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राहुल से बोले मजदूर, ‘अचानक लॉकडाउन लगा दिया, 4 दिन पहले बताते तो हम घर चले जाते’

राहुल से बोले मजदूर, ‘अचानक लॉकडाउन लगा दिया, 4 दिन पहले बताते तो हम घर चले जाते’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले दिल्ली में प्रवासी मजदूरों के साथ हुई उनकी मुलाक़ात का वीडियो जारी किया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले दिल्ली में प्रवासी मजदूरों के साथ हुई उनकी मुलाक़ात का वीडियो जारी किया है। 16 मई को राहुल दक्षिणी दिल्ली के सुखदेव विहार फ्लाईओवर के रास्ते अपने घरों की ओर लौट रहे मजदूरों से बात करने के लिए रुके थे। 

राहुल ने इस वीडियो में घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों के दर्द के बारे में बात की है। राहुल कहते हैं कि कोरोना ने बहुत लोगों को चोट पहुंचाई है लेकिन सबसे ज़्यादा दुख हमारे मज़दूर भाई-बहनों को हुआ है। 

फुटपाथ पर बातचीत के दौरान मज़दूर राहुल से कहते हैं, ‘हम लोग तीन दिन से भूखे हैं। जो पैसा बचाया था, वो ख़त्म हो गया है। हमारी मज़बूरी है, हम बीमारी के साथ भूख से भी लड़ रहे हैं।’ मजदूर बताते हैं कि वे उत्तर प्रदेश के झांसी के मऊरानीपुर जा रहे हैं और उनके पास बिलकुल पैसे नहीं है। 

राहुल पूछते हैं कि उन्हें लॉकडाउन का कैसे पता चला। इस पर मजदूर बताते हैं, ‘हमें अचानक ही पता चला कि भारत बंद है। अगर हमें 4 दिन मिल जाते तो हम घर चले जाते। इस दौरान हम लोग दो महीने वहां रुके रहे।’ 

मजदूर कहते हैं, ‘मोदी जी ने नोटबंदी की तरह अचानक लॉकडाउन घोषित कर दिया। उन्होंने ग़रीब आदमी के बारे में नहीं सोचा। रात को ही बोल देते हैं कि सब बंद हो जाएगा और सुबह बंद हो जाता है।’

लॉकडाउन ख़त्म होने का करते रहे इंतजार

मजदूरों ने कहा, ‘अभी तक हम इंतजार करते रहे कि लॉकडाउन ख़त्म होगा लेकिन यह बढ़ता गया और हमें वहां से निकलना पड़ा। हमें एक रुपये की भी मदद नहीं मिली है। पुलिस वालों के अलावा दूसरे लोग भी डंडा लेकर घूमते थे और बाहर नहीं निकलने देते थे।’

इस दौरान एक महिला रोते हुए कहती है कि चाहे हम लोग मर जाएंगे लेकिन वापस हरियाणा नहीं जाएंगे और हमको अपने गांव जाना है। मजदूर कहते हैं, ‘हमें कोरोना बीमारी का डर नहीं है, पेट की बीमारी का डर सता रहा है। हम लोगों के पास पैसे नहीं हैं, मकान का किराया कहां से देते।’ 

एक महिला कहती है, ‘लॉकडाउन के बारे में हमको 8-10 दिन पहले बता देते। हम लोगों को घर भेज देते कि इतने दिनों के लिए काम बंद हो रहा है। हमारे पास पैसे नहीं हैं जिससे हम रेल का टिकट बनवा सकें। ग़रीब आदमी को ही भोगना पड़ता है, अमीर लोगों को कुछ नहीं होता।’ 

महिलाएं कहती हैं कि न तो कोई किराया माफ़ किया, न ही बिजली-पानी का पैसा। अंत में मजदूर कहते हैं कि उन्हें किसी तरह झांसी पहुंचा दीजिए। इस पर राहुल गांधी कहते हैं कि वे इसमें उनकी मदद करेंगे। राहुल उन्हें कुछ गाड़ियों और छोटी बसों से झांसी तक पहुंचा देते हैं। इस पर वे लोग राहुल का शुक्रिया अदा करते हैं और कहते हैं कि झांसी पहुंचने पर राहुल ने उन लोगों के लिए राशन की व्यवस्था भी की। 

राहुल के मजदूरों से मिलने को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वे इस मामले में ड्रामेबाज़ी न करें। 

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