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नर्मदा नदी किनारे बसे धार्मिक शहरों में शराब, मांस पर प्रतिबंध क्यों?

नर्मदा नदी किनारे बसे धार्मिक शहरों में शराब, मांस पर प्रतिबंध क्यों?

नर्मदा नदी के किनारे बसों धार्मिक शहरों को लेकर ऐसा प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है? इसका जवाब खुद मुख्यमंत्री ने भी दिया है। जानिए, उन्होंने क्या कहा है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के एक निर्देश से कुछ लोगों को काफी दिक्कतें होने वाली हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राज्य भर में नर्मदा नदी के किनारे सभी धार्मिक शहरों में शराब और मांस की दुकानें बंद करने और इनके खाने-पीने पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। यानी इन निर्देशों के तहत शराब और मांस की न केवल बेचने की मनाही होगी बल्कि खाने की भी मनाही होगी।

मुख्यमंत्री ने यह निर्देश शनिवार को दिया है। लेकिन इस संदर्भ में फ़ैसला एक दिन पहले ही ले लिया गया था। शुक्रवार को नदी को स्वच्छ बनाए रखने और इसके प्रवाह को बरकरार रखने के लिए विकास कार्य योजना की देखरेख के लिए गठित कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बैठक की अध्यक्षता की।

मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा को हिंदू पवित्र नदी मानते हैं और इसके मार्ग में कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार मोहन यादव ने कहा, 'मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार के सभी विभाग समन्वित तरीक़े से काम करेंगे और मां नर्मदा के स्वरूप और पवित्रता को बनाए रखेंगे। हमारा प्रयास धार्मिक नगरों के आसपास मांस और मदिरा पर प्रतिबंध लगाना होगा। निर्देशों के संदर्भ में की गई कार्रवाई की नवंबर में फिर समीक्षा की जाएगी।'

उन्होंने कहा कि नदी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने साफ़ साफ कहा है कि यह एक दिन की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि अमरकंटक का विकास अमरकंटक विकास प्राधिकरण के माध्यम से किया जाना चाहिए, जबकि पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा, 'भविष्य में किसी भी बस्ती के लिए नर्मदा नदी के उद्गम से दूर भूमि चिन्हित की जानी चाहिए तथा वहां सैटेलाइट शहर विकसित किए जाने चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अमरकंटक से लेकर राज्य की सीमा तक किसी भी बस्ती का सीवेज नर्मदा नदी में न मिले। इसके लिए समयबद्ध तरीके से काम किया जाना चाहिए।' उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी और ड्रोन के माध्यम से नर्मदा के आसपास की गतिविधियों पर नज़र रखें। 

यह कहते हुए कि नर्मदा दुनिया की एकमात्र नदी हैं जहाँ श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से नर्मदा परिक्रमा को एक प्रमुख तीर्थयात्रा और पर्यटक गतिविधि के रूप में विकसित करने और उसी के अनुसार मार्ग विकसित करने को कहा।

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इस क़दम का स्वागत किया, लेकिन मुख्यमंत्री पर उज्जैन की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एएनआई से कहा, 'यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन वह महाकाल की नगरी से आते हैं और उन्हें पहले वहां शराब पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।' पटवारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पीटीआई से कहा, 'उनके पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान ने भी नर्मदा के किनारे के स्थानों के विकास के बारे में भाषण दिए थे और प्रशंसा भी बटोरी थी, लेकिन उन वादों का क्या हुआ?'

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