मुख्यमंत्रियों से लेकर देश के गृह मंत्री तक निजी अस्पतालों में ही क्यों हो रहे हैं भर्ती?
क्या सरकारी अस्पतालों की हालत इतनी ख़राब है कि अधिकतर राजनेता निजी अस्पतालों में इलाज कराने को तरजीह दे रहे हैं या फिर बेहतर सुविधाएँ होने के बावजूद ऐसे लोगों का सरकारी अस्पतालों में भरोसा नहीं है आख़िर एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे अस्पतालों को छोड़कर नेता निजी अस्पताल क्यों जा रहे हैं कुछ ऐसे ही सवाल कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक ट्वीट से खड़े होते हैं। उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह के निजी अस्पताल में भर्ती होने पर सवाल उठाए हैं और सलाह भी दी है।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के एम्स जैसे संस्थान के विचार से जुड़े एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए शशि थरूर ने ट्वीट किया, 'बिल्कुल सही। आश्चर्य है कि बीमार होने पर हमारे गृह मंत्री ने एम्स में नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्य के एक निजी अस्पताल में जाना चुना। सार्वजनिक संस्थानों को ताक़तवर लोगों के संरक्षण की ज़रूरत है यदि उनमें जनता के विश्वास को मज़बूत करना है।'
True. Wonder why our Home Minister, when ill, chose not to go to AIIMS but to a private hospital in a neighbouring state. Public institutions need the patronage of the powerful if they are to inspire public confidence. https://t.co/HxVqdREura
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 3, 2020
अमित शाह रविवार को कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा कि हालाँकि उनकी हालत ठीक है, पर वह डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में भर्ती हुए हैं। बता दें कि उन्हें दिल्ली के पास हरियाणा के गुरुग्राम में मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कोरोना संक्रमण के बाद एक के बाद एक कई जन प्रतिनिधियों के संक्रमित होने और उनके निजी अस्पतालों में भर्ती होने के बाद से सोशल मीडिया पर उनकी इसलिए आलोचना की जा रही है कि वे सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं करवा रहे हैं। हाल के दिनों में कई राज्यों में सरकारी अस्पतालों में भारी अव्यवस्था की ख़बरें आती रही हैं और इस कारण सोशल मीडिया पर लोगों ने जन प्रतिनिधियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा ज़ाहिर किया है।
अमति शाह के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई थी। येदियुरप्पा को भी बेंगलुरु के निजी अस्पताल मणिपाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। इससे क़रीब 10 दिन पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। शिवराज को भी भोपाल के एक निजी अस्पातल में भर्ती कराया गया है।
जन प्रतिनिधियों द्वारा सरकारी अस्पतालों को छोड़कर निजी अस्पतालों में भर्ती होने से सवाल तो कई उठ रहे हैं। एक सवाल तो यही है कि क्या इससे यह साफ़ नहीं है कि सरकार भी यह मानती है कि सरकारी अस्पतालों की हालत काफ़ी ज़्यादा ख़राब है एक सवाल यह भी है कि क्या इन अस्पतालों को इसलिए इस स्थिति में छोड़ दिया गया है क्योंकि इनमें आम लोगों का इलाज होता है, वीवीआईपी और ख़ास लोग तो प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख़ करते हैं
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी कुछ ऐसे ही सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट किया है, 'हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर इससे बड़ा पुख्ता आरोप क्या हो सकता है कि लगभग सभी वीवीआईपी ख़ुद को सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में जाना पसंद करते हैं। मुझे लगता है कि सरकारी अस्पताल सामान्य ‘आम जनता’ के लिए होता है!'
What can be a greater indictment of our public health system that almost all VVIPs prefer to admit themselves in private hospitals than government ones. The latter are meant for the general ‘aam’ public I guess!🙏
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 3, 2020
बता दें कि हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कई मंत्री और विधायक कोरोना संक्रमित हुए हैं। देश में कोरोना संक्रमण काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है और हर रोज़ अब 50-55 हज़ार के बीच संक्रमण के नये मामले आ रहे हैं। देश में 18 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 38 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।