अवमानना केस- स्मृति ईरानी की बेटी पर ट्वीट हटाएँ कांग्रेस नेता: कोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा दायर कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेटा डिसूजा के ख़िलाफ़ दायर मानहानि के मुक़दमे पर समन जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने उन्हें ईरानी की बेटी के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों के बारे में ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को 24 घंटे के अंदर हटाने के लिए कहा है। तीनों नेताओं को 18 अगस्त को अदालत में पेश होने के लिए भी कहा है।
ईरानी ने मुक़दमे में कहा है कि कांग्रेस नेताओं ने एक-दूसरे के साथ मिलकर उनकी और उनकी बेटी के ख़िलाफ़ झूठे, तीखे और व्यक्तिगत हमले शुरू करने की साज़िश रची है। उन्होंने कहा है कि हमले का मक़सद उन्हें और उनकी बेटी की प्रतिष्ठा, नैतिक चरित्र को बदनाम करना, सार्वजनिक छवि को नुक़सान और चोट पहुंचाना है।
स्मृति ईरानी की बेटी पर गोवा में 'अवैध रूप से' एक रेस्तरां बार चलाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने कुछ दिन पहले ही स्मृति ईरानी के इस्तीफे की मांग की थी। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि एक मृत व्यक्ति के नाम पर धोखाधड़ी कर लाइसेंस प्राप्त किया गया।
दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा था, 'गोवा में उनकी बेटी द्वारा संचालित एक रेस्तरां, जिसमें एक बार है…, पर धोखाधड़ी से लाइसेंस हासिल करने का आरोप है। लाइसेंस एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर है जिसकी मई 2021 में मृत्यु हो गई और इसे जून (2022) में प्राप्त किया गया था। उस शख्स के नाम पर स्मृति ईरानी की बेटी ने लाइसेंस लिया था।'
ईरानी ने इस आरोप को दुर्भावनापूर्ण क़रार देते हुए पलटवार किया था कि उनकी बेटी, ज़ोइश को सिर्फ़ इसलिए निशाना बनाया गया था क्योंकि वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करती हैं।
स्मृति ईरानी ने पिछले हफ्ते कांग्रेस के तीनों नेताओं और उनकी पार्टी को क़ानूनी नोटिस भेजा था। उन्होंने बिना शर्त लिखित माफी और अपनी बेटी के खिलाफ लगे आरोपों को तुरंत वापस लेने की मांग की थी।
आरोप लगाया गया है कि 'इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ होने के बावजूद कि आवेदक और उसकी बेटी न तो परिसर के मालिक हैं और न ही उन्होंने उक्त रेस्तरां के संबंध में किसी भी लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, कांग्रेस नेताओं ने जानबूझकर कई मानहानि वाले दावे किए।'
इस मामले में सुनवाई हुई और अदालत ने फ़िलहाल केंद्रीय मंत्री के पक्ष में फ़ैसला दिया है। इसने कांग्रेस नेताओं से सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कांग्रेस नेता ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो इस मामले में सोशल मीडिया कंपनी या ट्विटर को ट्वीट हटाना होगा।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'दिल्ली उच्च न्यायालय ने हमें स्मृति ईरानी द्वारा दायर मामले का औपचारिक रूप से जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। हम अदालत के सामने तथ्य पेश करने के लिए उत्सुक हैं। हम सुश्री ईरानी द्वारा दी जा रही स्पिन को चुनौती देंगे और उसका खंडन करेंगे।'
The Delhi High Court has issued notice asking us to formally reply to the case filed by Smriti Irani. We look forward to presenting the facts before the court. We will challenge and disprove the spin being put out by Ms. Irani.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 29, 2022
बता दें कि फ़ैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण ने कहा है कि प्रथम दृष्टया मामला ईरानी के पक्ष में और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'मैं सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म - यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लगाए गए आरोपों को हटाने और प्रतिवादियों को निर्देश देने वाला अंतरिम निषेधाज्ञा पारित करना उचित समझता हूं।' उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें ईरानी और उनकी बेटी पर पोस्ट, वीडियो, ट्वीट, रीट्वीट, मॉर्फ्ड तस्वीरों को हटाने और उनके पुन: प्रसार को रोकने के लिए भी निर्देशित किया जाता है।
आदेश में कहा गया है, 'मेरा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि वादी के खिलाफ वास्तविक तथ्यों की पुष्टि किए बिना निंदनीय आरोप लगाए गए थे। प्रतिवादियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कारण किए गए ट्वीट और रीट्वीट को देखते हुए वादी की प्रतिष्ठा को गंभीर चोट पहुंची है।'