पाकिस्तान: इमरान परेशान, रहमान ने कहा - दिन गिनना शुरू करें हुक़्मरान
बेहद ख़राब आर्थिक हालात का सामान कर रहे पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल भी मची हुई है। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान देश के आर्थिक हालात को संभालने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं और अब धार्मिक नेता और राजनेता मौलाना फज़लुर रहमान ने इमरान ख़ान को अल्टीमेटम दे दिया है। बता दें कि जमीअत उलेमा-ए-इसलाम के प्रमुख मौलाना फज़लुर रहमान ने कुछ दिनों पहले आज़ादी मार्च निकाला था और लोगों से राजधानी इसलामाबाद पहुंचने के लिए कहा था। लाखों की संख्या में उनके समर्थक इसलामाबाद पहुंचे थे और कई दिनों तक धरना दिया था।
मौलाना फज़लुर रहमान ने एक बार फिर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर ज़ोरदार हमला बोला है और कहा है कि इस सरकार के दिन ग़िने-चुने ही रह गए हैं। मंगलवार को ख़ैबर-पख्तूनख़्वा के बन्नू शहर में एक कार्यक्रम में रहमान ने कहा कि इस सरकार की जड़ें कट चुकी हैं और इसके कुछ ही दिन बचे हैं। रहमान ने दावा किया कि तहरीक-ए-इंसाफ़ के नेतृत्व वाली इमरान सरकार जा रही है।
पाकिस्तान में विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता इमरान ख़ान पर ज़ोरदार हमले कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इमरान ने जो वादे चुनाव के दौैरान किए थे, वे झूठे निकले और उनकी सरकार के आने के बाद देश के हालात और भी ज़्यादा ख़राब हुए हैं।
आज़ादी मार्च को बताया था सर्कस
इससे पहले इमरान ख़ान ने फज़लुर रहमान पर हमला बोला था। इमरान ने फज़लुर रहमान का नाम लिए बिना विपक्षी दलों के नेताओं को लुटेरा कहा था। ख़ान ने रहमान के आज़ादी मार्च को सर्कस बताया था और कहा था कि प्रदर्शनकारी इसलामाबाद में एक महीने तक भी नहीं रुक सके। ख़ान ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं के मक़सद ग़लत थे और यही वजह है कि वे धरना करने की राजनीति का सहारा ले रहे हैं।
पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज़ के मुताबिक़, रहमान ने कहा, ‘इमरान ख़ान ने अपनी बहन को राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश का काम दिया है। हमें भी कोई ऐसी सिलाई की मशीन दे दें जिससे एक साल में 70 अरब रुपये कमाए जा सकते हैं।’ पाकिस्तान में अक्टूबर 2007 में राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश जारी किया गया अध्यादेश था। इसके तहत भ्रष्टाचार, गबन, मनी लॉन्ड्रिंग, हत्या और आतंकवाद के आरोपी नेताओं, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों को क्षमादान देने की बात कही गई थी।
रहमान ने जब इसलामाबाद को घेर लिया था तो उन्होंने इमरान ख़ान को 2 दिन के अंदर इस्तीफ़ा देने के लिए कहा था। धार्मिक नेता के मुताबिक़, केवल पाकिस्तान की ही अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है जबकि अन्य देशों की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।
रहमान ने दिखाई थी सियासी ताक़त
रहमान ने आज़ादी मार्च के दौरान चेतावनी दी थी कि उनके समर्थक तब तक इसमालाबाद से नहीं हटेंगे जब तक इमरान ख़ान इस्तीफ़ा नहीं दे देते और नये चुनावों की घोषणा नहीं हो जाती। तब सरकार ने उनसे बातचीत करने की कोशिश की थी लेकिन रहमान ने बात करने से इनकार कर दिया था। रहमान के शक्ति प्रदर्शन की पाकिस्तान ही नहीं दुनिया भर के कई देशों में चर्चा हुई थी। रहमान को पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज़) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने भी समर्थन दिया था। हालाँकि 13 नवंबर को उन्होंने धरना समाप्त कर दिया था।
टमाटर 300 रुपये के पार
पाकिस्तान में रोजमर्रा की ज़रूरत की चीजों के भाव आसमान छू रहे हैं और जनता बेहद ग़ुस्से में है। पाकिस्तानी मीडिया की ख़बरों के मुताबिक़, एक किलो टमाटर की कीमत 300 से 350 रुपये तक पहुंच गई है। इसके अलावा बाक़ी सब्जियां भी बेहद महंगी हो चुकी हैं। कराची और अन्य बड़े शहरों में टमाटर की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई वीडियो ख़ासे वायरल हो रहे हैं।
सवाल यह है कि इमरान ख़ान भले ही दुनिया भर के मुल्कों में घूम-घूमकर ख़ुद को कश्मीरियों का सबसे बड़ा हिमायती बताने पर तुले हों लेकिन वह अपने देश के आर्थिक-राजनीतिक हालात क्यों नहीं दुरुस्त कर पा रहे हैं।
एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ बहुत कम रहने वाली है। वित्त वर्ष 2019-20 में यह 2.8 फ़ीसदी रह सकती है। एडीबी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में महंगाई आने वाले वक्त में रिकॉर्ड तोड़ हो सकती है। पाकिस्तान का रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है और सरकार टैक्स में बढ़ोतरी करती जा रही है, इससे देश के हालात और ख़राब हो सकते हैं।
एफ़एटीएफ़ की लटक रही है तलवार
पाकिस्तान की मुसीबतें बस इतनी ही नहीं है। उस पर फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का ख़तरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान अभी भी मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली इस वैश्विक संस्था की ग्रे लिस्ट में है। पाकिस्तान को एफ़एटीएफ़ ने सख्त चेतावनी देते हुए निर्देश दिया था कि वह फ़रवरी 2020 तक उसके निर्देशों का पालन करे। एफ़एटीएफ़ कह चुका है कि पाकिस्तान आतंकवाद का आर्थिक समर्थन रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा है।