संविधान पर फंस गए मोदी-भाजपा, अब बिहार में दी सफाई, कैसी है ये दुहाई
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को बिहार के गया में चुनावी रैली में संविधान की दुहाई दी। मोदी ने कहा हमारा संविधान पवित्र है। संविधान बनाने वालों ने समृद्ध भारत का सपना देखा था। मोदी ने कहा कि इस चुनाव में उन लोगों को सजा मिलेगी, जो संविधान के विरोध में हैं। यानी मोदी ने विपक्ष को ही उल्टी टोपी पहना दी कि विपक्ष संविधान का विरोधी है। यह पहला मौका नहीं है जब मोदी ने संविधान की दुहाई दी है। वो कई दिनों से संविधान की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन गया में उन्होंने चौथी बार संविधान की दुहाई दी। लेकिन दूसरी तरफ भाजपा सांसद आए दिन संविधान बदलने का बयान दे रहे हैं। इसकी एक लंबी सूची है। लेकिन जिस तरह से मोदी अब बचाव की मुद्रा में आ गए हैं, उसी से साफ तस्वीर उभर रही है कि इस देश के दलित, आदिवासी, पिछड़े (ओबीसी), अल्पसंख्यक संविधान बदलने की बात को पसंद नहीं कर रहे हैं और इसीलिए मोदी को सफाई देना पड़ रही है।
One more BJP Lok Sabha candidate talks of changing constitution if BJP comes back to power.
— Anshuman Sail Nehru (@AnshumanSail) April 15, 2024
It will be easy to change constitution if BJP gets 400 seats - Meerut BJP candidate Arun Govil
Does the BJP want to end reservation and change constitution? pic.twitter.com/sMYB3LPmuh
गया में सफाई देने से पहले सोमवार 15 अप्रैल को न्यूज एजेंसी एएनआई ने मोदी का जो लंबा-चौड़ा इंटरव्यू जारी किया, उसमें भी मोदी ने सफाई दी। एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश ने विपक्ष के आरोप को दोहराते हुए कहा था कि '400 पार' से संविधान में बदलाव आएगा जिससे विविधता खत्म हो जाएगी, पीएम मोदी का जवाब था, 'मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप (कांग्रेस) किस आधार पर ऐसे आरोप लगा रहे हैं। लेकिन मोदी का बयान पिछले शुक्रवार को बाड़मेर में तो और भी साफ था। मोदी ने कहा था- “और जहां तक संविधान का सवाल है, आप मान के चलें, और मोदी के शब्द लिख कर रखें, बाबा साहेब अंबेडकर खुद आ जाएं तो भी संविधान ख़त्म नहीं कर सकते। संविधान हमारे लिए गीता, बाइबल और कुरान है।“ उन्होंने यह भी दावा किया संविधान दिवस मनाना सबसे पहले उनकी ही सरकार ने शुरू किया।
मोदी ने बाड़मेर से भी पहले 11 अप्रैल को महाराष्ट्र के रामटेक में कहा कि विपक्ष हमें बदनाम कर रहा है कि हम संविधान बदलना चाहते हैं। सवाल यह है कि लगातार चौथी बार मोदी को संविधान बदलने की दुहाई क्यों देना पड़ी। इससे पहले कि उन भाजपा सांसदों की बात की जाए, जो संविधान बदलने की बात बार-बार दोहरा रहे हैं। एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान दिलाना जरूरी है जो संविधान के बदलने से जुड़ा हुआ।
Another BJP MP Lallu Singh spits the truth and says BJP needs 400 seats in the Lok Sabha to change the constitution.
— Anshuman Sail Nehru (@AnshumanSail) April 14, 2024
Lallu says for Govt, we need only 272 but to change entire constitution, we need 400 seats. Is BJP planning to end reservation and democracy after elections? pic.twitter.com/rtr8y5ujfH
भाजपा सांसदों से भी बहुत पहले आरएसएस ने 2015 में आरक्षण खत्म करने की वकालत की थी। उस समय भाजपा केंद्र की सत्ता में थी और मोदी पीएम बन चुके थे। 2015 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सबसे पहले आरक्षण पर फिर से विचार का आग्रह किया था। उस मोहन भागवत ने संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर और पॉन्चजन्य को दिए गए इंटरव्यू में यह बात कही थी। फिर 2019 में आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में भागवत ने कहा था कि ‘आरक्षण के मुद्दे पर सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में बातचीत की जानी चाहिए।’ यानी उन्होंने आरक्षण पर बहस की वकालत कर दी थी। 2015 और 2019 में जब-जब संघ प्रमुख का बयान आया कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने इसका डटकर विरोध किया। बाद में संघ प्रमुख और भाजपा दोनों पीछे हट गए और आरक्षण के समर्थन में बोलने लगे।
What is with BJP candidates, MPs, leaders regularly going on about changing the Constitution of India? Latest - Arun Govil (Meerut candidate) and Lallu Singh (Faizabad MP).
— Seema Chishti (@seemay) April 15, 2024
Old RSS/BJP agenda to finish reservations is now upfront.
File under #BRAmbedkar pic.twitter.com/TZN9MOsKhd
यह बात बहुत साफ है कि दलितों, पिछड़ों को संविधान के जरिए मिले आरक्षण को संविधान में बिना परिवर्तन किए खत्म नहीं किया जा सकता। इसलिए अबकी बार 400 पार का जो औचित्य भाजपा सांसद अनंत हेगड़े, अयोध्या से भाजपा सांसद लल्लू सिंह, मेरठ से भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल, राजस्थान से चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने बताया है कि संविधान में बदलाव तभी हो सकता है जब 400 से ज्यादा सीटें आए। यहां पर उन छुटभैये भाजपा नेताओं की बात नहीं हो रही है, जो आए दिन संविधान बदलने का हसीन ख्वाब देखते हुए बयान दे रहे हैं। हालांकि अनंत हेगड़े का टिकट भाजपा ने काट दिया लेकिन लल्लू सिंह, ज्योति मिर्धा, अरुण गोविल के बयानों का क्या भाजपा ने खंडन किया या उन्हें चुनाव के बीच हटाकर संविधान नहीं बदलने की अपनी मंशा साफ की।
भाजपा में यह सब कुछ ऐसे ही नहीं होता। पहले बयान दिलवा कर माहौल बनाया जाता है और फिर क्रियान्वयन किया जाता है। भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र जारी किया है, उसमें एक देश एक चुनाव की बात कही गई है। क्या संविधान में बदलाव किए बिना भारतीय संसदीय प्रणाली को बदला जा सकता है। एक देश एक चुनाव का वादा भाजपा तभी पूरा कर सकती है जब वो संविधान से मंजूरशुदा भारतीय संसदीय प्रणाली को बदल दे।
बहरहाल, संविधान इस चुनाव में एक मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस और राहुल गांधी ने मंगलवार 16 अप्रैल को मोदी और भाजपा पर फिर से हमला किया। केरल में चुनाव प्रचार कर रहे राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा- "भारत के संविधान को नष्ट करने की कोशिश भाजपा और आरएसएस दोनों कर रहे हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन दोनों संविधान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।" इसी तरह बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी संस्थापक लालू यादव ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर किसी ने संविधान बदलने की कोशिश की तो उसकी आंखें निकाल लेंगे। लालू के इस बयान का ही असर है कि मोदी को मंगलवार को चौथी बार संविधान पर सफाई देना पड़ी। लालू का बयान सिर्फ बिहार ही नहीं पूरी दुनिया में सुना जाता है। इसीलिए मोदी और भाजपा संविधान पर घिर गए हैं।