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कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित 44 नामों को 3 दिन में भेज देंगे: सरकार

कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित 44 नामों को 3 दिन में भेज देंगे: सरकार

अदालतों में नियुक्ति में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और सरकार में खींचतान के बीच अब सरकार ने कुछ नामों को जल्द ही भेजने की बात कही है। जानिए, कॉलेजियम ने कितने नामों की सिफारिश की है।

सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को तय समय में मंजूरी देने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन दिनों में उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति के लिए 44 न्यायाधीशों को मंजूरी दे दी जाएगी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 'तय नियम-कानून का पालन करने' और प्रक्रिया में देरी नहीं करने के लिए कहा था।

जजों की नियुक्ति में देरी पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से लंबित नामों पर जल्द से जल्द मुहर लगाने को कहा है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार समयसीमा का पालन करेगी। 

वेंकटरमणी ने कहा कि उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम द्वारा की गई 104 सिफारिशों में से 44 को इस सप्ताहांत सुप्रीम कोर्ट को भेजे जाने की संभावना है। 

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जस्टिस एस के कौल और ए एस ओका की पीठ से कहा कि 'समय सीमा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और उन समयसीमाओं के अनुरूप सभी प्रयास किए जा रहे हैं'। उन्होंने कहा कि कुछ हालिया सिफारिशों पर कार्रवाई की जा रही है और उन सिफारिशों में से लगभग 44 को शायद शनिवार या इस सप्ताह के अंत तक मंजूरी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से उन नामों और प्रक्रियाओं को देख रहे हैं।

पीठ ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई 10 सिफारिशों की स्थिति के बारे में पूछा जो केंद्र के पास लंबित हैं। पीठ ने कहा कि उनमें से दो सिफारिशें काफी पुरानी हैं, जो अक्टूबर 2021 से लंबित हैं और अन्य नवंबर 2022 से लंबित हैं।

अटॉर्नी जनरल यानी एजी ने आश्वासन दिया कि राजस्थान उच्च न्यायालय के लिए कॉलेजियम की इन सभी सिफारिशों को जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी। 

पीठ ने उन 5 नामों की स्थिति के बारे में पूछा, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए सिफारिश की थी। इसको लेकर एजी ने मोहलत देने की गुहार लगाई।

एजी ने कहा, 'क्या आप इसे थोड़ी देर के लिए टाल देंगे? मेरे पास कुछ इनपुट हैं, लेकिन मेरे कुछ मतभेद हो सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि मुझे शायद यहां इस पर चर्चा करनी चाहिए।' लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति कौल ने कहा, 'हम टाल देंगे। लेकिन चीजों में समय नहीं लगना चाहिए। वे पहले से ही मौजूदा मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।'

पीठ ने आदेश में दर्ज किया, 'जहां तक इस न्यायालय में लंबित 5 सिफारिशों का संबंध है, विद्वान अटॉर्नी जनरल ने इसे टालने का अनुरोध किया है क्योंकि वह व्यक्तिगत रूप से इस पर विचार कर रहे हैं।' 

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले महीने पांच न्यायाधीशों की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति की सिफारिश की थी, जिनमें राजस्थान और पटना के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल और संजय करोल शामिल थे। 

बता दें कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर भी विवाद है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि 'न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति एक आदर्श प्रणाली नहीं है'। पिछले महीने मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली देश का कानून है और इसके खिलाफ टिप्पणियों को ठीक से नहीं लिया जाता है।

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