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6 बर्खास्त मंत्रियों के विधायक पद से इस्तीफ़े मंजूर; क्या बचेगी कमलनाथ सरकार?

6 बर्खास्त मंत्रियों के विधायक पद से इस्तीफ़े मंजूर; क्या बचेगी कमलनाथ सरकार?

विधानसभा स्पीकर ने सिंधिया समर्थक उन छह विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए हैं जो कमलनाथ काबीना में सदस्य थे और जिन्हें बगावत के चलते मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।

सिंधिया समर्थक 19 विधायकों समेत कुल 22 विधायकों के इस्तीफों के बाद अल्पमत में बताई जा रही कमलनाथ सरकार को नंबर गेम में बचाने के प्रयास सत्तारुढ़ दल में तेज़ हो रहे हैं। विधानसभा स्पीकर ने सिंधिया समर्थक उन छह विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए हैं जो कमलनाथ काबीना में सदस्य थे और जिन्हें बगावत के चलते मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।

विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने जिन छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर किए हैं उनमें- गोविंद राजपूत, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर,  तुलसी सिलावट और इमरती देवी शामिल हैं। सिंधिया कोटे से ये सभी नाथ सरकार में मंत्री थे। ये सभी मंत्री और सिंधिया के समर्थकों में शुमार किये जाने वाले 13 अन्य विधायक पिछले 10 मार्च से ‘ग़ायब’ थे। ये सभी बंगलुरू में मिले।

सभी 19 विधायकों ने अपने इस्तीफ़े बाद में विधानसभा स्पीकर को भेज दिए थे। मंत्रियों के इस्तीफ़ों के बीच ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। सिंधिया समर्थक विधायकों के बाद कांग्रेस के तीन अन्य विधायकों ने भी त्यागपत्र भेज दिए थे। इस तरह से इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों की कुल संख्या 22 हो गई।

मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से होना है, लिहाज़ा इस्तीफों की झड़ी और सिंधिया के खेमा बदलने के बाद से बीजेपी एक ही रट लगाए हुए है कि सदन के पटल पर कांग्रेस पहले बहुमत साबित करे, इसके बाद सत्र की आगे की कार्यवाही हो। 

इस बीच विधानसभा स्पीकर प्रजापति ने शनिवार देर शाम सिंधिया समर्थक छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए। इसके बाद ऐसा माना जा रहा है स्पीकर ने नाथ सरकार को उन विधायकों को मनाने का अवसर मुहैया कराया है, जो इस्तीफा देने के बाद बीजेपी के पाले में खड़े नज़र आ रहे हैं।

कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में फ़िलहाल सदस्यों की संख्या 228 है। दो सीटें रिक्त हैं। इस्तीफों के पहले कांग्रेस के पास स्पीकर समेत 121 का बहुमत था। बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायक सरकार का समर्थन कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस के अपने विधायकों की संख्या स्पीकर को मिलाकर 114 है। बीजेपी के पास 107 विधायक हैं।

अब इन छह विधायकों के इस्तीफ़े स्वीकार करने के बाद फ़िलहाल 222 नंबरों को लेकर सदन में ज़ोर-आजमाइश होगी। इस हिसाब से सदन में बहुमत का आँकड़ा अब 112 हो रहा है। कांग्रेस के पास 92 नंबर बचेंगे। बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों की संख्या को जोड़ लेने पर यह संख्या 99 हो रही है।

भाजपा के 107 नंबरों से आगे निकलने के लिए कांग्रेस को त्यागपत्र भेजने वाले बचे हुए 18 विधायकों में से अब नौ को ही अपने पाले में करने की पहली आवश्यकता होगी। यदि कांग्रेस नौ विधायकों को मनाने और इस्तीफ़े वापस दिलवाने में सफल हो जाती है तो कमलनाथ सरकार से संकट अभी तो टल जाएगा।

कमलनाथ ने छह मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त करने के अलावा अपने सभी मंत्रियों से भी इस्तीफ़े ले रखे हैं। नए सिरे से कैबिनेट के गठन का अधिकार मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा देने वाले मंत्री दे चुके हैं।

पूरी लड़ाई मंत्री बनने को लेकर ही असंतुष्ट विधायकों में थी। इस्तीफ़ा देने वाले ज़्यादातर विधायक दोबारा चुनाव में जाने के पक्ष में नहीं हैं। सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों में भी कई ऐसे हैं जो कथित तौर पर सिंधिया के साथ होते हुए भी बीजेपी में जाने के लिए तैयार नहीं हैं। कांग्रेस की उम्मीदें बीजेपी में न जाने के इच्छुक इस्तीफ़ा देने के बाद पशोपेश वाले विधायकों की वजह से ही बनी हुई हैं।

विधानसभा सत्र स्थगित करेगी सरकार?

कमलनाथ सरकार और कांग्रेस के ‘मैनजर्स’ संकट को टालने और रूठे हुए विधायकों को मनाकर अपने पाले में वापस लाने के लिए वक़्त चाह रहे हैं। इसी वजह से स्पीकर ने माइंडगेम खेलते हुए इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों को अलग-अलग तारीख़ों और वक़्त में अपने सामने पक्ष रखने के लिए बुलाया है। इस कवायद के अलावा सरकार सोमवार से होने वाले विधानसभा के सत्र को स्थगित करने के प्रयासों में भी है।

मुख्यमंत्री नाथ ने रविवार को एक अहम बैठक अपने काबीना सहयोगियों की बुलाई है। इस बैठक में कोरोना वायरस का हवाला देते हुए सत्र को आगे बढ़ाये जाने का फ़ैसला लिए जाने की सुगबुगाहट है। बैठक के बाद सरकार सत्र बढ़ाने के लिए अनुशंसा कर सकती है। हालाँकि सत्र आगे बढ़ाने का अंतिम निर्णय राज्यपाल के विवेक पर निर्भर होगा। इस मामले में शनिवार को डॉक्टरों से सलाह-मशविरा भी हुआ। संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने भी स्पीकर को ‘सलाह’ दी कि कोरोना के मद्देनज़र सत्र को स्थगित कर दें। बता दें कि देश भर में कोरोना वायरस के मद्देनज़र कार्यक्रम स्थगित हो रहे हैं। भीड़भाड़ और सार्वजनिक स्थानों पर अनावश्यक न जाने की एडवाइजरी जारी की जा रही है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने भी कोरोना वायरस के फैलने की संभावनाओं के चलते अपने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्थगित किये हैं।

भार्गव बोले- स्पीकर का फ़ैसला अनुचित

उधर महज छह कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे मंजूर किये जाने संबंधी स्पीकर के निर्णय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने अनुचित और अधूरा फ़ैसला करार दिया। भार्गव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘स्पीकर को भी 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करना चाहिए थे।’ भार्गव ने यह भी दावा किया कि नाथ सरकार अल्पमत में है और बचने के लिए जोड़तोड़ में जुटी हुई है।

कमलनाथ का अमित शाह को पत्र

तमाम राजनीतिक गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ख़त लिखा है। कुल चार पेज के ख़त में मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर जमकर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ख़त में कहा है कि कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त और राज्य की सरकार को गिराने के प्रयासों में बीजेपी जुटी हुई है।

मुख्यमंत्री ने अमित शाह से अनुरोध किया है कि कांग्रेस के उन विधायकों को छुड़वाकर मध्य प्रदेश भिजवाएँ जिन्हें बीजेपी ने बेंगलुरू में कैद करके रखा है। उन्होंने मध्य प्रदेश की चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए बीजेपी द्वारा कांग्रेस विधायकों पर जमकर पैसा बहाने का खुला आरोप लगाया है।

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