पीएम मोदी बोले- किसानों के दरवाजे तक पहुंची सरकार
किसान आंदोलन के कारण मुश्किल में फंसी मोदी सरकार एक बार फिर किसानों को कृषि क़ानून के फायदे बता रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को संबोधित किया और कई राज्यों के किसानों से बात की है।
किसानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘किसानों को फसल बेचने के लिए बाज़ार मिलना चाहिए। सरकार ने मंडियों को ऑनलाइन किया है। आज देश में 10 हज़ार से ज़्यादा किसान उत्पादक संघ को मदद दी जा रही है। देश भर में कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये ख़र्च कर रही है।’
किसान क्रेडिट कार्ड दिया
मोदी ने कहा, ‘बीते कुछ महीनों में ढाई करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया है। हमारी सरकार ने अनेक नए कृषि संस्थान खोले हैं। आज जो लोग किसानों के लिए आंसू बहा रहे हैं, जब ये लोग सरकार में थे इन्होंने किसानों के लिए क्या किया, ये किसान अच्छी तरह जानते हैं।’
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के दरवाजे तक पहुंची है। छोटे किसानों को सरकार बिजली और गैस के मुफ़्त कनेक्शन के साथ ही आयुष योजना के तहत पांच लाख रुपये का मुफ़्त इलाज भी दे रही है।
सरकार ने पीएम किसान योजना के तहत 18 हज़ार करोड़ रुपये किसानों के खातों में ट्रांसफ़र किए गए हैं। ये रकम 9 करोड़ से ज़्यादा किसानों के खातों में गई है।
मोदी ने कहा कि इन क़ानूनों को लागू हुए कई महीने हो चुके हैं क्या लेकिन किसी ने भी किसी मंडी के बंद होने की ख़बर सुनी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई फसलों का एमएसपी बढ़ाया है और नए क़ानून बनने के बाद रिकॉर्ड स्तर पर ख़रीद की है।
पीएम मोदी का भाषण किसानों तक ढंग से पहुंच सके इसके लिए जहां पर किसान इकट्ठा हुए हैं, वहां बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई गई हैं। पार्टी के मुताबिक़, ऐसी 19 हज़ार जगहें हैं, जहां पर ऐसे इंतजाम किए गए हैं। पार्टी ने जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक इंतजाम किए हैं।
बीजेपी महासचिव अरूण सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे एपीएमसी की मंडियों या सरकारी मंडियों के बाहर इकट्ठा हों। उनके साथ पार्टी के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी मौजूद रहने के लिए कहा गया था।
बीजेपी और मोदी सरकार अब तक किसान आंदोलन का कोई हल नहीं निकाल पाए हैं। दोनों ने कृषि क़ानूनों को किसानों के हित में बताने और इस आंदोलन को एक राज्य का आंदोलन बताने में पूरी ताक़त झोंकी हुई है।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
तमाम छोटे से बड़े नेता और ख़ुद प्रधानमंत्री तक किसानों के आगे गुहार-मनुहार लगा चुके हैं, सरकार किसानों से धरना ख़त्म करने की अपील कर चुकी है लेकिन किसान सैकड़ों बार साफ कर चुके हैं कि वे इन तीनों क़ानूनों के रद्द होने के बाद ही आंदोलन ख़त्म करेंगे।
बीजेपी और मोदी सरकार अपना पूरा जोर लगा लेना चाहते हैं। क्योंकि अगर मोदी सरकार को झुकना पड़ा तो आने वाले कुछ महीनों में कई राज्यों में चुनाव हैं, वहां ग़लत मैसेज जाएगा। ग़लती से इन राज्यों में खासकर बंगाल में हार मिली तो फिर उससे आगे की चुनावी राह और मुश्किल हो जाएगी।
फिर बातचीत के लिए बुलाया
किसानों को मनाने की सारी कोशिशें कर थक-हार चुकी केंद्र सरकार ने एक बार फिर हिम्मत बांधी है और किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है। मोदी सरकार की ओर से गुरूवार को किसान संगठनों को पत्र भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि वे कृषि क़ानूनों को लेकर अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख़ और वक़्त तय करें। इससे पहले कई दौर की बातचीत बेनतीजा हो चुकी है।
किसानों को डर है कि नए कृषि क़ानूनों से उनकी ज़मीन कॉरपोरेट्स के पास चली जाएगी। कड़ाके की इस ठंड में जमे किसानों के हौसले बुलंद हैं, ऐसे में वे पीछे हटेंगे ऐसा बिलकुल नहीं दिखता, देखना होगा कि सरकार कब तक इस आंदोलन से लड़ पाती है।
टिकरी-सिंघु से लेकर ग़ाजीपुर बॉर्डर तक बड़ी संख्या में इकट्ठा हो चुके किसानों का आंदोलन बढ़ता जा रहा है। देश के दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली कूच किया है। रेवाड़ी बॉर्डर पर भी किसानों का धरना जारी है।
विपक्ष ने बढ़ाया दबाव
कृषि क़ानूनों के मसले पर तमाम विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर ख़ासा दबाव बढ़ा दिया है। किसानों की भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद तक के कार्यक्रम को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। हालांकि किसानों ने अपने आंदोलन को पूरी तरह ग़ैर राजनीतिक रखा है लेकिन मोदी सरकार से लड़ने में ख़ुद को अक्षम पा रहे विपक्ष को किसान आंदोलन से ऊर्जा मिली है और वह खुलकर किसानों के समर्थन में आगे आया है।
सोशल मीडिया पर भी विपक्षी दलों के कारकून खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को उनसे निपटने में पसीने छूट रहे हैं।