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मंत्रिमंडल के बाद क्या अब गृह, वित्त मंत्री पद पर चौंकाएँगे मोदी?

मंत्रिमंडल के बाद क्या अब गृह, वित्त मंत्री पद पर चौंकाएँगे मोदी?

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत से आकर तो चौंकाया ही मंत्रिमंडल के गठन में भी उन्होंने कम अचरज वाले फ़ैसले नहीं लिए। क्या मंत्रियों के विभाग बँटवारे और बीजेपी अध्यक्ष पद पर चुनाव तक ऐसे ही चौंकाने वाले फ़ैसले आते रहेंगे? 

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत से आकर तो चौंकाया ही मंत्रिमंडल के गठन में भी उन्होंने कम अचरज वाले फ़ैसले नहीं लिए। चाहे वह अमित शाह को कैबिनेट में शामिल करने का फ़ैसला हो या पूर्व गृह सचिव एस. जयशंकर को सीधे कैबिनेट मंत्री बनाने का। मेनका गाँधी, सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा, राधा मोहन सिंह जैसे नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से भी लोगों में इस सवाल के प्रति उत्सुकता रही कि किस वजह से ऐसे दिग्गज नेताओं को भी जगह नहीं मिली। पिछली सरकार के क़रीब 30 मंत्रियों को इस बार शामिल नहीं किया गया और 19 नए चेहरों को जगह मिली, यह भी बड़ी बात है। इसके साथ ही सवाल यह उठता है कि क्या मंत्रियों के विभाग बँटवारे और बीजेपी अध्यक्ष पद पर चुनाव तक ऐसे ही चौंकाने वाले फ़ैसले आते रहेंगे

इसकी पूरी संभावना है। मंत्रालय बँटवारे को लेकर जो सबसे ज़्यादा चौंकाने वाला फ़ैसला होगा वह यह है कि गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी किसको दी जाती है। राजनाथ सिंह पिछली सरकार में गृहमंत्री थे। इस बार अमित शाह के मंत्रिमंडल में आने के बाद स्थिति बदली है। अटकलें हैं कि शाह को गृह और वित्त मंत्रालय में से किसी एक की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। शाह को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिलने की स्थिति में राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय का ज़िम्मा दिया जा सकता है। वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी निर्मला सीतारमण को भी दी जा सकती है। हालाँकि, इस मंत्रालय के लिए पीयूष गोयल का नाम भी सामने आ रहा है।

शाह के मंत्री बनने के बाद संभावना जाहिर की जा रही है कि जे. पी. नड्डा को बीजेपी अध्यक्ष बनाया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने मंत्री पद की शपथ नहीं ली है।

ख़बर तो यह भी है कि महेश शर्मा को उत्तर प्रदेश बीजेपी का प्रभारी बनाया जा सकता है। फ़िलहाल यूपी बीजेपी प्रमुख महेंद्र नाथ पांडेय को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है ऐसे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद खाली हो जाएगा।

पूर्व विदेश सचिव जयशंकर भी कैबिनेट मंत्री 

मंत्रिमंडल में सबसे चौंकाने वाला चेहरा एस. जयशंकर का है, जो तीन साल विदेश सचिव रह चुके हैं। पूर्व विदेश सचिव डॉ. एस. जयशंकर ने भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। अमेरिका से न्यूक्लियर डील के अलावा चीन के साथ डोकलाम विवाद को बेहतर तरीक़े से सुलझाने में उनकी बड़ी भूमिका थी। वह चीन और अमेरिका में भारत के राजदूत भी रहे हैं। 

माना जाता है कि एस. जयशंकर का काम करने का तरीक़ा प्रधानमंत्री मोदी को काफ़ी पसंद है। यही कारण है कि पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह को 2015 में अनपेक्षित रूप से हटा कर एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाया गया था। इसके लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी कर जयशंकर को उस पद पर नियुक्त किया गया था। उनके काम करने की क्षमता पर संदेह नहीं रहा। अभी यह साफ़ नहीं है कि जयशंकर ने बीजेपी की सदस्यता ली है या नहीं। 

बता दें कि नई सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 24 कैबिनेट मंत्रियों, 9 राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) और 24 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। मोदी के नए मंत्रिमंडल के 24 कैबिनेट मंत्रियों में बीजेपी के 20 तथा एनडीए के घटक शिवसेना, लोजपा एवं शिरोमणि अकाली दल के एक एक सदस्य शामिल हैं। मोदी के कैबिनेट मंत्रियों में मुख्तार अब्बास नकवी एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं। 2014 में मोदी ने 45 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी, जिसमें 23 कैबिनेट, 10 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 12 राज्य मंत्री थे।

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