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इस्कॉन में कैसे पहुँच गया स्कूलों वाला मिड-डे-मील?

इस्कॉन में कैसे पहुँच गया स्कूलों वाला मिड-डे-मील?

जिस मिड-डे-मील में गड़बड़ी अब तक सरकारी कार्यालयों और इसकी सप्लाई करने वाली निजी कंपनियों में होती रही है कुछ ऐसी ही गड़बड़ी अब इस्कॉन में होने के आरोप लगे हैं। स्कूलों वाला मिड-डे-मील इस्कॉन में कैसे पहुँच गया? 

जिस मिड-डे-मील में गड़बड़ी अब तक स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और इसकी सप्लाई करने वाली निजी कंपनियों में होती रही है कुछ ऐसी ही गड़बड़ी अब इस्कॉन में होने के आरोप लगे हैं। दरअसल, सरकार की मिड-डे-मील योजना के चावल वाले बैग विशाखापत्तनम के इस्कॉन परिसर में मिले हैं। जब इसकी गुप्त सूचना मिली तो सतर्कता और प्रवर्तन विभाग के अधिकारियों की एक टीम व नागरिक आपूर्ति विभाग ने आकस्मिक जाँच कर सोमवार रात को 19.8 टन वजन के 396 बैग ज़ब्त किए। हालाँकि इस्कॉन प्रशासन ने दावा किया है कि मिड-डे-मील के ये चावल श्रद्धालुओं ने दान में दिए हैं। इस्कॉन में मिड-डे-मील के चावल मिलने का मामला शायद पहली बार आया है, लेकिन मिड-डे-मील स्कूलों में सप्लाई करने के स्तर पर कई तरह की गड़बड़ियाँ मिलती रही हैं। बच्चों को मिड-डे-मील नहीं मिलने या फिर कम मिलने की शिकायतें अक्सर आती रही हैं। घटिया खाना परोसे जाने के आरोप लगते रहे हैं। खाने में छिपकली, कॉक्रोच मिलने की शिकायतें भी आती रही हैं। और मिड-डे-मील में भ्रष्टाचार के मामले तो जब तब आते ही रहे हैं। विशाखापत्तनम के इस्कॉन परिसर में जो कार्रवाई की गई है उसमें भी ऐसी ही गड़बड़ी के आरोप हैं।

इस्कॉन परिसर में इस कार्रवाई पर ‘द हिंदू’ ने रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को लारी यानी सामान ढोने वाली गाड़ी में चावल की थैलियाँ लादते हुए पाया और जब तक वे परिसर में छापा मारते, तब तक क़रीब 5.5 टन वजन वाले 110 बैग लाद चुके थे। सतर्कता निरीक्षक मल्लिकार्जुन राव ने कहा, ‘पूछताछ के दौरान, लारी के मालिक गावर ईस्वर राव और उनके सहयोगी कलासी वी. संन्यासी राव उर्फ़ ​​सनी ने कहा कि मिड-डे मील के चावल पैक किए जा रहे थे और स्टॉक को काकीनाड भेजा जा रहा था।’

रिपोर्ट के अनुसार, सतर्कता अधिकारियों के अनुसार, इस्कॉन के एक पुजारी श्याम सुंदर प्रिया दास पर सरकारी चावल में गड़बड़ी करने का संदेह था। लारी से लदे चावल के 110 बैग के अलावा, अधिकारियों ने बड़े करीने से पैक 286 बैग भी कथित तौर पर मिड-डे मील के चावल से भरे हुए पाए।

‘द हिंदू’ से बातचीत में विशाखापत्तनम के डीएसपी के. श्रावणी ने कहा, ‘चावल का वजन क़रीब 19.8 टन है। लारी को ज़ब्त कर लिया गया है। नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा जारी की गई थैलियों से चावल को प्लास्टिक की थैलियों में भरा जा रहा था और स्टॉक परिवहन के लिए तैयार था।’ 

थैलियों पर लिखा था- काकीनाड

प्लास्टिक की थैलियों पर ‘सेलोनी और एक्सपोर्ट श्री सीतारमनजन्य, काकीनाड’ शब्द छपे थे। इससे अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि स्टॉक को काकीनाड भेजा जा रहा था। हालाँकि, इस बात की पुष्टि की जानी बाक़ी है।

रिपोर्ट के अनुसार मल्लिकार्जुन राव ने कहा, ‘इस्कॉन कुछ स्कूलों में मिड-डे-मील भी उपलब्ध कराता है। लेकिन, हमें पता चला कि इसने मार्च 2019 के बाद स्टॉक रजिस्टर का रखरखाव नहीं किया है। एमईओ सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने फ़रवरी के बाद स्टॉक का निरीक्षण तक नहीं किया है।’

इस्कॉन की सफ़ाई, श्रद्धालुओं ने दान दिया है

हालाँकि, इस्कॉन के अधिकारियों ने इसके मिड-डे-मील का चावल होने के आरोपों को नकार दिया। इसने दावा किया कि जिस स्टॉक को जब्त किया गया है वह श्रद्धालुओं द्वारा दान किया गया था और ‘प्रसादम’ तैयार करने के लिए बेहतर गुणवत्ता के चावल से इसकी अदला-बदली की जा रही थी।

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, इस्कॉन (विशाखापत्तनम) के अध्यक्ष सांबा दास ने कहा, ‘चावल का स्टॉक श्रद्धालुओं द्वारा दान किया गया था और यह वह चावल नहीं था जो मिड-डे-मील योजना के लिए था। इस्कॉन 67 सरकारी स्कूलों के 13,000 से अधिक छात्रों और 61 जीवीएमसी स्कूलों के 1,850 छात्रों को मिड-डे-मील प्रदान कर रहा है।

फ़िलहाल इस मामले में जाँच जारी है और बताया जा रहा है कि अधिकारी पूरी जाँच के बाद ही पता लगा पाएँगे कि कहाँ से गड़बड़ी की गई है और इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है

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