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दिल्ली, मुंबई सहित कई शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी

दिल्ली, मुंबई सहित कई शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगने वाले लॉकडाउन या अन्य प्रतिबंधों की सबसे ज़्यादा मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ती है।

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगने वाले लॉकडाउन या अन्य प्रतिबंधों की सबसे ज़्यादा मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ती है। पिछले साल भी लॉकडाउन की वजह से उन्हें महानगरों को छोड़कर अपने घरों की ओर जाना पड़ा था और एक बार फिर लॉकडाउन लगने के डर से वे बीते कई दिनों से महानगरों को छोड़कर घर जा रहे हैं। 

दिल्ली, मुंबई, गुड़गांव से ऐसी तसवीरें सामने आई हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग वापस अपने गृह राज्यों की ओर लौट पड़े हैं। 

दिल्ली के आईएसबीटी, आनंद विहार पर ऐसे ही कई प्रवासी मजदूर इन दिनों देखे जा सकते हैं। लखनऊ के गौरी शंकर शर्मा ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, “कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और लॉकडाउन लगने के आसार हैं। अब काम नहीं है, इसलिए मैं जा रहा हूं।” ऐसी ही बात बरेली के सुनील गुप्ता और बाक़ी लोगों ने कही। मज़दूरों ने कहा कि नेताओं को कोई दिक्कत नहीं है, वे एसी कारों में घूमते हैं। 

धारावी से पलायन शुरू

महाराष्ट्र, मुंबई के कई इलाक़ों के अलावा एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी धारावी से भी लोगों का पलायन शुरू हो गया है। क्योंकि राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू के अलावा भी कई बंदिशें लगा दी हैं। इस वजह से स्थानीय कारोबार बीते 20 दिनों से प्रभावित है और कई जगह बंद भी हो गया है। अकेले धारावी से 25 हज़ार प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर निकल चुके हैं। मुंबई के साथ ही धारावी में भी संक्रमण बढ़ रहा है। 

काम न होने के कारण मजदूर अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं क्योंकि वे पिछले साल वाले हालात का सामना नहीं करना चाहते, जब वे सैकड़ों किमी चलकर अपने घर पहुंचे थे।

अधिकतर कारोबारी रोज कमाने खाने वाले हैं। ऐसे में जब कारोबार बंद है और इसका सीधा असर मालिक की आय पर पड़ता है और वे काम न होने के कारण मजदूरों से घर चले जाने के लिए कहते हैं। 

 - Satya Hindi

स्टेशन के बाहर रात गुजार रहे लोग

मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से बड़ी संख्या में मजदूर घर लौट रहे हैं। पुणे में भी यही हालात हैं। मजदूरों के पास घर का किराया देने के पैसे नहीं हैं, ऐसे में मकान मालिकों का उन पर दबाव है। कन्फर्म टिकट न होने के कारण इन लोगों को पुलिस डंडे मारती है और ये लोग स्टेशन के बाहर ही रात गुजारने को मजबूर हैं। 

हालात ये हैं कि बीते कई दिनों से महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश और बिहार को आने वाली ट्रेनें खचाखच भरी हुई हैं। अभी इन राज्यों में क्वारेंटीन सेंटर की भी पूरी व्यवस्था नहीं है और ऐसे में संक्रमण गांवों तक भी पहुंच सकता है।

इसी तरह मध्य प्रदेश के भोपाल से भी प्रवासी मजदूर निकल कर अपने गांवों की ओर जा रहे हैं। 

नाइट कर्फ़्यू की मार

दिल्ली-मुंबई में रात के वक़्त हज़ारों ढाबे, रेस्तरां, क्लब, बार को अच्छा व्यवसाय मिलता है लेकिन नाइट कर्फ़्यू के कारण इनमें काम करने वाले लोग दुखी हो गए हैं। छोटे-मोटे होटलों, ढाबों, रेस्तरां, क्लब में लाखों लोगों को काम मिला हुआ है लेकिन नाइट कर्फ्यू के कारण इनकी रोजी-रोटी ख़तरे में पड़ गई है। 

गुड़गांव से भी जा रहे मजदूर

दिल्ली से सटे हरियाणा के गुड़गांव से भी मजदूर जाने लगे हैं। इन लोगों का भी यही कहना है कि उनकी कंपनियों में काम बंद हो चुका है और अब उन्हें डर है कि लॉकडाउन लगा तो वे यहीं फंस जाएंगे। यहां भी नाइट कर्फ्यू के कारण बहुत सारे लोगों के काम-काज पर मार पड़ी है। गुड़गांव के राजीव चौक बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर काफी भीड़ देखी जा रही है। यहां से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जाने वाली ट्रेनें फुल जा रही हैं। टीओआई के मुताबिक़, कई प्रवासी मजदूरों ने कहा कि वे लॉकडाउन के डर से ही जा रहे हैं। 

पिछले साल अचानक लगाए गए लॉकडाउन की वजह से दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, गुड़गांव, अहमदाबाद सहित कई महानगरों से लाखों लोगों ने पलायन शुरू कर दिया था। ये दिन मार्च के आख़िरी सप्ताह के थे और कई दिनों तक प्रवासी मजदूर अपने घर वापस पहुंचने के लिए परेशान रहे थे। लेकिन अपने राज्य में पहुंचने पर इन्हें सीमा पर ही रोक लिया गया था। वहां इनके लिए क्वारेंटीन सेंटर बनाए गए थे, जहां इन्हें और भी बुरे हालात का सामना करना पड़ा था। 

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