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मंकीपॉक्स का दिल्ली में चौथा केस, पहला मरीज ठीक भी हुआ

मंकीपॉक्स का दिल्ली में चौथा केस, पहला मरीज ठीक भी हुआ

दिल्ली में मंकीपॉक्स का चौथा केस मिला है। यह एक महिला है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि दिल्ली का पहला मंकीपॉक्स मरीज ठीक भी हुआ है। यानी कुल मिलाकर घबराने की जरूरत नहीं है। ज्यादा से ज्यादा चार हफ्ते तक इसके लक्षण रहते हैं और इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं।

मंक्सीपॉक्स का दिल्ली में एक और केस मिला है। एक विदेशी नागरिक में मंकीपॉक्स के पॉजिटिव लक्षण पाए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में ऐसा चौथा मामला सामने आया है। मरीज 31 वर्षीय महिला है। यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि क्या उसने हाल ही में विदेश यात्रा की है। कुल मिलाकर, बीमारी के नौ मामले भारत में सामने आए हैं। सभी केरल और दिल्ली में हैं।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, महिला को बुखार और त्वचा के घाव हैं और उसे लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसके नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे और बुधवार को टेस्ट पॉजिटिव आया। 

इस विदेशी महिला की विदेश यात्रा का कोई हालिया इतिहास नहीं है। इससे पहले जिस नाइजीरियाई व्यक्ति को मंकीपॉक्स हुआ था, उसने भी विदेश की यात्रा नहीं की थी।

दिल्ली सरकार ने शहर के तीन निजी अस्पतालों को संदिग्ध मामलों और बीमारी के पुष्ट रोगियों के लिए आइसोलेशन वार्ड स्थापित करने को कहा है।

इस बीच सोमवार को एलएनजेपी अस्पताल दिल्ली में मंकीपॉक्स के पहले मरीज को छुट्टी मिल चुकी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस है - एक वायरस जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं, लेकिन बहुत कम गंभीर होते हैं। लक्षणों में बुखार, शरीर पर घाव और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं और इससे जटिलताएं हो सकती हैं। इसके लक्षण दो से चार सप्ताह तक चलते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को साझा की गई क्या करें और क्या न करें की सूची में कहा गया है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति को अलग-थलग किया जाना चाहिए। बिस्तर, कपड़े या तौलिये को साझा नहीं करना चाहिए।

इस मामले में भी हाथ धोने, मास्क और सैनिटाइजर के उपयोग के कोविड-विरोधी प्रोटोकॉल से मदद मिलती है। यानी जैसा कोविड में एहतियात बरतते हैं, इसमें भी वैसा ही किया जाना चाहिए।

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