पेगासस पर मंत्री वी.के.सिंह के बिगड़े बोल, कहा - न्यूयॉर्क टाइम्स सुपारी मीडिया
पेगासस जासूसी कांड में ताजा खुलासा होने के बाद बीजेपी ने कोई अधिकृत प्रतिक्रिया तो नहीं दी लेकिन केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने न्यूयॉर्क टाइम्स को सुपारी मीडिया बताया है। हालांकि जनरल वी. के. सिंह यह नहीं बता सके कि न्यूयॉर्क टाइम्स किस तरह सुपारी मीडिया है। यह शख्स पहले भी मीडिया की तुलना वेश्या से कर चुका है।
जनरल वी. के. सिंह ने आज अपराह्न ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने सवाल पूछा कि क्या न्यूयॉर्क टाइम्स पर विश्वास किया जा सकता है। वे सुपारी मीडिया के रूप में जाने जाते हैं। जनरल सिंह के इस ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रिया में उनका जमकर मजाक उड़ा रहे हैं। लोगों ने लिखा है कि बीजेपी समर्थित मीडिया सच्चा है और इंटरनेशनल मीडिया पूर्वाग्रही है। एक यूजर ने लिखा है कि जनरल सिंह आप सही कह रहे हैं, हमें सिर्फ अर्णब गोस्वामी और सुदर्शन टीवी पर विश्वास करना चाहिए। एक दूसरे यूजर ने लिखा है कि हिम्मत है तो भारत-इजरायल डील के दस्तावेज सार्वजनिक करो। एक और यूजर ने लिखा है कि मिस्टर सिंह अगर सुपारी मीडिया कोई है तो आपकी सरकार और आपकी पार्टी है।
Can you trust NYT?? They are known " Supari Media ". https://t.co/l7iOn3QY6q
— General Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) January 29, 2022
बीते साल भारत की सियासत में तूफान ला देने वाले पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी के मामले में एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है। अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि भारत सरकार ने 2017 में इजरायल के साथ हुई डिफेंस डील के तहत इस जासूसी सॉफ्टवेयर को खरीदा था। यह डिफेंस डील दो अरब डॉलर की थी। एक साल तक लंबी पड़ताल करने के बाद अखबार ने इस खबर को प्रकाशित किया है।अखबार ने कहा है कि अमेरिका की सुरक्षा एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने भी इस सॉफ्टवेयर को खरीदा था और इसका इस्तेमाल भी किया था।
रिपोर्ट कहती है कि इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के कई देशों ने किया और इसके जरिए पत्रकारों और असंतुष्टों को निशाना बनाया गया। अखबार ने कहा है कि इजरायल ने यह स्पाइवेयर पोलैंड, हंगरी, भारत सहित कई और देशों को दिया।न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में जब इजरायल पहुंचे तब यह डिफेंस डील हुई थी और पेगासस स्पाइवेयर और मिसाइल सिस्टम इसके अहम बिंदु थे।अखबार अपनी रिपोर्ट में कहता है कि कुछ महीनों बाद इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू भारत आए और जून 2019 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में हुई एक वोटिंग में इजरायल के हक में मतदान किया।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 27 अक्टूबर को एक स्वतंत्र जांच कमेटी बनाई थी और इसमें रिटायर्ड जस्टिस आरवी रविंद्रन और 2 विशेषज्ञों को रखा था। मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई एनवी रमना ने कहा था कि सरकार हर वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा की बात कहकर बचकर नहीं जा सकती। इसके बाद अदालत ने इसकी विस्तृत जांच करने का आदेश दिया था।