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योगी पर केशव मौर्य का फिर हमला- 'यूपी में रिश्वत और अपराध बढ़ रहा'

योगी पर केशव मौर्य का फिर हमला- 'यूपी में रिश्वत और अपराध बढ़ रहा'

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच जारी राजनीतिक युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मौर्य सार्वजनिक रूप से अपनी ही सरकार की आलोचना कर रहे हैं। अब उन्होंने राज्य के आला पुलिस अफसरों के साथ बैठक की और कहा कि राज्य में रिश्वत और अपराध बढ़ रहा है। हालांकि गृह विभाग योगी के पास है लेकिन बैठक मौर्य कर रहे हैं। भाजपा में चल रही अंदरुनी कलह का इससे बड़ा संकेत और क्या हो सकता है। और यह सब मात्र लोकसभा में भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह से हो रहा है, जिसकी जवाबदेही तय नहीं हो पा रही।

यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राज्य के पुलिस अधिकारियों से कहा है कि राज्य में रिश्वतखोरी और अपराध बढ़ रहा है, इसे फौरन खत्म किया जाए। मौर्य का यह निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके बीच जारी सत्ता संघर्ष का ताजा मामला है। ताजा घटनाक्रम से भाजपा के राजनीतिक हलकों में चिंता बढ़ गई है।

मौर्य की हिम्मत यहां तक बढ़ गई है कि उन्होंने एसीएस (गृह) दीपक कुमार, डीजीपी प्रशांत कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के बाद एक्स पर इसके बारे में एक पोस्ट कर इसे सार्वजनिक कर दिया। मौर्य का बढ़ते भ्रष्टाचार और साइबर अपराध के उनके बयान को राजनीतिक हलकों में योगी पर सीधे हमले के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि गृह विभाग यानी पूरा पुलिस महकमा तो योगी आदित्यनाथ के पास है।

इससे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी फरमा रहे थे कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कुछ भी नहीं चल रहा है। लेकिन इसके ठीक तीसरे दिन मौर्य ने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर अपने अगले कदम और इरादे बता दिए।

लोकसभा चुनाव के बाद योगी और मौर्य के बीच विवाद ज्यादा बढ़ा। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को जबरदस्त झटका लगा। पार्टी की समीक्षा बैठक में मौर्य ने पहला हमला बोला और कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है। उस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद थे। बाद में मौर्य ने इस जुमले को ट्वीट भी कर दिया। लोकसभा आम चुनाव 2024 में भाजपा सिर्फ 33 सीटें यूपी में जीत सकी, जबकि 2019 में 62 सीटें उसने जीतीं थीं। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन ने यूपी में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया। 

इस खींचतान के बाद डिप्टी सीएम मौर्य नियमित रूप से एक्स पर पार्टी विधायकों के साथ अपनी बैठकों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं। मौर्य 8 जून को योगी की अध्यक्षता में उपचुनाव की तैयारी बैठक और 22 जुलाई को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक से पहले 22 जुलाई को वाराणसी में अपने मंत्रियों की एक और बैठक से भी गैरहाजिर थे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने योगी और मौर्य में सुलह कराने की कोशिश की लेकिन वो कोशिशें भी नाकाम हो गईं।

सोमवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मौर्य ने फिर कहा कि सरकार नहीं, बल्कि पार्टी ही हमेशा चुनाव लड़ती और जीतती है।

मौर्य ने कार्यकर्ताओं से कहा-  “क्या 2014 में बीजेपी की सरकार थी? मुझे बताओ, हम जीते या नहीं? क्या 2017 में सरकार थी? हम जीते या नहीं? जब सरकार नहीं थी तो हम जीते। जब सरकार बनी तो यह सोच थी कि हम सरकार पर निर्भर हैं, लेकिन सरकार के दम पर कोई चुनाव नहीं जीत सकता। यह वह पार्टी है जो लड़ती है और वह पार्टी है जो जीतती है।” मौर्य ने कार्यकर्ताओं से 2027 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए बड़ी जीत का लक्ष्य रखते हुए ये बातें कहीं लेकिन इसमें भी निशाने पर योगी थे। 

मौर्य का 2022 नहीं बल्कि 2017 के चुनाव का संदर्भ इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि भाजपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाकर लड़ा था, जबकि अगला विधानसभा चुनाव उसने योगी के नेतृत्व में लड़ा था। सोमवार को दोनों उपमुख्यमंत्री मौर्य और ब्रजेश पाठक कार्यकर्ताओं की बैठक उस समय छोड़कर चले गए क्योंकि मंच पर उस समय योगी आने वाले थे।

विपक्ष और योगी के समर्थकों का आरोप है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मौर्य पर लगाम कसने में नाकाम रहा। जिससे यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी भविष्य में सीएम को बदलने का इरादा रखती है। मंगलवार को, एक वीडियो क्लिप का जिक्र करते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि दिल्ली में भाजपा मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में योगी केवल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का अभिवादन करते हुए नजर आ रहे हैं, न कि मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा- "दर्द इस बात का है कि जब से वे यूपी में हारे हैं, कोई उनके सामने हाथ नहीं जोड़ रहा... जो लोग खुद को बहुत शक्तिशाली कहते थे, वे उसे हटाने में असफल रहे जिसने उन्हें हराया।"

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