मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को बताया ढकोसलापत्र
कांग्रेस के घोषणापत्र पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश में जमकर बरसे। उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र को ढकोसलापत्र बताया। मोदी ने कहा कि उनका घोषणापत्र भी उनकी ही तरह झूठा और भ्रष्ट है। वह अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगामी चुनाव को झूठ और सच के बीच लड़ाई बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये चुनाव वादों को पूरा करने वाले और वादों से मुकर जाने वालों के बीच है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी दशकों तक वादों को टालने वालों में से नहीं है और वह जो भी काम हाथ में लेते हैं उसको ख़त्म करके ही मानते हैं।
इससे पहले कल कांग्रेस के घोषणापत्र के जारी होते ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणापत्र में किए गए वादों को ख़तरनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गाँधी के दोस्तों ने जो घोषणापत्र बनाया है वह देश की सुरक्षा और कश्मीर के लिए सही नहींं है। जेटली ने कहा कि घोषणापत्र में किए गए वादे उन एजेंडों में से हैं जो देश को तोड़ने का काम करते हैं।
बता दें कांग्रेस ने सरकार बनने पर अफ़्सपा का क़ानून हटाने की बात कही है। इसके बाद अरुण जेटली यहीं नहीं रुके। उन्होंने घोषणापत्र से बात शुरू की और कांग्रेस के पुरखों पर जाकर रुके। जेटली ने कहा कि नेहरू ने कश्मीर को लेकर जो रणनीति अपनाई थी उसके लिए देश कभी उनको माफ़ नहीं करेगा और उसी अजेंडे को इस घोषणापत्र को ज़रिए आगे बढ़ाया जा रहा है।
कांग्रेस का घोषणापत्र
कांग्रेस ने कल अपना घोषणापत्र जारी किया था। राहुल गाँधी ने घोषणा पत्र को जारी करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी का घोषणापत्र बंद कमरे में बैठकर बनाया हुआ नहीं है, बल्कि उसमें देश के लोगों की बात कही गई है।घोषणा पत्र में कांग्रेस ने ‘न्याय’ स्कीम के तहत ग़रीबों को सालाना 72 हज़ार रुपये देने, मार्च 2020 तक 22 लाख खाली पदों को भरने, 10 लाख युवाओं को ग्राम पंचायतों में रोज़गार देने, मनरेगा को 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन का करने की बात कही है। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में कांग्रेस ने अब तक सबसे बड़ा एलान किया है।
घोषणापत्र में कहा गया है कि कांग्रेस की सरकार बनने पर जीडीपी का 6 फ़ीसदी शिक्षा पर ख़र्च किया जाएगा। इसके साथ ही किसानों द्वारा कर्ज़ न चुकाने पर उसको सिविल अपराध मानने की बात शामिल की गई है।
कांग्रेस के घोषणापत्र पर जिस तरह से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली और बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने हमला किया है उससे साफ़ है कि वह चुनाव को आर्थिक मुद्दों पर नहीं लड़ना चाहते हैं और न ही बेरोज़गारी और ग़रीबी को चुनावी मुद्दा नहीं बनने देना चाहते हैं। देशद्रोह और अफ़्सपा क़ानून के बहाने बीजेपी और मोदी सरकार पूरे चुनाव को राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद को बुलंद करना चाहती है और यह साबित करना चाहती है कि देश प्रधानमंत्री मोदी के हाथ में ही सुरक्षित है। पर क्या वह अपनी रणनीति में क़ामयाब होंगे, सबसे बड़ा सवाल यही है।