'तब्लीग़ी से नफ़रत': कानपुर की मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल हटाई गईं
एक वीडियो में तब्लीग़ी जमात के सदस्यों के ख़िलाफ़ 'नफ़रत' की बात कहती दिखने वाली कानपुर के मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी को हटा दिया गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। वह एक स्टिंग में कैमरे पर तब्लीग़ी जमात के सदस्यों को आतंकवादी बुलाती दिखीं और कह रही थीं कि उन्हें हॉस्पिटल के बजाए जेल भेज देना चाहिए या फिर 'जंगल या कालकोठरी में'। उन्होंने तब्लीग़ी जमात के सदस्यों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर राज्य की बीजेपी सरकार पर 'तुष्टिकरण' करने और उन पर संसाधनों को बर्बाद करने का आरोप लगाया था। कथित तौर पर एक स्थानीय पत्रकार द्वारा किए गए इस स्टिंग का वीडियो वायरल होने के बाद यह कार्रवाई की गई है। हालाँकि, डॉ. लालचंदानी ने आरोप लगाया है कि साज़िश के तहत इस वीडियो से छेड़छाड़ की गई है। वीडियो आने के बाद वह ख़ुद को मुसलिमों का बड़ा हितैशी बताती रही हैं।
'द इंडियन एक्सप्रेस' ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर लालचंदानी के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई कानपुर के ज़िलाधिकारी ब्रह्म देव तिवारी द्वारा इस विवाद पर प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) रजनीश दुबे को रिपोर्ट सौंपने के बाद हुई है। एक सूत्र ने कहा, 'लालचंदानी को झाँसी स्थानांतरित कर दिया गया है, जहाँ वह महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल के रूप में काम करेंगी।' रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोफ़ेसर आर बी कमल को उनकी जगह लेने की सबसे अधिक संभावना है। हालाँकि, अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में कानपुर ज़िलाधिकारी ने कहा है कि डॉ. लालचंदानी के तबादले के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। लेकिन लालचंदानी ने 31 मई को ख़ुद इस बात की पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो को लेकर प्रमुख सचिव दुबे ने उनसे बात की थी और उनके सामने उन्होंने अपना पक्ष रखा था।
अभी तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। सूत्रों ने भी यह साफ़ नहीं किया है कि डॉक्टर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है या नहीं। इस पर स्थिति और ज़्यादा तभी साफ़ होगी जब राज्य सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ बयान आए। माना जा रहा है कि वीडियो में डॉ. लालचंदानी जिस तरह से कथित तौर पर नफ़रत वाले बयान देती दिख रही हैं यदि वह सही है तो कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
डॉक्टर लालचंदानी का जो वीडियो वायरल हुआ है वह क़रीब दो महीने पहले का बताया जा रहा है। यह तब का वीडियो है जब तब्लीग़ी जमात का दिल्ली के निज़ामुद्दीन में कार्यक्रम हुआ था।
तब्लीग़ी जमात के उस कार्यक्रम से लौटकर जमात के सदस्य अपने-अपने घर गए थे। उसी कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों में बड़ी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल महीने में इसी अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में कार्यक्रम में शामिल होने वाले तब्लीग़ी जमात के सदस्य ग़लत व्यवहार कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया था कि जमात के सदस्य अस्पताल में क्वॉरेंटीन में थे और वे इधर-उधर थूक रहे थे व सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
वायरस वीडियो में सुना जा सकता है कि डॉक्टर लालचंदानी जमात के सदस्यों का ज़िक्र करते हुए कहती हैं, 'हम आतंकवादियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं, इसलिए उन लोगों के कारण कई डॉक्टर क्वॉरेंटीन में हैं। मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) इन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराकर तुष्टीकरण की नीति का पालन कर रहे हैं। उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।'
Islamophobic Dr Aarti Lalchandani, Dean GSVM Medical College Kanpur, calls tablighi Jamat members TERRORISTS says Govt is wasting money on their treatment they should be sent to Jungle or in Jail. A Journalist suggest her to use poisonous injection on them! pic.twitter.com/5GqO2bzmvb
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) May 31, 2020
हालाँकि इस वीडियो के वायरल होने के बाद डॉ. लालचंदानी ने दावा किया कि क्लिप से छेड़छाड़ की गई है। लालचंदानी ने कहा, 'कुछ लोगों ने इस तरीक़े से साज़िश की है। फिरौती करने की कोशिश है। कुछ लोगों ने यहाँ अशांति फैलाने की कोशिश की है। मैंने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया है लेकिन मैं विशेष रूप से उस समुदाय की बड़ी प्रशंसक हूँ और मैं उनके लिए अपनी ज़िंदगी दे सकती हूँ।'
यह दावा करते हुए कि उन्होंने वीडियो में तब्लीग़ी या मुसलमानों जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था, लालचंदानी ने कहा था कि वह वीडियो को फ़िल्माने और ब्लैकमेल करने के लिए पत्रकार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराएँगी। हालाँकि, अब तक कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है।