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मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति से की बात

मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति से की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर से फ़ोन पर बात की है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफ़ोन पर बात की है। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के ताज़ा घटनाक्रमों के अलावा द्विपक्षीय संबंधों पर भी विचार विमर्श किया है। 

नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मैंने अपने मित्र व्लादिमीर पुतिन से अफ़ग़ानिस्तान की ताज़ा स्थिति पर बात की है। हमने कोविड-19 समेत भारत-रूस सहयोग के कई द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बात की है। हम अहम विषयों पर आपस में विचार विमर्श करने पर सहमत हैं।" 

इसके पहले नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर अंगेला मर्कल से बात की थी और तालिबान के मुद्दे पर चर्चा की थी।

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नेटो) का सदस्य देश होने के कारण जर्मनी के सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में थे और कुछ अभी भी हैं जो अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को निकाल रहे हैं।

प्रधानमंत्री का रूसी राष्ट्रपति से बात करना अहम इसलिए भी है कि मॉस्को उन चुनिंदा देशों में है, जिसने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का समर्थन किया है और अपना दूतावास बंद नहीं किया है।

रूस-तालिबान-भारत

यह नज़दीकी इससे समझी जा सकती है कि तालिबान ने समावेशी सरकार बनाने में रूस की मदद माँगी है। 

काबुल में तैनात रूसी राजदूत दमित्री झिरकोव ने तालिबान के नेताओं से मुलाक़ात की है।

दूसरी ओर भारत 'इंतजार करो और देखो' की नीति पर चल रहा है। इसने काबुल दूतावास से अपने तमाम कर्मचारियों और दूसरे लोगों को वापस बुला लिया है। 

अफ़ग़ानिस्तान पर जी-7 बैठक

प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति से बात ऐसे समय की है जब अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर जी-7 देशों की बैठक शुरू हो चुकी है।

जी-7 के देश अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी फ़ौजों की मौजूदगी 31 अगस्त के बाद भी चाहते हैं, जबकि तालिबान ने इसके ख़िलाफ़ अमेरिका को गंभीर नतीजों की चेतावनी दी है। 

जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने बीबीसी से कहा है कि इस बारे में तुर्की, अमेरिका और तालिबान के साथ बातचीत की जा रही है।

उन्होंने कहा, "हम अमेरिका, तुर्की और दूसरे सहयोगियों से बात कर रहे हैं ताकि काबुल हवाई अड्डे से असैनिक विमानों का संचालन जारी रह सके। हमें तालिबान से भी बातचीत जारी रखनी पड़ेगी और हम वही कर रहे हैं।"

जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि 31 अगस्त के बाद काबुल एयरपोर्ट तभी खुला रह सकेगा जब उसकी सुरक्षा सुनिश्चित हो।

तालिबान भारत के लिये बड़ा सिरदर्द है। भारत सरकार की दुविधा क्या है? क्या तालिबान पाकिस्तान के इशारे पर भारत विरोधी हरकतें करेगा? देखें, यह वीडियो। 

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