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ख़ुफिया चूक से दोबारा आईएसआई नेटवर्क से जुड़े थे, फिर पकड़े गए

ख़ुफिया चूक से दोबारा आईएसआई नेटवर्क से जुड़े थे, फिर पकड़े गए

भारत और पाकिस्तान में बढ़े तनाव के बीच टेरर फ़ंडिंग को लेकर सतना शहर में पकड़े गए एक ‘मॉड्यूल’ ने मध्य प्रदेश पुलिस के होश फाख्ता कर दिए हैं। मॉड्यूल के तार आईएसआई से जुड़े होने के पुख्ता सबूत मिले हैं।

अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। इस तनाव के बीच टेरर फ़ंडिंग को लेकर सतना शहर में पकड़े गए एक ‘मॉड्यूल’ ने मध्य प्रदेश पुलिस के होश फ़ाख्ता कर दिए हैं। मॉड्यूल के तार आईएसआई से जुड़े होने के पुख्ता सबूत मिले हैं। युद्ध से जुड़ी अहम जानकारियों के अलावा आईएसआई के जासूसों को यह मॉड्यूल आर्थिक मदद पहुँचा रहा था। पकड़े गए तीन आरोपियों को राज्य के एटीएस ने रिमांड पर लिया है।

चौंकाने वाला तथ्य यह है कि एमपी एटीएस ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट पर 2017 में भी पाकिस्तानी जासूसों को पैसा पहुँचाने के आरोप में सतना के बलराम सिंह को गिरफ़्तार किया था। बलराम सिंह की गिरफ़्तारी के बाद जबलपुर, भोपाल और ग्वालियर से भी एक दर्ज़न से ज़्यादा गिरफ़्तारियाँ हुई थीं। बाद में बलराम सिंह भोपाल सेंट्रल जेल से जमानत पर छूट गया था। इंटेलिजेंस को उस पर नज़र रखनी थी, लेकिन खुफ़िया तंत्र चूक कर गया। इंटेलिजेंस के सक्रिय न होने के चलते बलराम ने फिर टेरर फ़ंडिंग का नेटवर्क खड़ा कर लिया। एमपी में सक्रिय इस मॉड्यूल के ज़रिए पाकिस्तानी हैंडलर्स ने फिर भारत में फैले अपने जासूसों को फ़ंडिंग करना शुरू कर दिया।

मध्य प्रदेश पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मॉड्यूल से पूछताछ में रोज़ नए ख़ुलासे हो रहे हैं। अब सामने आया है कि मध्य प्रदेश में फैला मॉड्यूल पिछले कुछ महीनों में बिहार और पश्चिम बंगाल के कई खातों में लाखों रुपए ट्रांसफ़र कर चुका है। मध्य प्रदेश एटीएस के साथ बिहार और पश्चिम बंगाल की सुरक्षा एजेंसियाँ भी इन खातों की जाँच-पड़ताल कर रही हैं।

100 पाकिस्तानी हैंडलर्स के नंबर मिले

बता दें कि सतना पुलिस ने पिछले हफ़्ते टेरर फ़ंडिंग के नेटवर्क से जुड़े बलराम के अलावा उसके दो साथी सुनील सिंह और शुभम मिश्रा को गिरफ़्तार किया है। आरोपियों का पाकिस्तानी कनेक्शन सामने आने के बाद एमपी एटीएस ने इन सभी आरोपियों को अपनी कस्टडी में ले लिया है। एटीएस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। आरोपियों ने पूछताछ में इस बात का ख़ुलासा किया है कि वे पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स के निर्देश पर काम कर रहे थे। आरोपी पाकिस्तानी हैंडलर्स से इंटरनेट कॉलिंग से बातचीत करते थे। उनके पास से 100 पाकिस्तानी हैंडलर्स के नंबर भी मिले हैं।

सूत्रों के अनुसार आरोपियों ने पूछताछ में बिहार और पश्चिम बंगाल के कई बैंक खातों में लाखों रुपए ट्रांसफ़र करने की बात स्वीकारी है। यह भी सामने आया है कि मध्य प्रदेश का मॉड्यूल कमीशन पर काम करता था। इनकम टैक्स से बचने के लिए 50 हज़ार रुपये के भीतर की रक़म ही ट्रांसफ़र की जाती थी।

सूत्रों ने दावा किया है कि मॉड्यूल द्वारा जिन भी खातों में राशि ट्रांसफ़र की गई है वह सभी आईएसआई एजेंटों के हैं। ये एजेंट भारत में रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी का काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश पुलिस ने पूरे मामले से केंद्रीय एजेंसियों को भी अवगत करा दिया है। केंद्र की एजेंसियाँ भी सक्रिय हो गई हैं।

रुपये भेजने और पाने वाले एक-दूसरे को नहीं जानते

एमपी पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आशुतोष प्रताप सिंह के अनुसार आरोपियों ने बिहार और पश्चिम बंगाल के कई खातों में राशि पहुँचाई है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि राशि भेजने और प्राप्त करने वाला एक-दूसरे को नहीं जानता है। सिंह के अनुसार ऐसे हरेक खाते की जाँच मध्य प्रदेश एटीएस कर रही है। मॉड्यूल के दूसरे राज्यों से कनेक्शन समेत पूरे मामले से जुड़ी अन्य अहम जानकारियाँ भी जुटाई जा रही हैं।

पकड़े गए आरोपियों के ख़िलाफ़ एटीएस ने भारतीय दंड विधान की धारा 123 (युद्ध करने की परिकल्पना को सुगम बनाने के आशय से छिपाना) के तहत मामला दर्ज किया है।

दिग्विजय ने शिवराज को निशाने पर लिया

सतना में टेरर फ़ंडिंग रैकेट के पदार्फ़ाश होने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को निशाने पर लिया है। दिग्विजय सिंह ने टेरर फ़ंडिंग मामले के इ को पूर्व में अभियुक्तों को मिली ज़मानत के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से स्पष्टीकरण भी माँगा है। दिग्विजय सिंह ने सवाल किया है शिवराज सिंह चौहान सरकार ने टेरर फ़ंडिंग मामले के अभियुक्तों की ज़मानत कैसे हो जाने दी थी? उन्होंने ये भी पूछा कि यदि अभियुक्तों को ज़मानत मिल भी गई थी तो तत्कालीन सरकार ने इसके ख़िलाफ़ अपील क्यों नहीं की? जेल से रिहा हो जाने के बाद इन पर निगाह क्यों नहीं रखी गई? मॉड्यूल को फिर से खड़ा ही क्यों होने दिया गया?

दिग्विजय सिंह ने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन के लिए कमलनाथ सरकार को बधाई भी दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार इस मामले को लेकर सत्ता में आते ही अपनी चिंता पेश कर दी थी। कमलनाथ सरकार ने चिंता करते हुए जनवरी 2019 में ही अभियुक्तों की ज़मानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में अर्ज़ी लगा दी थी। पुलिस को मुस्तैद करने पर ही यह रैकेट एक बार पुन: हाथ आया है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देशद्रोह करने वालों को अब किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

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