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कोरोना काबू करने के लिए लॉकडाउन तो ठीक है, पर ये भी तो उपाय किए जाएँ

कोरोना काबू करने के लिए लॉकडाउन तो ठीक है, पर ये भी तो उपाय किए जाएँ

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए शुरू किए गए 21 दिन के लॉकडाउन की मियाद ख़त्म हो रही है। इस बीच कोरोना वायरस फैलता जा रहा है। इस लिहाज से लॉकडाउन के साथ ही इन उपायों को उठाने की भी ज़रूरत है।

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए शुरू किए गए 21 दिन के लॉकडाउन की मियाद ख़त्म हो रही है। इसके साथ ही आठ राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ा दिया है और माना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी लॉकडाउन को आगे बढ़ाने की घोषणा करेंगे। इस बीच कोरोना वायरस फैलता जा रहा है। इस लिहाज से लॉकडाउन के साथ ही इन उपायों को उठाने की भी ज़रूरत है-

  • लाखों की संख्या में रैपिड टेस्ट किट तुरंत खरीदे जाएँ। इनमें दोनों प्रकार के परीक्षण के तरीक़े शामिल होने चाहिए। वो जो स्वाब की जाँच की जाती है और दूसरे ख़ून के नमूने का उपयोग करके। रैंडम टेस्टिंग भी बढ़ाई जानी चाहिए।
  • देश में और देश के बाहर विश्व स्तर पर बड़े पैमाने पर सुरक्षात्मक उपकरण मँगाए जाएँ। सुनिश्चित किया जाए कि ये उपकरण डॉक्टरों, नर्सों और अस्पताल के कर्मचारियों तक तुरंत पहुँचे।
  • बड़ी संख्या में निजी कंपनियों को इस आधार पर वेंटिलेटर बनाने की गारंटी दी जाए कि ये उपकरण सरकार द्वारा खरीदे जाएँगे। इसके उपचार में काम आने वाली हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन सहित दूसरी दवाओं का भंडार सुनिश्चित किया जाए।
  • कोरोनो रोगियों के एकाएक बढ़ने की स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल के लाखों बेड तैयार किए जाएँ। सुनिश्चित किया जाए कि निजी अस्पताल कोरोनो वायरस रोगियों को भर्ती लें। सरकार इलाज के ख़र्च के लिए सभी निजी अस्पतालों को सब्सिडी दे।
  • तुरंत एक ऐसा पैकेज दिया जाए जो ग़रीब और दूसरे शहरों में फँसे मज़दूरों को तत्काल राहत दे। लोगों को खाने के लिए पूरी व्यवस्था की जाए। अधिकतर जगहों से लोगों के भूखे रहने की शिकायतें आ रही हैं। गुरुद्वारों, ग़ैर सरकारी संगठनों और अन्य संस्थानों को सरकार सामग्री दे जो सीधे ग़रीबों को खिला रहे हैं।

  • सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जो कृषि श्रमिक यहाँ-वहाँ फँसे हुए हैं वे अपने खेतों में लौट सकें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए फ़सल काटने, अनाज को सरकारी मंडियों में पहुँचाने और गोदामों में भेजने की कवायद की जाए। नकद और पूरा भुगतान करना चाहिए।
  • जब लॉकडाउन हटाया भी जाए तो सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। घरों से बाहर जाने के लिए मास्क ज़रूरी हो। सामान्य यात्रियों की एक तिहाई सीटों के साथ विमान, ट्रेन और बसें चलाने की अनुमति दी जाए। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए लॉकडाउन रहे।
  • लॉकडाउन से लघु और मझोले उद्योग काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। इसके लिए एक पैकेज की घोषणा की जाए। ऐसे उद्यमों को ऋण दिया जाए जिससे कि वे अपने आप को संभाल सकें। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर और अन्य सेवा उद्योग भी सही से काम कर सकें।
  • बड़े व्यवसाय बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार देते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में इनका अहम योगदान होता है। ऐसे में आरबीआई के माध्यम से उनको बेहतर स्थिति उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जैसे कि बीमा कंपनियों को ऋण देना, एनपीएफ़सी को अच्छी तरह से चलाना।
  • अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के इस विश्वास को जीतना होगा कि भारत राजकोषीय स्थिति को मज़बूत रखेगा। अर्थव्यवस्था की रेटिंग नीचे गिरने नहीं दी जाए। अधिकांश पूर्वानुमान भारत की विकास दर के सकारात्मक रहने की ओर इशारा करते हैं। हालाँकि केवल 2% जीडीपी वृद्धि का अनुमान है।

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