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दो करोड़ लेकर सीबीआई जाँच रुकवाई थी मोदी के मंत्री ने?

दो करोड़ लेकर सीबीआई जाँच रुकवाई थी मोदी के मंत्री ने?

सीबीआई के अंदरूनी कलह ने इसकी कलई खोल दी है। इसके कामकाज पर तो सवाल उठे ही हैं, केंद्र सरकार और सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेंसी को भी कटघरे  में खड़ा कर दिया है।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अर्ज़ी में विस्फोटक खुलासे किए थे। उनकी अर्ज़ी से यह साफ़ होता है कि इस संस्था में भ्रष्टाचार किस हद तक ऊपर से नीचे तक फैला हुआ है। इसके साथ ही केंद्र सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च ऐंड एनलिसिस विंग (रॉ) के बहुत बड़े अफ़सर के हस्तक्षेप की बातें भी उजागर होती हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार के मंत्री पैसे लेकर सीबीआई जांच में रुकावट डाल सकते हैं, इसका खुलासा भी होता है। सिन्हा ने अपना तबादला नागपुर किए जाने के ख़िलाफ़ सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने अपनी अर्ज़ी में सनसनीखेज खुलासा किया था। सिन्हा के खुलासे से नरेंद्र मोदी सरकार में कोयला व खनन राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी पर करोड़ों रुपए घूस लेकर एक अभियुक्त को बचाने का आरोप लगता है। प्रधानमंत्री के नज़दीकी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर उसी अभियुक्त को बचाने के लिए सीबीआई पर दबाव डालने और उसकी जाँच में बाधा पँहुचाने की बात भी कही गई है। इस मामले में देश की रॉ के एक बड़े अफ़सर का नाम भी खुल कर सामने आ गया।

सीबीआई अफ़सर मनीष सिन्हा के मुताबिक़, मोइन क़ुरैशी मामले में शिकायतकर्ता सतीश बाबू सना ने उन्हें बताया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री चौधरी को इस साल जून में ‘कुछ करोड़’ रुपए की घूस दी थी, जिसके बाद उन्होंने सीबीआई जाँच रुकवा दी।

मंत्री को करोड़ों दिए?

सिन्हा ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस के. एम. जोज़फ़ की खंडपीठ को बताया है कि मोइन क़ुरैशी मामले में शिकायतकर्ता सतीश बाबू सना ने उन्हें चौधरी को घूस देने की बात कही थी।

सिन्हा के मुताबिक़, सना ने कहा था कि रुपये देने का बाद चौधरी ने ‘कार्मिक, लोक शिकायत और पेन्शन विभाग के मंत्री से कह कर जाँच को टाल दिया था।’ ये रुपये विपुल नामक आदमी के हाथों भिजवाए गए थे। 

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हरिभाई पार्थीभाई चौधरी गुजरात के बनासकाँठा से तीन बार सांसद चुने गए। वे बीजेपी की शुरुआत यानी 1980 से ही पार्टी में हैं।  पेशे से व्यापारी चौधरी प्रधानमंत्री के नज़दीकी माने जाते हैं। वे उनके नज़दीक उस समय से हैं जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन पर आरोप लगने से मोदी के लिए सियासी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। 

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हरिभाई पार्थीभाई चौधरी गुजरात के हैं और नरेंद्र मोदी से उनके पुराने ताल्लुक़ात हैं।

डोभाल से नज़दीकी

सीबीआई के इस अफ़सर ने यह भी कहा है कि मोइन क़ुरैशी मामले में ही दुबई में रहने वाले दो बिचौलियों के नाम सामने आये थे। उनमें से एक बिचौलिये मनोज प्रसाद को जब पूछताछ के लिए सीबीआई दफ़्तर लाया गया था, वे काफ़ी आग बबूला था। उन्होंने सीबीआई अफ़सरों को धमकाते हुए कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल से उनके नज़दीकी रिश्ते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही एक मामले में उनके भाई सोमेश प्रसाद और रॉ के विशेष सचित सामंत गोयल ने डोभाल की निजी तौर पर मदद की थी। 

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल प्रधानमंत्री के बेहद नज़दीकी माने जाते हैं।

सिन्हा के मुताबिक़, प्रसाद ने कहा था कि उसके पिता दिनेश्वर प्रसाद जो रॉ में संयुक्त सचिव के पद से रिटायर हुए हैं, और डोभाल के बीच नज़दीकी रिश्ते हैं।

बाद में सीबीआई के आला अफ़सर राकेश अस्थाना के मामले की जांच के समय उनके मोबाइल फ़ोन को कब्जे में लेने की बात कही गई तो जाँच कर रहे अधिकारी ने कहा था कि डोभाल ने इसकी अनुमति नहीं दी है।

इसी तरह 20 अक्टूबर को डिप्टी एसपी देवेंदर कुमार के घर छापा मारने गई टीम को यह कह कर रोक दिया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ऐसा करने से मना किया है।

बात में दम

सीबीआई के इस आला अफ़सर ने कहा कि उस बिचौलिये की बात में उन्हें दम लगा था। उनके मुताबिक़, इसकी वजह यह है कि उन्होंने दावा किया था कि भारत ने इंटरपोल चुनाव से अपना उम्मीदवार अंतिम समय वापस ले लिया था। बाद में यह जानकारी सही पाई गई थी।

आरोप को ख़ारिज किया

डोभाल या रॉ की अोर से इस मुद्दे पर कोई सफ़ाई नहीं दी गई है। पर कोयला राज्यमंत्री ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्र्स्ट से बात करते हुए तमाम आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वे किसी सतीश बाबू सना को निजी तौर पर नहीं जानते, उनसे कभी नहीं मिले हैं।

कोयला राज्यमंत्री ने पैसे लेने से इनकार करते हुए पूरे मामले की जाँच करवाने की माँग कर डाली। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उन पर लगे आरोप सही साबित हुए तो वे पद से इस्तीफ़ा दे देंगे और राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

मनीष सिन्हा की अर्ज़ी ने सीबीआई को बेनक़ाब कर दिया। इस केंद्रीय जांच ब्यूरो के काम करने के तौर तरीकों और उस पर होने वाले दबाव की बात खुल कर सामने आ गई। सरकारी हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार की बातें पहले भी कही जाती थीं, पर अब एजेंसी के अपने आला अफ़सर में कही हैं और देश के सर्वोच्च न्यायालय को कही हैं। 

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