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कांग्रेस से ख़फ़ा, बीजेपी पर मेहरबान क्यों हैं मायावती, क्या है उनकी मजबूरी? 

कांग्रेस से ख़फ़ा, बीजेपी पर मेहरबान क्यों हैं मायावती, क्या है उनकी मजबूरी? 

बसपा सुप्रीमो मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राजस्थान में कांग्रेस को किसी कीमत पर नहीं बख़्शेंगी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मजा चखा कर रहेंगी। 

राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के सभी विधायकों के एक साथ पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने से बौखलाई मायावती ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सबक सिखाने की ठानी है। वे इन विधायकों से ख़फ़ा तो हैं ही, कांग्रेस को भी नहीं बख़्शेंगी, भले ही उन्हें इसके लिए बीजेपी की ही मदद क्यों ने लेनी पड़े। 

मायावती से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी, लेकिन इन विधायकों, कांग्रेस पार्टी और मुख्य रूप से गहलोत को मजा चखा कर रहेंगी।

पिछले साल राजस्थान में बीएसपी के सभी विधायकों ने एक साथ पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। चुनाव आयोग ने उनकी शिकायत को उस समय दरकिनार कर दिया था। 

मायावती का मानना है कि ये विधायक अब भी बीएसपी के ही हैं, लिहाज़ा वे विधानसभा में किसी तरह के मतदान पर पार्टी व्हिप का सम्मान करें और कांग्रेस के ख़िलाफ़ मतदान करें।

बीएसपी ने हाई कोर्ट में अलग से याचिका दायर कर कहा है कि बीजेपी नेता की याचिका के मामले में उसे भी जोड़ा जाए। 

बता दें कि राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों में से कांग्रेस के पास 101 सीटें हैं, यानी बहुमत से एक ज़्यादा। इन 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से सरकार को थोड़ी राहत मिली।

लेकिन सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों के बग़ावत करने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। ऐसे में इन बीएसपी विधायकों की अहमियत पहले से अधिक है।

सही समय का इंतजार?

मायावती ने एनडीटीवी से कहा, 'बीएसपी पहले भी अदालत जा सकती थी, पर हम सही समय का इंतजार कर रहे थे ताकि अशोक  गहलोत को सही समय पर सबक सिखा सकें। हम यह मामला नहीं छोड़ेंगे और ज़रूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।'

मायावती का मानना है कि ये विधायक अब भी बीएसपी के ही हैं, लिहाज़ा वे विधानसभा में किसी तरह के मतदान पर पार्टी व्हिप का सम्मान करें और कांग्रेस के ख़िलाफ़ मतदान करें। 

माया की मजबूरी

लेकिन उसके बाद वह बीजेपी या केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध नहीं कर रही हैं। मजदेार यह है कि वह राज्य की राजनीति में भी सरकार का विरोध करने के बाजय विपक्षी दल कांग्रेस को ही निशाने पर लेती हैं। 

बीएसपी लगातार कांग्रेस की आलोचना कर रही है, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर कटाक्ष कर रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रति उसका रुख बहुत ही मुलायम है।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह मायावती की व्यक्तिगत मजबूरी भी हो सकती है। उन पर आय से अधिक संपत्ति रखने, ताज कॉरीडोर और दूसरे कई मामलों में कई तरह के आरोप लगे हुए हैं। सीबीआई उनकी जाँच कर रही है। लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार के प्रति उनका मुलायम रवैया इस वजह से ही है। 

लेकिन मायावती इससे साफ़ इनकार कर रही हैं कि वह बीजेपी के हाथों खेल रही हैं। उन्होंने एनडीटीवी से बेहद तल्खी से कहा, 'कांग्रेस हाई कमान को राजस्थान में चोर नहीं दिख रहा है?  उसे अशोक गहलोत नहीं दिख रहा है?'

बहरहाल, राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र बुलाने से इनकार कर दिया है। विधानसभा का सत्र बुलाया जाए और उसमें सरकार विश्वास मत रखे तो यह मामला एक बार फिर ज़ोर पकड़ेगा। बीएसपी से आए ये विधायक अब कांग्रेस के सदस्य हैं, लिहाज़ा, उन पर कांग्रेस पार्टी का व्हिप लागू होगा। लेकिन बीएसपी उसे अभी भी इसलिए अपने दल का मान रही है ताकि वे कांग्रेस को वोट न दे सकें। इसका फ़ैसला अदालत ही कर सकती है। 

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