केरल की मंत्री वीना जॉर्ज को कुवैत जाने से क्यों रोका केंद्र ने, नियम क्या हैं
कुवैत की बिल्डिंग में आग लगने से मारे गए 46 भारतीयों के शव भारत आ चुके हैं। इनमें से अधिकांश केरल के थे। केरल में सीपीएम की सरकार है। केंद्र की मोदी सरकार ने केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज को कुवैत जाने से रोक दिया। केरल सरकार उन्हें कुवैत में राहत कार्य, मुआवजा आदि दिलाने में मदद के लिए भेजना चाहती थी। लेकिन एनडीए सरकार ने वीना जार्ज की यात्रा को मंजूरी नहीं दी।
वीना जॉर्ज कोच्चि में नेदुम्बसेरी एयरपोर्ट पर कुवैत की फ्लाइट लेने पहुंच चुकी थी लेकिन केंद्र सरकार ने आखिरी क्षणों में अनुमति नहीं दी। दूसरी तरफ केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह घटना के दिन 12 जून को कुवैत में मंगफ़ शिविर पहुंच गए।
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इस कदम से सीपीएम के नेतृत्व वाली केरल सरकार परेशान है,मंत्री जॉर्ज ने इसे "गलत नजरिया" बताया है। भाजपा को ऐसा क्यों लगता है कि सीपीएम सरकार की मंत्री के कुवैत जाने से सीपीएम को इससे कोई सहानुभूति मिलेगी। क्या केंद्र सरकार के मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के कुवैत पहुंचे से भाजपा को कुछ राजनीतिक रूप से हासिल हुआ। यह समय कुवैत में रह रहे भारतीयों पर मरहम लगाने का है। जितने ज्यादा सरकारी लोग कुवैत में होंगे, वहां भारतीय श्रमिकों को अपनापन मिलता। लेकिन सारे मामले को केंद्र ने राजनीतिक नजरिए से देखा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने इसकी आलोचना करते हुए इसे "गलत निर्णय" बताया। उन्होंने कहा, "केरल के प्रतिनिधि के रूप में कुवैत में उनकी उपस्थिति से पीड़ित परिवारों और घायलों को फायदा हो सकता था।"
नियम क्या हैं
केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों, सांसदों, राज्य मंत्रियों और विधायकों सहित सभी सरकारी अधिकारियों को विदेश यात्रा से पहले, यहां तक कि निजी यात्राओं के लिए भी, विदेश मंत्रालय (एमईए) से राजनीतिक मंजूरी लेना अनिवार्य है। कैबिनेट सचिवालय के अनुसार, केंद्रीय मंत्रियों (कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री, राज्य मंत्री या उप मंत्री) को विदेश यात्रा से कम से कम 15 दिनों पहले प्रधानमंत्री से अनुमति लेनी होती है। लेकिन यह यात्रा विदेश मंत्रालय के जरिए होना चाहिए।
राज्य सरकारों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के मामले में, कैबिनेट सचिवालय और विदेश मंत्रालय को आधिकारिक और निजी दोनों प्रस्तावित विदेशी यात्राओं के बारे में सूचित रखा जाना चाहिए। कैबिनेट सचिवालय अनुसार, विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी के अलावा, गृह मंत्रालय (एमएचए) से पूर्व एफसीआरए मंजूरी भी अनिवार्य है। राजनीतिक मंजूरी देते समय, विदेश मंत्रालय यह भी शर्त लगाता है कि "जब यात्रा वास्तव में की जाएगी तो उन्हें यात्रा के बारे में सूचित किया जाएगा।"
विपक्ष के प्रति ऐसा रवैया क्यों
यह अकेला वीना जॉर्ज का मामला नहीं है जब विपक्ष के किसी नेता को केंद्र द्वारा विदेश यात्रा की मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया है। आम आदमी पार्टी (आप), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आरजेडी के नेताओं ने भी दावा किया है कि केंद्र ने उन्हें हाल के वर्षों में विदेश में बैठकों में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसी तरह पिछले साल सितंबर में न्यू कोलंबिया में पर्यावरण से जुडे कार्यक्रम में दिल्ली के मंत्री गोपाल राय को रोक दिया गया था। आम आदमी पार्टी ने जब इस मुद्दे को उछाला तो बाद में अनुमति दी गई। लेकिन इसमें केंद्र सरकार का तर्क मजेदार था। उसका कहना था कि जब नीति आयोग के अधिकारी उस कार्यक्रम में जा रहे हैं तो दिल्ली के मंत्री को जाने की क्या जरूरत है।
ऐसा दर्जनों बार हो चुका है जब विपक्षी दलों के नेताओं को जाने से रोका गया, जबकि उन्हें निमंत्रण संबंधित देशों से मिला था। हद तो यह है कि दिसंबर 2021 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नेपाल जाने से रोक दिया गया। उन्हें नेपाली कांग्रेस ने अपने सम्मेलन में बुलाया था। अऱविन्द केजरीवाल को तो डेनमार्क, सिंगापुर जाने से रोकने की कोशिश मोदी सरकार कर चुकी है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का कुवैत जाने का मामला अलग था। वो वहां सैर सपाटा या अपने निजी यात्रा पर नहीं जा रही थीं। वो इस समय भारतीय श्रमिकों पर पड़ी विपदा में जाना चाहती थीं लेकिन मोदी सरकार ने अनुमति नहीं दी। कुवैत में केरल के अधिकांश लोग मरे हैं। वीना जॉर्ज वहां जाकर सबसे बड़ी मदद मुआवजा दिलाने में करतीं। विदेश में मुआवजा पाना आसान नहीं है।