मोदी ने मुख्यमंत्रियों को दिया कोरोना फ़ॉर्मूला- टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और सर्विलांस
ऐसे समय जब भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों की सरकारों पर उचित संख्या में रोगियों की कोरोना जाँच नहीं कराने का आरोप लग रहा है, प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा है कि प्रभावशाली जाँच होनी चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने सात मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में '3 टी 1 एस' का फ़ार्मूला दिया। उन्होंने 'टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, सर्विलांस' का मंत्र देते हुए कहा कि इससे ही कोरोना से सही तरीके से लड़ा जा सकता है।
'3 टी 1 एस'
उन्होंने इस वर्चुअल बैठक में इससे आगे की बात करते हुए कहा, प्रभावी ढंग से जानकारी देना भी ज़रूरी है क्योंकि ज़्यादातर लोगों को कोरोना संक्रमण बग़ैर लक्षण के ही है। इस बैठक में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए प्रधानमंत्री से जुड़े हुए थे। कुल कोरोना के 63 प्रतिशत से अधिक मामले इन 7 राज्यों में ही मिले हैं।नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में मुख्यमंत्रियों से कहा कि राज्यों को एक या दो दिन के लॉकडाउन के प्रभाव का अध्ययन करना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए इससे आर्थिक गतिविधियों में तो बाधा नहीं पड़ती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“
'हमें प्रभावशाली जांच, ट्रेसिंग, इलाज, निगरानी और स्पष्ट संदेश पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। कोविड-19 से लड़ते हुए हमें आर्थिक मोर्चे पर भी पूरी ताक़त से आगे बढ़ना होगा।'
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
इन राज्यों में मामले तेज़ी से बढ़े
इस बैठक के पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि 5 राज्यों के साथ-साथ पंजाब और दिल्ली में हाल ही में मामले तेज़ी से बढ़े हैं। महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में मृतकों की संख्या भी काफी बढ़ी है। इन राज्यों में मृत्यु दर 2% से अधिक है। दूसरी ओर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के अलावा उनकी संक्रमण की पुष्टि दर राष्ट्रीय औसत 8.52 प्रतिशत से ज़्यादा है।
प्रधानमंत्री ने जाँच पर ज़ोर दिया है, ज़मीनी सचाई यह है कि इसमें बीते कुछ दिनों में कमी आई है। 21 सितंबर को 9 लाख 33 हज़ार लोगों की जाँच की गई जबकि 20 सितंबर को 7 लाख 31 हज़ार लोगों की जाँच हुई थी। सामान्य तौर पर 10-12 लाख टेस्टिंग होती रही थी।
संक्रमण के मामले कम आने लगे हैं या नहीं, इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन टेस्टिंग के जो आँकड़े आए हैं वे एक ख़राब स्थिति की ओर इशारा करते हैं। ऐसी स्थिति जो शायद कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के दावों को खारिज कर दे।
वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का वीडियो देखें।
जब हर रोज़ टेस्टिंग 10 लाख से 12 लाख के बीच की जा रही थी तब कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज़ 92 हज़ार से 97 हज़ार तक आ रहे थे। यह आईसीएमआर के आँकड़े ही बताते हैं। लेकिन हाल के दिनों में टेस्टिंग में कमी आई है और कोरोना संक्रमण के मामलों में भी।
वैसे तो आधिकारिक तौर पर कोरोना संक्रमण के आँकड़े हर रोज़ 95 हज़ार के आसपास आ रहे हैं, लेकिन वास्तविक रिपोर्ट इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है। यदि दो अलग-अलग तरह की जाँच के आँकड़ों को सही तरीक़े से देखा जाए तो हर रोज़ आने वाले पॉजिटिव लोगों की संख्या 2-2.5 लाख के आसपास होगी।