे गई।
लेकिन, जो सबसे अहम फ़ैसले मुंबई ने लिये वो था लगातार तेज़ गेंदबाज़ों के फ्रंट पर कभी मिचेल जॉनसन तो कभी मिचेल मैक्लाघेन, कभी ट्रेंट बोल्ट तो कभी जेम्स पैटिसन, कभी नेथन कूलटर नाएल तो कभी अलज़ारी जोज़फ पर मुंबई लगातार अपना भरोसा बनाए रखना। मुंबई को पता था कि टूर्नामेंट जीतने के लिए 1 या 2 नहीं बल्कि कम से कम 4 शानदार तेज़ गेंदबाज़ होने ही चाहिए।
प्रतिभाओं की खोज
इतना ही नहीं भारत में बेशुमार प्रतिभाओं को खोजने और तराशने के लिए मुंबई इंडियंस ने ख़ास रवैया अपनाया। हर गुमनाम टी20 टूर्नामेंट को देखने और अध्ययन करने का जो सिलसिला मुंबई ने शुरू किया।
एक और बात मुंबई इंडियंस की जो क्रिकेट की महानतम टीमों के साथ मेल खाती है, वह यह कि औसत दिखने वाले खिलाड़ी का भी खेल इस टीम के साथ चमक जाता है।
शानदार गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों की फौज़ के अलावा मुंबई के पास कम मशहूर और अक्सर लो-प्रोफाइल रखने वाले ईशान किशन, सूर्यकुमार यादव, क्रुणाल पंड्या और राहुल चाहर जैसे खिलाड़ी भी हैं जो नियमित तौर पर अच्छा खेल दिखाते हैं।
वेस्टइंडीज़ के लिए यह भूमिका कोलिन क्राफ्ट, गस लौगी जैसे खिलाड़ी निभाया करते थे और ऑस्ट्रेलिया के जस्टिन लैंगर और डेमियन मार्टिन जैसे खिलाड़ी।
वेस्टइंडीज़ की उस अपराजेय टीम ने टेस्ट क्रिकेट में करीब 15 साल और 29 सीरीज़ में हार का मुंह नहीं देखा और लगातार 3 बार वन-डे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुँचे और 2 बार चैंपियन भी बने।
ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लगातार 16 टेस्ट जीतने का रिकॉर्ड ना सिर्फ एक बल्कि दो बार बनाया और वन-डे वर्ल्ड कप में 1996 से 2007 तक लगातार रिकॉर्ड 4 बार फाइनल में पहुँचे और 3 बार चैंपियन भी बने। आईपीएल 2021 में अगर रोहित शर्मा जीत की हैट्रिक बनाते हुए छठा ख़िताब जीततें है तो शायद कैरेबियाई और ऑस्ट्रेलियाई प्रभुत्व के दौर को याद करने वाले आधुनिक समय में इस टीम की मिसाल देने से ना हिचकें।