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मोदी और शाह के बल पर हमेशा चुनाव नहीं जीत सकते, आरएसएस ने माना

मोदी और शाह के बल पर हमेशा चुनाव नहीं जीत सकते, आरएसएस ने माना

दिल्ली में क़रारी हार के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यह मान लिया है कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बल पर बीजेपी हमेशा चुनाव नहीं जीत सकती।

दिल्ली में क़रारी हार के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यह मान लिया है कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बल पर बीजेपी हमेशा चुनाव नहीं जीत सकती।

कुछ दिन पहले ही हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 70 में से सिर्फ़ 8 सीटें ही मिलीं, आम आदमी पार्टी ने बाकी की 62 सीटें जीत लीं। 

क्या कहा है संघ ने

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र ने अपने संपादकीय में लिखा है, 'काँटे की टक्कर वाले चुनाव में बीजेपी की हार के दो प्रमुख कारण रहे हैं। पार्टी 2015 के चुनाव के बाद ज़मीनी स्तर पर संगठन को फिर से खड़ा करने में नाकाम रही और चुनाव के अंतिम चरण में जिस तरह से प्रचार हुआ, उससे पार्टी की हार हुई।'

संपादकीय में कहा गया है, 'नरेंद्र मोदी और अमित शाह विधानसभा चुनाव जीतने में हमेशा मददगार नहीं हो सकते। संकेत साफ़ है कि ज़मीनी स्तर पर पार्टी को फिर से संगठित करने और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दने का कोई विकल्प नहीं है।'

इसके पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी नेताओं के नफ़रत वाले बयान के कारण दिल्ली चुनाव में नुक़सान हुआ होगा। उनका यह बयान दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को बड़ी हार मिलने के बाद पहली बार आया है। अमित शाह ने यह साफ़ नहीं किया है कि उनका यह बयान क्या उनके उस बयान पर भी लागू होता है जिसमें उन्होंने एक चुनाव रैली में कहा था कि बटन ऐसा दबाना जिससे शाहीन बाग़ को करंट लगे। 

उन्होंने सफ़ाई में इतना ज़रूर कहा कि यह उनके समझाने का तरीक़ा है। अमित शाह का यह बयान इसलिए काफ़ी अहम है क्योंकि अमित शाह ने ही चुनावी रैलियों का नेतृत्व किया। 

उनकी यह प्रतिक्रिया इसलिए भी ख़ास है क्योंकि चुनाव में हार के लिए बीजेपी और गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना हुई। ज़्यादा आलोचना इसलिए हुई कि बीजेपी ने दिल्ली चुनाव जीतने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

इसके लिए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने से लेकर, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण तक का सहारा लिया गया। ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया गया जिसे क़तई इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कहा जाता है कि अमित शाह की रणनीति ही थी कि तमाम मंत्रियों और बड़ी संख्या में सांसदों को लगाया गया। शाह डोर-टू-डोर कैंपेन में लगे रहे और पार्टी कार्यकर्ताओं से फ़ीडबैक लेते रहे। लेकिन अब अमति शाह ने साफ़ कहा है कि 'गोली मारो...', 'भारत-पाकिस्तान मैच' जैसे नफ़रत वाले बयान नहीं दिए जाने चाहिए थे।

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