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न्यूज क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी अवैध, रिहा करिएः सुप्रीम कोर्ट

न्यूज क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी अवैध, रिहा करिएः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 15 मई को न्यूज क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को अमान्य यानी गलत कहा और उनकी रिहाई का आदेश दिया। यह आदेश महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आदेश यूएपीए मामले में आया है। उन पर आरोप है कि चीन का प्रोपेगंडा करने के लिए उन्होंने धन प्राप्त किया है। जानिए पूरा मामलाः

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 15 मई को न्यूज क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश दिया है। अदालत ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने प्रबीर पुरकायस्थ के रिमांड की कॉपी कोर्ट को मुहैया नहीं कराई। ऐसे में इस गिरफ्तारी का कोई मतलब नहीं है। गिरफ्तारी का कोई आधार ही नहीं बताया गया है। अदालत ने पंकज बंसल मामले का हवाला भी दिया है। अदालत ने मार्च में पंकज बंसल मामले में कहा था कि आरोपी को उसकी गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में बताया जाना चाहिए। उसी तरह प्रबीर पुरकायस्थ हिरासत से रिहाई के हकदार हैं। उनका रिमांड आदेश अवैध है।

लाइव लॉ के मुताबिक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के अनुसार होगी। यानी जमानत बांड पेश करना होगा, क्योंकि इस मामले में चार्जशीट दायर की जा चुकी है। बता दें कि बेशक सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश दिया है लेकिन जिस ट्रायल कोर्ट में अभी यह केस चल रहा है, जमानत वहीं से पानी होगी और उसके लिए ट्रायल कोर्ट अपनी शर्त बताएगी।


लाइव लॉ ने बताया कि इस मामले में गिरफ्तारी और रिमांड को कानूनी नजरिए से अवैध घोषित किया गया। इसलिए अदालत ने प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का फैसला सुनाया। संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को 3 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था। तब से वो हिरासत में थे। सरकार ने उन पर राष्ट्र विरोधी प्रचार के लिए चीन से फंड पाने का आरोप लगाया था। दिल्ली पुलिस ने उन पर यूएपीए की धाराएं लगाई थीं। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पुरकायस्थ की पैरवी की थी और सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलीलें दी थीं।

पुरकायस्थ ने अदालत में अपनी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती दी थी। उन्होंने पंकज बंसल केस का हवाला दिया। हालांकि दिल्ली पुलिस का तर्क था कि कि प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी का आधार रिमांड अर्जी में दिया गया था। रिमांड आदेश 4 अक्टूबर, 2023 की सुबह 6 बजे जारी किया गया था। लेकिन उसकी कॉपी पुरकायस्थ के वकील को बहुत बाद में भेजी गई थी।

अदालत ने पुरकायस्थ को सुबह 6 बजे मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करने की जल्दबाजी पर सवाल उठाया। अदालत ने हैरानी जताई कि पुरकायस्थ के वकील को रिमांड अर्जी की कॉपी दिए बिना रिमांड आदेश जारी कर दिया गया। अदालत ने इस मामले में 30 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।


दिल्ली पुलिस ने यह दलील भी देने की कोशिश की मैजिस्ट्रेट ने जो रिमांड आदेश पारित किया था, उस पर समय गलत दर्ज हुआ था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस दलील से सहमत नहीं थी। अदालत ने कहा कि जूडिशल ऑर्डर में जो समय दर्ज किया गया, वही माना जाता है। उसमें साफ-साफ सुबह 6 बजे का समय दर्ज है। आदेश की कॉपी पुरकायस्थ के वकील के पास उसके बाद पहुंचने की बात है, जैसा कि उन्होंने यह बात भी कही है। 

प्रबीर पुरकायस्थन ने उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर ऐतराज जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी मामले में न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने भी अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन जब वो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सरकारी गवाह बन गए तो उन्हों अपनी याचिका वापस ले ली। 

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