बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मीडिया समेत विभिन्न संस्थाओं का बहिष्कार करने से कांग्रेस को फायदा नहीं होगा। लेकिन उनकी पार्टी के नेता राहुल गांधी का बहिष्कार होता है तो कांग्रेस को अधिक फायदा होगा। पात्रा ने कहा कि भारत में ऐसी कोई संस्था नहीं है जिस पर विपक्षी गठबंधन ने हमला न किया हो, चाहे वह चुनाव आयोग हो या अदालतें।
संबित पात्रा ने अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए जवाहरलाल नेहरू के पहले संशोधन, इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू करने और राजीव गांधी के मानहानि कानून के प्रस्ताव जैसे पिछले उदाहरणों का हवाला देते हुए मीडिया को निशाना बनाने की कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक प्रवृत्ति की ओर इशारा किया। पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का "मीडिया को धमकाने का इतिहास" रहा है।
भाजपा ने जिस तरह से मीडिया को लेकर कांग्रेस को उसका पिछला इतिहास याद दिलाया है, वो सही तो है लेकिन उसने खुद अपनी पार्टी द्वारा मीडिया को लेकर उठाए गए कदमों पर कभी गौर नहीं फरमाया। 2014 में भाजपा ने एनडीटीवी के बहिष्कार की घोषणा की। इसके लिए पार्टी के प्रवक्ताओं को बाकायदा निर्देश जारी किए गए। इस संबंध में 8 मार्च 2014 को जारी भाजपा का निर्देश देखिए-
2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक ट्वीट वायरल हुआ था, जब दिल्ली चुनाव होने वाले थे। उन्होंने चुनाव से पहले कहा था कि आजतक चैनल का बहिष्कार करिए, क्योंकि यह आम आदमी पार्टी का प्रचार कर रहा है। इस संबंध में आल्ट न्यूज ने उस समय खबर भी दी थी। आल्ट न्यूज के मुताबिक मीडिया को संबोधित करते हुए अमित शाह का एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल हुआ था कि गृह मंत्री ने दिल्ली के लोगों से आजतक न देखने को कहा क्योंकि यह आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन करता है। वीडियो में शाह को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ''आजतक ने एजेंडा चलाया है कि AAP को जीतना चाहिए। दिल्ली की जनता बीजेपी के साथ है। आजतक चैनल किसी भी कीमत पर आम आदमी पार्टी को जिताना चाहता है, इसलिए दिल्ली के मतदाताओं को आजतक की किसी भी रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करना चाहिए, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए... यह सीधा-सीधा आरोप है और मैं प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंदर कहता हूं कि आजतक का एजेंडा आम आदमी पार्टी को लॉन्च करना है और पीत पत्रकारिता का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं है।”
भाजपा का एनडीटीवी और आजतक के संबंध में जारी किया गया निर्देश और बयान यह बताता है कि यह पार्टी मीडिया की आजादी की कितनी बड़ी पक्षधर है। हालांकि इंडिया गठबंधन ने जिस तरह से 14 टीवी एंकरों पर प्रतिबंध लगाया है, उस पर सवाल किया जा सकता है। लेकिन किसी और राजनीतिक दल को दूसरे राजनीतिक दल या दलों पर कुछ कहने का अधिकार नहीं है।
भाजपा नेताओं के बयान आने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसका जवाब कुछ इस तरह दिया है- नब्ज़ यहाँ दबाओ दर्द वहाँ हो रहा है। एंकर बैन हुए हैं, दिक़्क़त भाजपा को है। समझ जाइए किसको और क्यों बैन किया गया है!
बहरहाल, सोशल मीडिया पर लोग इंडिया गठबंधन के फैसले को सही ठहरा रहे हैं। कुछ लोगों ने एंकरों पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए इंडिया के कदम को सही ठहराया है। इस मुद्दे पर ट्विटर यूजर निमो ताई ने लिखा है- भक्तों ने अतीत में कई उत्पादों और व्यक्तियों का बहिष्कार किया है। वो उदाहरण देते हुए कहती हैं- 1. शाहरुख खान 2.पठान 3. बॉलीवुड फिल्में 4. स्विगी 5. स्टारबक्स 6. तनिष्क 7. सब्यसाची 8. फैबइंडिया 9. डाबर करवाचौथ विज्ञापन ...... लेकिन कुछ भक्त कुछ गोदी मीडिया एंकरों का बहिष्कार कर रहे हैं: ये असहिष्णुता है, लोकतंत्र में इसकी कोई जगह नहीं है। यानी ने उन्होंने गोदी मीडिया एंकरों को भी सही नहीं ठहराया है।
ट्विटर यूजर रोशन रॉय ने बैन की गई एंकर अदिति त्यागी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है- यह अदिति त्यागी हैं, जो कि इंडिया गठबंधन द्वारा बहिष्कार किए गए 14 एंकरों में से एक हैं। देखो वह भाजपा प्रवक्ताओं से कितनी अच्छी तरह बात करती है, उन्हें सम्मान देती है और देखो वह विपक्षी नेताओं से कैसे बात करती है। ये वीडियो आपको बताएगा कि इस बहिष्कार की इतनी जरूरत क्यों थी।
यूपी काडर के रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी इन 14 एंकरों से तीन सवाल पूछे हैं। वो ट्विटर पर लिखते हैं- तीन सवाल रेंगते कीड़ों से: •आपातकाल विपक्ष कैसे लगा सकता है? वे सत्ता में हैं,क्या? •प्रेस का गला विपक्ष कैसे घोट सकता है? उसके पास ED, CBI या IT है क्या? •क्या BJP दफ़्तर के किसी चपरासी का व्हाट्सएप आया था, ये नैरेटिव चलाने के लिये? ये झुकते झुकते रेंगने वाले एंकर्स, बॉयकॉट के बाद से बौखलाहट में कुछ भी बके जा रहे हैं।
ट्विटर यूजर भाविका कपूर ने इंडिया के कदम का स्वागत करते हुए एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है- भारत द्वारा गोदी एंकरों का बहिष्कार एक स्वागत योग्य कदम है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह सुदर्शन चैनल पर विज्ञापन देने वाली छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार है या एनडीटीवी पर आम आदमी पार्टी सरकार का विज्ञापन सहित घृणित एजेंडे को बढ़ावा देने वाले भाजपा के गोदी चैनलों को समर्थन कब खत्म होगा? कब? एंकर बस अपने मालिकों के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। इसका असर चैनल मालिकों पर भी होना चाहिए और नफरत को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन चैनल मालिकों तक भी पहुंचने बंद होने चाहिए। इंडिया के सभी साझेदारों को गोदी मीडिया आउटलेट्स पर विज्ञापन बंद करना चाहिए।
इसी तरह की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर भरी हुई हैं। तमाम लोगों का सवाल यही है कि जहां-जहां विपक्ष की राज्य सरकारें हैं, वे अपनी सरकार के विज्ञापन को इन गोदी मीडिया चैनलों पर क्यों नहीं बंद कर रहे हैं।