बंगाल: इमाम एसो. के प्रमुख बोले- ओवैसी की पार्टी को वोट न दें
बंगाल के विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उतरने की तैयारी कर रहे एआईएमआईएम के मुखिया असदउद्दीन ओवैसी को बंगाल इमाम एसोसिएशन ने करारा झटका दिया है।
इमाम एसोसिएशन के प्रमुख मोहम्मद याहया ने लोगों से अपील की है कि वे पश्चिम बंगाल के चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को वोट न दें। याहया ने कहा है कि एआईएमआईएम को गया हर वोट बीजेपी को जाएगा। उन्होंने सवाल पूछा है कि आख़िर क्यों हैदराबाद का एक राजनेता ऐसे राज्यों में चुनाव लड़ने जा रहा है, जहां पर बीजेपी को विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही है।
एआईएमआईएम को बिहार विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद सबसे पहला सवाल यही उठा था कि क्या ओवैसी की वजह से राज्य में एनडीए की सरकार की वापसी का रास्ता साफ हुआ। महागठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस ने कहा था कि ओवैसी के आने से सेक्युलर मतों का बंटवारा हुआ। यहां तक कि एआईएमआईएम ने जेडीयू को भी सीमांचल में नुक़सान पहुंचाया जबकि बीजेपी को उसके चुनाव लड़ने से इस इलाक़े में फ़ायदा हुआ।
कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल ओवैसी को बीजेपी और आरएसएस की बी टीम बताते हैं और जब से ओवैसी ने बंगाल, उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू की है, उन पर आरोप लग रहे हैं कि वे बीजेपी को सियासी फ़ायदा पहुंचाने के मक़सद से ज़्यादा मुसलिम आबादी वाले इन राज्यों में मुसलमानों के वोट बांटने की नीति पर चल रहे हैं।
ओवैसी की राजनीति पर देखिए चर्चा-
ममता को हो सकती है मुश्किल
देश भर में सबसे ज़्यादा मुसलिम आबादी बंगाल में ही है। यह क़रीब 28 से 30 फ़ीसदी है। ओवैसी के बंगाल आने के बाद ममता बनर्जी भी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वह मुसलिम मतों में सेंध लगा सकते हैं। ममता को मुसलमानों का अच्छा समर्थन हासिल है और सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए आंदोलनों की अगुवाई के कारण उन्होंने इस समर्थन को और बढ़ाया है लेकिन ओवैसी के आने से उन्हें थोड़ा बहुत नुक़सान हो सकता है और यह बीजेपी के लिए फ़ायदेमंद होगा क्योंकि बीजेपी ओवैसी को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के रूप में पेश कर हिंदुओं को अपने हक़ में गोलबंद करने की कोशिश करती है।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ओवैसी ऐसे इलाक़ों में जाकर चुनाव लड़ते हैं, जहां मुसलिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं। ओवैसी के भाषणों से मुसलिमों का ध्रुवीकरण होता है और इसके जवाब में बीजेपी हिंदु ध्रुवीकरण का रास्ता तैयार करती है।
हैदराबाद का चुनाव
यह हमने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भी देखा जहां बीजेपी ने पूरा जोर ओवैसी के ख़िलाफ़ ही लगाया। इसका बीजेपी को फ़ायदा हुआ और उसका प्रदर्शन पिछली बार के मुक़ाबले बहुत बेहतर हुआ जबकि ओवैसी का मुसलिम वोट उनके साथ ही मजबूती से खड़े रहा। लेकिन केसीआर की पार्टी टीआरएस से हिंदू वोट छिटककर बीजेपी के साथ चला गया।
मुनव्वर राणा ने कहा था जिन्ना
ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने की बात पर मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने सख़्त एतराज जताया था। मुनव्वर राणा ने ‘इंडिया टीवी’ को दिए इंटरव्यू में सवाल उठाया था कि ओवैसी के यहां आने का क्या मक़सद है। राणा ने कहा था कि ओवैसी चाहे जहां से चुनाव लड़ें लेकिन अब हम हिंदुस्तान में दूसरा जिन्ना नहीं पैदा होने देंगे। उन्होंने कहा था कि वे मुसलमानों को ये बताएंगे कि ये आदमी आपको दंगे-फसाद में छोड़कर भाग जाता है। उन्होंने ओवैसी से पूछा था कि क्या आप इस मुल्क़ में एक नकली पाकिस्तान के नाम पर मुसलमानों का क़त्लेआम करवाना चाहते हैं?
बहरहाल, यह पहली बार हुआ है जब किसी राज्य की इमाम एसोसिएशन ने ओवैसी को वोट न देने की अपील की है। देखना होगा कि बंगाल और उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने में जुटे ओवैसी के क़दम क्या इससे ठिठकेंगे और क्या हैदराबाद से बाहर अपने सियासी आधार का विस्तार करने का उनका सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा।