मीडियाः 4 महीने में 3 विदेशी पत्रकारों को मोदी सरकार का देश निकाला
फ्रांस के भारत स्थित पत्रकार सेबेस्टियन फ़ार्सिस को 17 जून को भारत छोड़कर फ्रांस लौटने पर मजबूर कर दिया गया। वो 2011 से ही भारत में फ्रांसीसी दैनिक समाचार पत्र लिबरेशन और फ्रांसीसी सार्वजनिक रेडियो प्रसारक आरएफआई और रेडियो फ्रांस के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे। 7 मार्च को गृह मंत्रालय ने बिना किसी स्पष्टीकरण पत्रकार के रूप में काम करने के उनके परमिट को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय से पत्रकार सेबेस्टियन की बार-बार की गई अपील को नजरअंदाज कर दिया। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने भारत सरकार के इस कृत्य की निन्दा की है।
सेबेस्टियन फ़ार्सिस ने गुरुवार को एक्स पर अपना बयान जारी करके इस पर दुख जताया और कहा कि उनके साथ भारत सरकार ने नाइंसाफी की है। फ़ार्सिस ने कहा कि भारत में 13 साल तक पत्रकार के रूप में काम करने के बाद उन्हें इस "समझ से बाहर सेंसरशिप" से गहरा सदमा लगा है। उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह एक पारिवारिक शोक भी है। क्योंकि मैंने एक भारतीय महिला से शादी की है और मेरे पास स्थायी निवासी का दर्जा है, जिसे ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कहा जाता है। इसलिए यह प्रतिबंध हमें बिना स्पष्टीकरण के बाहर निकाल देता है। ''
सेबेस्टियन की कई रिपोर्ट से मोदी सरकार नाराज थी। रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल के लिए काम करते हुए, फार्सिस ने मालदीव में भारत पक्ष के कमजोर होने और चीन की बढ़त पर रिपोर्ट की थी। इसी तरह भारत में सामाजिक असमानताओं, राम मंदिर उद्घाटन पर भी रिपोर्ट की थी। बांग्लादेश में शिपब्रेकिंग यार्ड से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों, बांग्लादेश चुनाव और रूसी सेना द्वारा नेपालियों को शामिल किए जाने जैसे मुद्दों के अलावा भी कई खोजपूर्ण रिपोर्ट उन्होंने भारत से भेजी है।
After 13 years working as a correspondent in India, the authorities have denied me a permit to work as a journalist. I have thus been forced to leave the country.
— Sébastien Farcis (@sebfarcis) June 20, 2024
Here is my statement. pic.twitter.com/m52Q4ABsRk
मोदी सरकार ने चार महीने पहले फरवरी 2024 में एक फ्रांसीसी पत्रकार वैनेसा डौग्नैक को निष्कासित किया था। फ्रांसीसी पत्रकार वेनेसा ला क्रॉइक्स, ले सोइर और ले पॉइंट जैसे फ्रांसीसी भाषा के मीडिया के लिए 20 वर्षों से भारत को कवर कर रही थी। 16 फरवरी को नया वर्क परमिट देने से मोदी सरकार ने इनकार कर दिया। उनका ओसीआई छीनने की धमकी के बाद वेनेसा डोग्नेक वापस फ्रांस चली गई।
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पिछले दो वर्षों में ओसीआई स्थिति वाले कम से कम पांच विदेशी संवाददाताओं को पत्रकार के रूप में काम करने पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।
एबीसी की ब्यूरो चीफ को भारत छोड़ना पड़ा
फ्रांसीसी पत्रकार वैनेसा डौग्नैक के बाद ऑस्ट्रेलियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) की ब्यूरो चीफ को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। यह घटनाक्रम अप्रैल का है। महिला ब्यूरो चीफ चुनाव शुरू होते ही फ्लाइट पकड़कर वापस ऑस्ट्रेलिया जाने को मजबूर हुईं। मोदी सरकार एबीसी साउथ एशिया ब्यूरो प्रमुख अवनि डायस की सिख अलगाववाद पर उनकी रिपोर्टिंग से नाखुश थी। अवनि को बताया गया कि उनका पत्रकार वीजा नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। अवनि ने यह बात खुद भारतीय मीडिया को बताई। चुनाव के शोर में ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को वापस भेजने की खबर दब 19 गई।एबीसी ने उस समय अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में कहा था कि ऑस्ट्रेलियाई राजनयिकों और विदेश मंत्री पेनी वोंग के कार्यालय द्वारा भारत सरकार को अपना निर्णय बदलने का भी अनुरोध किया गया। डायस के वीज़ा की अवधि दो महीने के लिए बढ़ाई गई लेकिन बाद में इस फैसले को रद्द करते हुए अवनि डायस से कहा गया कि 24 घंटे में उन्हें भारत छोड़ देना है। अवनि डायस ने भारत के आम चुनाव के पहले दिन 19 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया के लिए उड़ान भरी।
अवनि डायस ने इसके बाद एबीसी पर अपनी पॉडकास्ट सीरीज, "लुकिंग फॉर मोदी" के नए एपिसोड में कहा, "भारत में काम करना बहुत मुश्किल लग रहा था। मैं मोदी की पार्टी द्वारा संचालित सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाने के लिए संघर्ष कर रही थी, सरकार मुझे चुनाव कवर करने के लिए आवश्यक पास भी नहीं देती थी।”
मोदी सरकार के इशारे पर काम करना होगा
2021 से, भारत सरकार ने ओसीआई कार्ड धारकों को पत्रकार, वकील या मिशनरी के रूप में काम करने के लिए अलग से आवेदन जरूरी कर दिया। लेकिन अधिकारियों ने बीबीसी और अल जज़ीरा के हाई-प्रोफ़ाइल कर्मचारियों सहित कम से कम छह पश्चिमी पत्रकारों को काम करने से रोक दिया। ये विदेशी नागरिक वर्षों से भारत में रह रहे थे और पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे, इससे पहले कि सरकार ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया, कई लोगों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। 2023 में, ब्रॉडकास्टर द्वारा ब्रिटेन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के तुरंत बाद भारतीय टैक्स अधिकारियों ने भारत में बीबीसी न्यूज़ रूम पर छापा मारा।
अभिव्यक्ति और प्रेस की आजादी के मामले में भारत लगातार नीचे जा रहा है। हाल के वर्षों में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में बताया गया कि 2023 में भारत 161वें स्थान पर पहुंच गया है। भारतीय पत्रकारों को भी अक्सर उन दबावों का सामना करना पड़ता है जो विदेशी संवाददाताओं को झेलना पड़ता है। भारत में पत्रकारों की निगरानी और गिरफ्तारी तक होती है।