दिल्ली: नगर निगमों के एकीकरण का बिल लोकसभा में पेश
दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने से जुड़ा बिल शुक्रवार को लोकसभा में रखा गया। कुछ दिन पहले हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बिल के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। साल 2012 से पहले दिल्ली में एक ही नगर निगम था लेकिन 2012 में इन्हें तीन निगमों (उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी) में बांट दिया गया था
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह बिल लोकसभा में रखा। बिल का नाम दिल्ली नगर निगम संशोधन बिल 2022 है। कांग्रेस, बीएसपी और कुछ और अन्य दलों ने इस बिल का विरोध किया।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार बीजेपी पर हमलावर हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि बीजेपी एमसीडी के चुनाव समय पर कराए और जीत कर दिखाए, अगर आम आदमी पार्टी हार गई तो वह राजनीति छोड़ देंगे।
चुनाव टालने का आरोप
पंजाब के विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी जोर-शोर से इन चुनाव को लड़ना चाहती है। लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के तमाम नेता मोदी सरकार और बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि वह जानबूझकर नगर निगम चुनाव में देरी कर रही है।
आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि बीजेपी शासित इन नगर निगमों में जबरदस्त भ्रष्टाचार है और यह बेहद जर्जर हालात में हैं। नगर निगमों में दक्षिणी नगर निगम के पास आय के ठीक-ठाक साधन हैं जबकि पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में आए दिन कर्मचारियों की हड़ताल होती रहती है।
कमजोर होगी दिल्ली सरकार?
2012 से पहले दिल्ली नगर निगम की आर्थिक ज़रूरतें गृह मंत्रालय के मार्फत केंद्र सरकार पूरी करती थी। अब एक बार फिर नगर निगम को उससे भी मज़बूत स्थिति में लाने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि एमसीडी के मेयर और पार्षदों को अधिक अधिकार मिलेंगे, दिल्ली में इलाक़ों का फिर से पुनर्सीमन होगा, रिजर्वेशन फिर से तय होगा, मेयर का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा।
लेकिन क्या तब दिल्ली में दो समानान्तर सरकारें नहीं चलने लगेंगी। केंद्र सरकार में इन सवालों पर भी गहन विचार-विमर्श हो रहा है। इस तरह की ख़बरें तो छन-छनकर आ रही हैं कि अब मेयर का पद बहुत मज़बूत और अहम हो जाएगा।
अगर ऐसा होता है तो क्या दिल्ली सरकार की शक्तियां और कम हो जाएंगी?
यह सवाल उठता है कि क्या अब दिल्ली में नगर निगम को मज़बूत करके दिल्ली विधानसभा को पंगु बना दिया जाएगा या फिर उसका अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ जाएगा? अगर ग़ौर किया जाए तो दिल्ली सरकार के पास आज भी यह अधिकार नहीं है कि वह अपनी मर्जी से दिल्ली के लिए कोई क़ानून पास कर सके।
कहने को तो दिल्ली सरकार के पास ज़मीन, पुलिस और क़ानून-व्यवस्था नहीं है लेकिन असल में उसे किसी भी विभाग के बारे में कोई बिल लाने का भी अधिकार नहीं है।
संसद में पिछले दिनों कुछ संशोधन करके दिल्ली सरकार को और भी कमजोर कर दिया गया है। इसलिए आम आदमी पार्टी में आशंका है कि कहीं केंद्र सरकार दिल्ली सरकार का अस्तित्व ही तो ख़त्म करने नहीं जा रही।