स्टालिन का राष्ट्रपति को ख़त- 'राज्यपाल आर एन रवि हटाए जाने योग्य'
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर राज्यपाल आरएन रवि के ख़िलाफ़ शिकायत की है। उन्होंने राज्यपाल पर 'सांप्रदायिक नफ़रत' भड़काने और उन्हें 'राज्य में शांति के लिए ख़तरा' होने का आरोप लगाया है। राष्ट्रपति को लिखे ख़त में उन्होंने कहा है कि 'राज्यपाल आर एन रवि हटाए जाने योग्य' हैं।
स्टालिन सरकार और राज्य के राज्यपाल आरएन रवि के बीच काफी लंबे समय से तनातनी चली आ रही है। पिछले महीने ही यह काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई थी। 28 जून की रात को तमिलनाडु में स्टालिन सरकार और राज्यपाल के बीच राजनीतिक 'ड्रामा' चला था। पहले तो तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने अप्रत्याशित तौर पर बिना एमके स्टालिन कैबिनेट से सलाह लिए ही जेल में बंद मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन बाद में जब डीएमके की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई तो राजभवन ने कदम 'पीछे' हटा लिए थे। देर रात को ही राजभवन से सूचना दी गई थी कि राज्यपाल का बर्खास्तगी आदेश कानूनी सलाह के लिए लंबित है।
जिन मुद्दों पर तनातनी बनी रही है उसका ज़िक्र राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में भी किया गया है। 8 जुलाई को भेजे गए पत्र में सीएम के आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'राज्य की राजधानियों में बैठकर और राज्य सरकार को उखाड़ फेंकने के अवसर की तलाश में राज्यपाल को केवल संघ के एजेंट के रूप में माना जा सकता है और राज्यपाल की ऐसी कार्रवाई हमारे संघीय दर्शन को नष्ट कर देगी और भारतीय लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को नष्ट कर देगी, तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने स्वयं ऐसे राज्यपाल का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। राज्यपाल ने अनुच्छेद 159 के तहत संविधान और कानून की रक्षा करने और तमिलनाडु के लोगों की सेवा और कल्याण के लिए खुद को समर्पित करने की शपथ ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्पष्ट है कि रवि ने अपराध किया है और सांप्रदायिक नफरत भड़काई है और वह राज्य में शांति के लिए ख़तरा हैं।'
स्टालिन ने राज्यपाल द्वारा उल्लंघनों की एक कथित सूची भेजी है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने लिखा है कि रवि राज्यपाल के पद से "हटाए जाने योग्य हैं"। स्टालिन ने लिखा है कि राज्यपाल ने राज्य के लोगों और हितों तथा संविधान के विरुद्ध कार्य करके अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है।
उन्होंने लिखा है कि कथित उल्लंघनों में गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी को एकतरफा बर्खास्त करने और इसे कुछ घंटों में स्थगित करने की राज्यपाल की कार्रवाई शामिल है। उन्होंने कहा है कि मंत्री की नियुक्ति पर निर्णय लेना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, न कि राज्यपाल का।
I have written to Hon'ble @rashtrapatibhvn apprising about the unconstitutional functioning of the Tamil Nadu Governor, his disregard for elected government and the state legislature, and overreach in state affairs. The Governor's acts of delaying assent to bills, interfering… pic.twitter.com/GQMFaw6anU
— M.K.Stalin (@mkstalin) July 9, 2023
उन्होंने लिखा, विपक्ष शासित राज्य सरकार को गिराने का अवसर तलाश रहे राज्यपाल को केवल केंद्र के एजेंट के रूप में देखा जाएगा।
उन्होंने यह निर्णय राष्ट्रपति पर छोड़ दिया है कि रवि का राज्यपाल के रूप में बने रहना 'स्वीकार्य और उचित' है या नहीं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल पर सत्तारूढ़ डीएमके के साथ 'राजनीतिक युद्ध' करने का आरोप लगाते हुए स्टालिन ने आरोप लगाया कि रवि राज्य सरकार की नीति के खिलाफ काम करते हैं, सदन द्वारा पारित विधेयकों पर अपनी सहमति में देरी करके विधायिका के काम में बाधा डालते हैं। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि उनके द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण उपलब्ध कराए जाने के बाद भी ऐसा होता है।
उन्होंने कहा है कि आरएन रवि अन्नाद्रमुक के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की अनुमति देने में भी अनावश्यक रूप से देरी करते हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल विभाजनकारी हैं और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने कहा है, 'वह धर्म पर व्यक्तिगत विचार व्यक्त करते हैं, हिंदू धर्म का महिमामंडन करते हैं, तमिल संस्कृति को छोटा और बदनाम करते हैं, लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य का नाम बदलने का उनका सुझाव तमिलनाडु के प्रति उनकी नफ़रत को दर्शाता है।'