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दिल्ली मेयर चुनाव 16 को नहीं, मनोनीत पार्षदों को वोटिंग अधिकार नहींः SC

दिल्ली मेयर चुनाव 16 को नहीं, मनोनीत पार्षदों को वोटिंग अधिकार नहींः SC

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बहुत साफ शब्दों में कहा है कि दिल्ली मेयर के चुनाव में मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस नजरिए से दिल्ली के उपराज्यपाल के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि एमसीडी मेयर के चुनाव में मनोनीत पार्षदों को वोट देने का कोई अधिकार नहीं है। एमसीडी संविधान में इसकी बहुत स्पष्ट व्याख्या है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सोमवार को यह टिप्पणी अभी मौखिक की है। कोई फैसला नहीं सुनाया है। इस मामले की सुनवाई गुरुवार 16 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है।  

इस खबर को आगे बताने से पहले यह जान लें कि मेयर चुनाव के लिए अब तक एमसीडी सदन की तीन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन भारी हंगामे के बीच हर बार बैठक टाल दी गई और चुनाव नहीं हो सका। सदन की बैठक 16 फरवरी यानी गुरुवार को बुलाई गई थी और एक बार मेयर चुनाव फिर से कराने की कोशिश की जाती। लेकिन नए हालात में मेयर चुनाव अब 16 फरवरी को नहीं होगा। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एमसीडी संविधान और नियमों को पलटते हुए खुद के द्वारा चुने गए दस एल्डरमैन (पार्षद)  को मेयर चुनाव में मतदान का अधिकार दे दिया। इतना ही नहीं दिल्ली के एलजी ने मेयर चुनाव कराने के लिए बीजेपी पार्षद सत्य शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिया। एमसीडी में हालांकि आम आदमी पार्टी का बहुमत है। 

आम आदमी पार्टी की मेयर प्रत्याशी शैली ओबरॉय ने बार बार मेयर चुनाव टालने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि बीजेपी ने एमसीडी में संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं। वो हर हथकंडा अपनाकर अपना मेयर बनवाना चाहता है। एलजी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि जब मनोनीत एल्डरमैन को मतदान का अधिकार नहीं है तो एलजी कैसे उन्हें मतदान का अधिकार दे सकते हैं। अदालत में बहस जारी है।

लाइव लॉ के मुताबिक याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि संविधान की धारा 243 आर में यह बहुत साफ है। इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने मौखिक टिप्पणी की -

मनोनीत सदस्य चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते। इस बारे में संवैधानिक प्रावधान बहुत साफ हैं।


- चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट, 13 फरवरी, 2023 दिल्ली मेयर चुनाव केस में मौखिक टिप्पणी सोर्सः लाइव लॉ

दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन से मुखातिब होते हुए चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा - मनोनीत सदस्यों को वोट नहीं करना चाहिए। यह बहुत स्पष्ट है मिस्टर जैन। हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि हालांकि इस पर कुछ बहस की गुंजाइश भी है। वरिष्ठ वकील मनीनंदर सिंह ने भी कहा कि इस पर बहस की गुंजाइश है।

समय की कमी की वजह से अदालत इस मामले की सुनवाई आज पूरी नहीं कर सकी। अब इस मामले को वो गुरुवार 17 फरवरी को सुनेगी। एएसजी इस बात पर राजी हो गए कि अब 16 फरवरी को मेयर चुनाव नहीं होगा। 17 फरवरी को सुनवाई के बाद मेयर के चुनाव का फैसला होगा।

नगर निगम चुनाव हुए दो महीने बीत चुके हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) ने 250 में से 134 सीटें जीतकर बीजेपी के 15 साल के शासन का अंत कर दिया, लेकिन दिल्ली को अभी तक मेयर नहीं मिला है।

6 जनवरी को हुए नगर निगम सदन के पहले सत्र में दिल्ली के मेयर के लिए मतदान शुरू होने से पहले सिविक सेंटर में बीजेपी और आप सदस्यों के बीच मनोनीत पार्षदों के शपथ ग्रहण को लेकर भारी बवाल होने के बाद बैठक भंग कर दी गयी थी। 24 जनवरी को हुए दूसरे सत्र में नगर निगम के मनोनीत व निर्वाचित दोनों सदस्यों के शपथ लेने के बाद पीठासीन अधिकारी व बीजेपी पार्षद ने बैठक अगली तिथि तक के लिए स्थगित कर दी। तीसरी बार 6 फरवरी को फिर बैठक हुई और पीठासीन अधिकारी ने हंगामे का आरोप लगाकर मेयर चुनाव फिर से टाल दिया। 

विवाद की जड़ क्या हैः विवाद की जड़ 10 मनोनीत पार्षद हैं, जिन्हें एलजी ने मतदान की अनुमति दी है। पिछली तीन बैठकों में उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा नामित 10 दिल्ली पार्षदों को मतदान की अनुमति देने पर हंगामा हो रहा है। हालांकि एलजी के नामित पार्षदों को एमसीडी में वोट देने की अनुमति कभी नहीं रही। लेकिन एलजी ने अब उस पुराने फैसले को पलटते हुए दस पार्षदों को नामित किया और उन्हें वोटिंग की भी अनुमति दी। हालांकि एमसीडी सदन में आप का बहुमत है। लेकिन बीजेपी हर हालत में दिल्ली में अपना मेयर चाहती है।

नगर निगम चुनाव हुए दो महीने बीत चुके हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) ने 250 में से 134 सीटें जीतकर बीजेपी के 15 साल के शासन का अंत कर दिया, लेकिन दिल्ली को अभी तक मेयर नहीं मिला है। एमसीडी अधिनियम, 1957 के अनुसार, महापौर और उप महापौर का चुनाव निकाय चुनावों के बाद होने वाले पहले सदन में होता है।

आम आदमी पार्टी पार्षदों ने 5 फरवरी को एमसीडी के पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा को एक पत्र भेजकर 10 एल्डरमैन को 6 फरवरी को होने वाले चुनावों में भाग लेने से अयोग्य ठहराने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव में भाग लेने की अनुमति देना दिल्ली के नागरिकों के लिए अपमानजनक होगा। आप के सभी 135 पार्षदों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया था कि जिन व्यक्तियों को नामित किया गया है वे संविधान और दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार मतदान करने के योग्य नहीं हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजेपी ने मेयर के चुनाव को प्रभावित करने और हेरफेर करने की कोशिश की। 

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