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ठगे गए कई भारतीय रूसी सेना में, जल्द छुड़ाने की मांग की है: सरकार

ठगे गए कई भारतीय रूसी सेना में, जल्द छुड़ाने की मांग की है: सरकार

झाँसा देकर रूसी सेना की ओर से यूक्रेन युद्ध में भारतीयों को लड़ाए जाने की रिपोर्टों पर अब भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी है। जानिए, इसने इन ख़बरों को लेकर क्या कहा।

भारतीयों को झाँसा देकर रूस ले जाया गया। रूसी सेना की ओर से यूक्रेन युद्ध में उन्हें जबरन झोंका गया। ऐसे लोगों ने भारत सरकार से जल्द छुड़ाने की गुहार लगाई है। इसकी पुष्टि अब भारत सरकार ने भी की है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि नई दिल्ली ने ऐसे भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के लिए रूसी सरकार के साथ मज़बूती से मामला उठाया है। एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि एजेंटों और बेईमान लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है, जिन्होंने झूठे बहाने और वादों पर भर्ती की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने कहा, 'सीबीआई ने गुरुवार को कई शहरों में तलाशी लेते हुए और आपत्तिजनक सबूत इकट्ठा करते हुए एक बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। कई एजेंटों के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया है।'

बता दें कि सीबीआई ने कहा है कि रूस स्थित तीन एजेंटों सहित विभिन्न एजेंटों ने कथित तौर पर संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने के बहाने भारतीय छात्रों को धोखा दिया। रूस मुफ्त या रियायती वीज़ा एक्सटेंशन और फीस पर छूट जैसे आकर्षक ऑफर दे रहा है। सीबीआई ने कहा है कि उसे पता चला है कि रूस पहुँचने के बाद इन भारतीयों के पासपोर्ट रूस में एजेंटों द्वारा ले लिए गए और उन्हें उनकी मर्जी के विरुद्ध यूक्रेन युद्ध लड़ने के लिए रूस द्वारा मजबूर किया गया।

सीबीआई का यह बयान शुक्रवार को तब आया है जब एक दिन पहले ही इसने देश के सात शहरों में लगभग 15 स्थानों पर तलाशी ली थी। सीबीआई ने यह छापेमारी गुरुवार को दिल्ली, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई में की थी। इस मामले में सीबीआई ने एफ़आईआर भी दर्ज की है।

6 मार्च को दर्ज की गई अपनी पहली एफआईआर में सीबीआई ने यह भी कहा कि एजेंट या मानव तस्कर रूस में संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के बहाने भारतीय छात्रों को धोखा दे रहे हैं।

सीबीआई ने यह भी कहा है कि उन्हें मुफ्त रियायती वीज़ा एक्सटेंशन, शुल्क संरचना आदि की पेशकश करके और उसके बाद उन्हें एजेंटों और कॉलेज अधिकारियों की दया पर छोड़ दिया जाता है।

एजेंसी ने एफ़आईआर में कहा, '…यह पता चला है कि रूस पहुंचने पर इन भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट रूस में एजेंटों द्वारा ले लिए गए या छीन लिए गए। उन्हें युद्ध की भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा था और रूसी सेना की वर्दी और बैच दिए जा रहे थे। बाद में इन भारतीय नागरिकों को उनकी मर्जी के विरुद्ध रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति पर तैनात किया गया और उनके जीवन को गंभीर खतरे में डाल दिया गया।' सीबीआई ने दावा किया है कि यह पता चला है कि कुछ मानव तस्करी पीड़ित भी युद्ध क्षेत्र में गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारतीय नागरिकों से अपील की कि वे रूसी सेना में सहायक नौकरियों के लिए एजेंटों द्वारा दिए गए प्रस्तावों से प्रभावित न हों। उन्होंने कहा कि यह खतरे और जीवन के लिए जोखिम से भरा है। उन्होंने कहा, 'हम रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में सेवारत अपने नागरिकों की शीघ्र रिहाई और फिर अंततः घर वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'

सीबीआई ने यह कार्रवाई तब शुरू की है जब रूस में इस तरह फँसे कई भारतीयों की ख़बरें आई हैं और उनको छुड़ाए जाने की सरकार से गुहार लगाई गई है। एक दिन पहले ही ख़बर आई थी कि यूक्रेन युद्ध में एक और भारतीय मारा गया। रिपोर्टों के अनुसार हैदराबाद के इस व्यक्ति को कथित तौर पर धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था।

पंजाब-हरियाणा के सात युवकों का वीडियो भी बुधवार को वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने जबरन युद्ध के मोर्चे पर भेजे जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा है कि उन्हें बंदूक तक चलाने नहीं आती है। उन्होंने कहा है कि वे रूस में पर्यटक के तौर पर घूमने गए थे, लेकिन धोखे से उन्हें युद्ध में झोंक दिया गया।

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