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कोरोना: गांव वालों के उत्पीड़न से तंग आकर दिलशाद ने की आत्महत्या, नेगेटिव आई थी रिपोर्ट

कोरोना: गांव वालों के उत्पीड़न से तंग आकर दिलशाद ने की आत्महत्या, नेगेटिव आई थी रिपोर्ट

37 साल के एक शख़्स को उसके गांव वालों ने कोरोना पॉजिटिव होने के शक के कारण इस क़दर प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगा ली। 

37 साल के एक शख़्स को उसके गांव वालों ने कोरोना पॉजिटिव होने के शक के कारण इस क़दर प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगा ली। यह घटना हिमाचल प्रदेश में 5 अप्रैल की सुबह हुई। 

शख़्स का नाम मुहम्मद दिलशाद था और वह ऊना जिले के बानगढ़ गांव में रहता था। आत्महत्या करने से एक दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिलशाद को गांव में वापस छोड़ा था। दिलशाद को कुछ दिन पहले क्वरेंटीन सेंटर में ले जाया गया था। उसका कोरोना टेस्ट भी कराया गया था, जहां उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी। 

ऊना सदर के एसएचओ दर्शन सिंह ने कहा कि दिलशाद दिल्ली के निज़ामुद्दीन से लौटे तब्लीग़ी जमात के एक सदस्य के संपर्क में आया था। प्रदेश के डीजीपी सीता राम मर्दी ने दिलशाद द्वारा आत्महत्या करने की घटना को लेकर सोशल मीडिया पर एक रिकॉर्डेड संदेश जारी किया है। 

मर्दी ने संदेश में कहा, ‘कुछ ग्रामीणों ने कहा कि यह व्यक्ति (दिलशाद) कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज है। इसके बाद उसे क्वरेंटीन किया गया। उसका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया। जब वह अपने गांव पहुंचा, उसके साथ भेदभाव किया गया और गांव वालों ने उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया। इसकी वजह से उसने आत्महत्या कर ली।’ डीजीपी ने अपने संदेश में लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की अपील की और कहा है कि इसका मतलब सामाजिक भेदभाव करना नहीं है। 

एसएचओ की राय अलग

हालांकि एसएचओ ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा कि मामले की जांच के दौरान उनके सामने भेदभाव या सामाजिक बहिष्कार जैसी कोई बात सामने नहीं आई। एसएचओ ने कहा कि दिलशाद के परिवार ने भी इस तरह के कोई आरोप नहीं लगाये हैं। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने दिलशाद के दो रिश्तेदारों का बयान दर्ज किया लेकिन उन्होंने अपने बयान में ऐसा कुछ भी नहीं कहा। 

भले ही एसएचओ ने सामाजिक भेदभाव और बहिष्कार की बात से इनकार किया है लेकिन डीजीपी ने अपने संदेश में साफ-साफ कहा है कि दिलशाद के साथ भेदभाव हुआ और उसका सामाजिक बहिष्कार भी किया गया। 

बवाना में मुसलिम युवक को पीटा

कुछ दिन पहले दिल्ली में भी ऐसी ही घटना हुई। बवाना में एक मुसलिम युवक को कोरोना वायरस फैलाने की साज़िश रचने की अफ़वाह के कारण जमकर पीटा गया। युवक का नाम दिलशाद अली उर्फ महबूब है और वह बवाना के हरेवली गांव का रहने वाला है। अली 22 साल का नौजवान है जिसे अफ़वाह फैलने के बाद बीते रविवार को गांव के कुछ लोग खेतों में ले गये और उसकी पिटाई की। अली को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। 

दिलशाद के आत्महत्या करने से समझ आता है कि उसे किस कदर ताने कसे गये होंगे। घटिया दर्जे की टिप्पणियां की गयी होंगी। अपने ही गांव के लोगों के द्वारा सामाजिक बहिष्कार से वह बुरी तरह टूट गया होगा और तभी उसने इहलीला समाप्त करने का विकल्प चुना। 

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