मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों की जासूसी पर सरकार कटघरे में
इज़रायली जासूसी सॉफ़्टवेअर 'पेगैसस' का इस्तेमाल कर भारत के पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी रखने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। मानवाधिकार संगठनों, राजनीतिक दलों, पत्रकारों और दूसरे लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर सरकार की ज़ोरदार आलोचना की है और कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
सबसे तीखी और सीधी प्रतिक्रिया ट्विटर पर हुई है। मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ट्वीट कर कहा, 'क्या आपको कभी लगा कि आप पर निगरानी रखी जा रही है?'
इसने इसी ट्वीट में कहा है, '100 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए जासूसी सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल करने की वजह से व्हॉट्सऐप एनएसओ पर मुक़दमा कर रहा है।'
Ever feel like you’re being watched?
— Amnesty International (@amnesty) October 30, 2019
WhatsApp is suing NSO as its spyware was used to target at least 100 human rights activists.
It’s time they were stopped.
(Next week we’re supporting a legal case in Israel to do just that.) https://t.co/KG50KJXfYw
इंटरनेट फ्रीडम फ़ाउंडेशन ने भी इस पर चिंता जताई है।
Big Breaking story from India : WhatsApp confirms: Israeli spyware was used to snoop on Indian journalists, activists https://t.co/Qid3BHNyim
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) October 31, 2019
मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा: अंत में सच सामने आ ही गया। मैने यह मुद्दा कई बार उठाया, कई बार कहा कि मेरे वॉट्सऐप पर हमला हुआ है। मैं अपना जवाब 4-5 बार टाइप करती थी, वह गायब हो जाता था।
@WhatsApp finally the truth is out. I have constantly raised it , put it as my status many times that my whatsapp was invaded. I had to type my replies 4-5 times, they would disappear and many other indications https://t.co/3dJyfgrjv6
— Shabnam Hashmi (@ShabnamHashmi) October 31, 2019
कांग्रेस पार्टी के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तंज किया, 'मोदीजी की खुली, पारदर्शी सरकार! सब पर निगरानी रखने वाली सरकार यहाँ है।'
Modiji’s open transparent government !
— Kapil Sibal (@KapilSibal) October 31, 2019
The Surveillance State is here :
WhatsApp’s US based Director Carl Woog reveals that an Israeli NSO group used it’s spyware Pegasus to target Indian journalists and human rights activists for 2 weeks till May 2019
What about now ?
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा, 'वॉट्सऐप सॉफ़्टवेअर हमले से डाटा सुरक्षा और भारतीयों की निजता के अधिकार से जुड़े कई सवाल खड़े हो गए हैं।'
The recent @WhatsApp malware attack raises several red-flags about data protection & Indians’ right to privacy.
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) October 31, 2019
Why did a private Israeli company hack the smartphones of two dozen Indian journalists & activists?@seemay @IndianExpress https://t.co/PFPAdM9G1W
भारतीवॉट्सऐपय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मुहम्मद सलीम ने ट्वीट किया, 'फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले व्हॉट्सऐप ने चौंकाने वाला खुलासा किया है, इसने कहा है कि इज़रायली सॉफ़्टवेअर का इस्तमाल कर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को जासूसी के निशाने पर रखा गया। यह तो निजता और निजी आज़ादी का उल्लंघन है।'
Facebook-owned platform WhatsApp, in a startling revelation, has said journalists and human rights activists in India have been targets of surveillance by operators using Israeli spyware Pegasus. It is a breach of privacy & individual freedom. @seemay https://t.co/cxsGN4e5Xo
— Md Salim (@salimdotcomrade) October 31, 2019
वरिष्ठ पत्रकार नंदगोपाल राजन ने ट्वीट कर कहा, 'यह तो डराने वाली बात है। चलिए हम पहले की तरह कॉफ़ी शॉप में लोगों से मिलना शुरू करें।'
बता दें कि पहले पत्रकार लोगों से मिलने जुलने और संपर्क स्थापित करने या नेटवर्क बनाने के लिए चाय और कॉफ़ी शॉप या रेस्तरां में मिलते थे, जो बेहद अनौपचारिक होती थी।
Scary stuff. Let's go back to meeting people in coffee shops https://t.co/qrpmeGnDOY via @IndianExpress
— Nandagopal Rajan (@nandu79) October 31, 2019
पूर्व राजनयिक निरुपमा सुब्रमण्यण ने ट्वीट कर कहा ऐसा लगता है सब लोगों का अंदेशा सही निकला और वॉट्सऐप ने इसकी पुष्टि भी कर दी, भारतीय पत्रकारों की जासूसी करने के लिए इज़रायली सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल किया गया।
This really important scoop by my colleague @seemay confirms everyone’s worst suspicions - WhatsApp confirms: Israeli spyware used to snoop on Indian journos, activistshttps://t.co/e89OB42Tjs
— Nirupama Subramanian (@tallstories) October 31, 2019
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