+
अस्पताल में मरीज़ से क्रूरता! पैसे नहीं चुकाए तो वृद्ध को बेड से बांधा

अस्पताल में मरीज़ से क्रूरता! पैसे नहीं चुकाए तो वृद्ध को बेड से बांधा

भोपाल से लगे शाजापुर ज़िले में एक प्राइवेट अस्पताल द्वारा वृद्ध मरीज़ के साथ बेहद अमानवीय व्यवहार किये जाने की तसवीर सामने आयी है। 

भोपाल से लगे शाजापुर ज़िले में एक प्राइवेट अस्पताल द्वारा वृद्ध मरीज़ के साथ बेहद अमानवीय व्यवहार किये जाने की तसवीर सामने आयी है। ग्यारह हज़ार रुपये का बकाया बिल नहीं चुका पाने पर मरीज़ को बेड से बांध दिया गया। मामले से जुड़े वीडियो और फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर अस्पताल के ख़िलाफ़ जाँच बिठाई गई है।

मामला शाजापुर शहर के प्राइवेट नर्सिंग होम ‘सिटी हॉस्पिटल’ से जुड़ा है। पेट में तकलीफ़ के चलते राजगढ़ ज़िले के रूनायरा गाँव निवासी लक्ष्मी नारायण दांगी (65 वर्ष) को एक जून को सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

लक्ष्मी नारायण की पुत्री शीला दांगी का आरोप है कि चार दिनों में इस हॉस्पिटल ने 20 हजार रुपये से ज़्यादा का बिल बना दिया। दो बार में 11 हजार (पहली बार छह और दूसरी मर्तबा पाँच हज़ार) का भुगतान किया। आराम न मिलने पर जब पिता को डिस्चार्ज करने को कहा तो अस्पताल ने पुनः 11 हजार 270 रुपये का बिल दे दिया।

शीला के अनुसार उसने अपनी ग़रीबी की दुहाई देते हुए बिल चुकाने में असमर्थता जताई। इसके बाद अस्पताल क्रूर हो गया। उसने बकाया चुकाये बिना पिता को छोड़ने से न केवल इनकार कर दिया, बल्कि उन्हें उसी बेड से बांध दिया जिस पर वह लेटे हुए थे।

शीला ने बताया उसके रिश्तेदारों ने बेड से बंधे पिता की कुछ तसवीरें और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाले। तसवीरें और वीडियो वायरल हुए तो हड़कंप मच गया। मीडिया का जमघट भी अस्पताल में लगा। बाद में अस्पताल ने बिना बकाया वसूले उसके पिता को सरकारी अस्पताल में ले जाने की अनुमति देते हुए छोड़ दिया।

सीएम बोले- क्रूरतम व्यवहार, दोषी बख्शे नहीं जायेंगे

शाजापुर के सिटी हॉस्पिटल से जुड़ा वीडियो और फ़ोटो, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के संज्ञान में आये तो उन्होंने तीखी नाराज़गी जताई। सीएम ने ट्वीट कर कहा, ‘शाजापुर के एक अस्पताल में वरिष्ठ नागरिक के साथ क्रूरतम व्यवहार का मामला संज्ञान में आया है। दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा, सख़्त कार्रवाई की जायेगी।’

शनिवार रात 10 बजे तक चली जाँच

सीएम के ट्वीट के बाद शाजापुर ज़िला प्रशासन हरकत में आ गया। एसडीएम ब्रजलाल सोलंकी की अगुवाई में एक दर्जन सदस्यों वाली टीम शनिवार देर शाम सिटी हॉस्पिटल पहुँची और देर रात तक जाँच-पड़ताल की। हॉस्पिटल के प्रबंधन और अन्य स्टाफ़ के साथ-साथ संचालक डॉक्टर वरुण बजाज के बयान भी लिये गये। मामले को लेकर ‘सत्य हिन्दी’ ने शाजापुर कलेक्टर दिनेश जैन और एसडीएम ब्रजलाल सोलंकी से रविवार को संपर्क किया, लेकिन दोनों ही टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके।

हॉस्पिटल संचालक की सफ़ाई

सिटी हॉस्पिटल के संचालक डाॅक्टर वरुण बजाज ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘रोगी लक्ष्मी नारायण को पेट की आँतों में तकलीफ़ थी। एक जून को उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। लक्ष्मी नारायण दूसरे दिन ठीक हो गये थे, लेकिन खाना ना खिलाने की एहतियात को नज़रअंदाज़ करने तथा उन्हें परिजनों द्वारा खाना खिला दिये जाने पर अगले दिन उनकी हालत बिगड़ी। मिर्गी के झटके आये तो सावधानी के लिए उन्हें बेड से बांधा गया। बेटी और परिजनों को बताकर यह किया (बेड से बांधा गया) और परिजनों को उनकी निगरानी के लिये बैठाया गया कि गिर ना जाएँ इस बात का ध्यान रखें।’

डाॅक्टर बजाज के मुताबिक़ तमाम जाँच-पड़ताल के साथ बेड, डाॅक्टर और पैरामेडिकल सुविधाओं से जुड़ी पाँच दिनों की सुविधाओं का कुल बिल 21 हज़ार के क़रीब बना था।

डाॅक्टर बजाज ने कहा, ‘रोगी की बेटी शीला ने बकाया बिल देने से इनकार किया तो उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस को की। पुलिस आयी तो शीला ओर परिजन उससे भी भिड़े। बाद में शीला ने पुलिस को लिखकर दिया। पुलिस के आश्वासन और निर्देश पर बिना बकाया बिल लिये लक्ष्मी नारायण को ज़िला अस्पताल ले जाने की अनुमति दे दी गई। इसके बाद वे ज़िला अस्पताल चले गये।’

डाॅक्टर बजाज ने कहा, ‘कब वीडियो बनाया गया? कब फ़ोटो लिये गये? इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है।’ डाॅक्टर बजाज ने यह भी कहा, ‘वीडियो और फ़ोटो को जिस तरीक़े से पेश किया गया, वह क़तई सही नहीं है। ज़िला प्रशासन द्वारा की गई जाँच में हमने इस बारे में प्रमाण भी दे दिये हैं।’

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें