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किसान का सुसाइड नोट- सरकार मेरे शव के अंग बेच बकाया चुका ले

किसान का सुसाइड नोट- सरकार मेरे शव के अंग बेच बकाया चुका ले

मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में बिजली का बकाया बिल नहीं चुकाये जाने पर कुर्की की कार्रवाई से आहत एक युवा किसान ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में बिजली का बकाया बिल नहीं चुकाये जाने पर कुर्की की कार्रवाई से आहत एक युवा किसान ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘मरने के बाद उसका शव सरकार को सौंप दिया जाये ताकि वह (सरकार) उसके शरीर के अंग बेचकर बिजली बिल के बकाया 88 हज़ार रुपये चुका सके।’ शिवराज सरकार ने मामले की जाँच के आदेश दिये हैं।

घटना छतरपुर ज़िले के मातगुवाँ कस्बे की है। मुनेंद्र राजपूत (35 वर्ष) नामक युवक का शव गुरुवार को खेत में आम के पेड़ से लटका मिला था। मुनेंद्र चक्की भी चलाता था। मृतक के पास से तीन पेजों का सुसाइड नोट भी मिला।

मुनेंद्र ने सुसाइड नोट में अपनी तमाम परेशानियों का ज़िक्र किया है। कोरोना के बाद लगे लाॅकडाउन का विशेष ज़िक्र है। नोट में उसने कहा है, ‘लाॅकडाउन के बाद से काम ठप था। एक भैंस की करंट लगने से मौत हो गई। तीन भैंस चोरी हो गयीं। खेती से कोई आमदनी नहीं होने की वजह से बिजली का बकाया बिल नहीं चुका पा रहा हूँ।’

सुसाइड नोट में उसने यह भी लिखा है कि - ‘उसके मरने के बाद शव सरकार को सौंप दिया जाये, ताकि सरकार उसके अंगों को बेचकर बिजली का बकाया बिल चुका दे।’

बताया गया है कि मुनेंद्र पर साल 2018 से बिजली का बिल बकाया था। कई बार नोटिस के बाद भी वह बिल नहीं चुका रहा था। 

कुल क़रीब 88 हज़ार का बिल मुनेंद्र पर बकाया हो गया था। बीते सोमवार को बिजली विभाग की टीम मुनेंद्र के यहाँ पहुँची थी।

मुनेंद्र के भाई लोकेन्द्र राजपूत ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि, ‘भाई ने बिजली विभाग की टीम से अनुरोध किया था कि टीम उसके समान की जब्ती और कुर्की की कार्रवाई ना करे। वह 10 से 15 हजार रुपये तत्काल जमा करने को तैयार है। बकाया राशि फ़सल आने पर जमा करने का भरोसा उसने दिया था, लेकिन टीम ने उसकी एक नहीं सुनी। सामान जब्त करने के साथ अन्य कार्रवाई को लेकर जबरन उससे दस्तख़त करवा लिये। इससे वह सदमे में आ गया और उसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली।’

उधर बिजली कंपनी छतरपुर संभाग के कार्यपालन यंत्री आर.के. पाठक का कहना है, ‘मुनेंद्र किसान नहीं था। उसका चक्की उद्योग था। व्यावसायिक कनेक्शन मुनेंद्र ने ले रखा था। दो-तीन नोटिस के बाद बिल नहीं चुकाया। इसके बाद आरसीसी जारी की गई। बाद में भी अवसर दिये गये, लेकिन फिर भी बिल जमा नहीं हुआ तो पुलिस के साथ कुर्की की कार्रवाई विभाग को करना पड़ी।’

मुनेंद्र के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटियाँ और एक बेटा है। चारों बच्चे अभी छोटे हैं। परिवार में मुनेंद्र अकेला ही कमाने वाला था। उसकी मौत के बाद पूरे परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है। पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।

मुनेंद्र की आत्महत्या के बाद राजनीति!

घटना के बाद से राजनीति तेज़ है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किसान की आत्महत्या के इस मामले पर शिवराज सरकार को निशाने पर लिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता का आरोप है, ‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनकी सरकार किसानों के हितों का केवल ढिंढोरा पीटती है। किसानों के हालात पूरे मध्य प्रदेश में छतरपुर ज़िले के मुनेंद्र राजपूत सरीखे के ही हैं। सस्ती बिजली महज दिखावा है। किसानों को बिजली के बकाया बिलों की राशि के अलावा अन्य ज़रूरतों को लेकर भी सरकारी लोग बुरी तरह परेशान कर रहे हैं।’

एसपी ने कहा- मामले की जाँच कर रहे हैं

छतरपुर एसपी सचिन शर्मा और डीआईजी विवेक राज सिंह ने मौक़े का मुआयना किया है। एसपी शर्मा का कहना है कि बिजली कंपनी के बकाया और सुसाइड नोट की पूरी पड़ताल पुलिस द्वारा की जा रही है। जाँच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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